हरियाणा में देसी कपास उत्पादकों को तीन हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी सरकार
हरियाणा में देसी कपास उत्पादक किसानों को तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। सात लाख हेक्टेयर की अपेक्षा इस बार 6.28 लाख हेक्टेयर बोई जा सकी है। सरकार देसी कपास की खेती को प्रोत्साहन दे रही है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 08:59 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में हर साल कपास की फसल में लगने वाले पिंक बालवर्म (गुलाबी सुंडी) नाम के कीड़े ने कपास उत्पादक किसानों व सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि इस बार कपास का करीब तीन प्रतिशत उत्पादन कम होने की संभावना है।
हरियाणा सरकार ने देसी कपास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की है। देसी कपास उत्पादक किसानों को सरकार प्रति एक़ड़ तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी।
हरियाणा सरकार के पास रिपोर्ट है कि बीटी काटन समेत अन्य गैर देसी किस्म की कपास में कीट अधिक हमला करते हैं। इससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। दवाइयों का खर्च अलग से वहन करना पड़ता है। हालांकि राज्य में कपास की फसल के लिए बिजाई का काम पूरा हो चुका है, लेकिन अब समेत भविष्य में किसानों को देसी किस्म की कपास बोने के लिए प्रेरित करने को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है।
हरियाणा में इस साल छह लाख 28 हजार हेक्टेयर में कपास बोई गई है, जबकि लक्ष्य करीब सात लाख हेक्टेयर में बोने का था। प्रदेश सरकार ऐसे कपास उत्पादक किसानों को तीन हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि देगी, जिन्होंने देसी किस्म की कपास बोई है और जो किसान 30 जून तक मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा देंगे, जो किसान अपना पंजीकरण नहीं करा सकेंगे, वह प्रोत्साहन राशि पाने के हकदार नहीं होंगे।
भले ही उन्होंने देसी किस्म की कपास की फसल बोई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि देसी कपास की बिजाई करने से जहां किस्मों की विविधता को बढ़ावा मिलेगा, वहीं कीटों से नुकसान होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
कृषि मंत्री जेपी दलाल के अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अपनी इस योजना के बारे में अधिक जानकारी हेतु टोलफ्री नंबर 1800-180-2117 जारी किया है। कपास को हरियाणा, पंजाब व राजस्थान की मुख्य नकदी फसल माना जाता है।
हरियाणा के 10 जिलों में कपास की खेती होती है। देसी कपास की बिजाई का समय 30 मई तक था, जबकि बीटी काटन हाइब्रिड की बंपर पैदावार लेने को 15 मई तक का समय बताया गया। इसके बाद की बिजाई से उत्पादकता में कमी आती है।हरियाणा के जिन 10 जिलों में कपास की फसल सबसे ज्यादा होती है, उनमें सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, जींद, रोहतक, भिवानी, महेंद्रगढ़, पलवल, झज्जर व रेवाड़ी है। दलाल ने बताया कि जो किसान जानकारी के अभाव में पूर्व में बीटी काटन समेत अन्य हाइब्रिड किस्म की कपास बो चुके हैं, वह अगली बार देसी किस्म की कपास की बुआई पर ध्यान दें। इसके अलावा, जिन किसानों ने इस बार भी देसी किस्म की कपास बोई है, वह प्रोत्साहन राशि हासिल करने के लिए हर हाल में अपना पंजीकरण करवा लें।
बागवानी के लिए 12 हजार 300 रुपये प्रति एकड़ बढ़ा अनुदानहरियाणा में धान का रकबा कम कर पानी बचाने के लिए बागवानी को प्रोत्साहित कर रही प्रदेश सरकार ने बाग लगाने के लिए अनुदान में करीब तीन गुणा बढ़ोतरी की है। किसानों को बागवानी के लिए 12 हजार 300 रुपये प्रति एकड़ ज्यादा अनुदान मिलेगा। बाग लगाने पर पहले साल जहां 7200 रुपये प्रति एकड़ मिलते थे, वहीं अब किसानों को 19 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे।
कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने बताया कि बागों का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए विशेष अनुदान योजना लागू की गई है। किसान फलदार पेड़ों के बाग लगाकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। अधिकतम 10 एकड़ तक कोई किसान अनुदान ले सकता है। हालांकि इसके लिए ’मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। अनुदान ’पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर दिया जाएगा।किसान बागवानी विभाग की वेबसाइट hortnet.gov.in पर आवदेन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। सामान्य दूरी वाले बागों के लिए 19 हजार 500 रुपये व अति सघन बागों के लिए 30 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान का प्रविधान है। टिशु कल्चर खजूर को बढ़ावा देने के लिए 84 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा।
पौधा जाल प्रणाली के लिए 70 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान एक किस्त में मिलेगा। इस प्रणाली से ड्रैगन फ्रूट, अंनार, अमरूद व अंगूर जैसी फसलों को लिया जा सकता है। डा. सुमिता मिश्रा ने कहा कि किसान विभिन्न फलों के बाग लगाकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। बाग लगाने से जहां पानी की बचत होगी, वहीं किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
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