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हरियाणा सरकार कोरोना संक्रमित लोगाें को देगी आर्थिक मदद, जानें किसे कितनी राशि मिलेगी

हरियाणा सरकार ने राज्‍य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने राज्‍य में कोरोना संक्रमित बीपीएल और सामान्‍य वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 06 May 2021 08:27 AM (IST)
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हरियाणा के मुख्‍यमंऋी मनोहरलाल की फाइल फोटो।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सरकार ने कोरोना संक्रमित लोगों के लिए बड़ी घाेषणा की है। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने घोषणा की है कि सरकार कोरोना संक्रमित लोगों की आर्थिक मदद करेगी। मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले बीपीएल परिवारों के लोगों को प्रति व्यक्ति रोजाना पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। घर पर इलाज करा रहे बीपीएल कोरोना संक्रमितों को पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे। निजी अस्‍पतालाें में दाखिल सामान्‍य वर्ग के लोगाें को एक हजार रुपये प्रति दिन के हिसाब से सहायता मिलेगी।

मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि कोरोना से संक्रमित बीपीएल और सामान्‍य वर्ग के लोगों को यह सहायता सात दिनों के लिए दवाइयों के लिए दी जाएगी। उन्‍होंने बताया कि निजी अस्‍पतालों में दाखिल बीपीएल वर्ग के काेरोना संक्रमित व्‍यक्ति को प्रति दिन पांच हजार रुपये के हिसाब से सात दिन के लिए कुल 35 हजार रुपये दिए जाएंगे।

उन्‍होंने बताया कि इसी तरह घर पर इलाज कराने वाले बीपीएल कोरोना संक्रमितों को दवाइयों के लिए एकमुश्त पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। सामान्य परिवारों के संक्रमितों को निजी अस्पतालों में दाखिल होने पर एक हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सप्ताह के लिएसात हजार रुपये दिए जाएंगे।

कोविड अस्पतालों के लिए मरीजों से लिया जाने वाला प्रति बेड अधिकतम शुल्क पहले ही निर्धारित किया जा चुका है। डिजिटल मोड से पत्रकारों से रू-ब-रू मुख्यमंत्री ने कहा कि बीपीएल कार्ड धारक के कुल बिल में से रोजाना पांच हजार रुपये की दर से सात दिन तक के लिए अधिकतम 35 हजार रुपये सीधे निजी अस्पताल को दिए जाएंगे। यानी कि मरीज के बिल में से यह राशि काट दी जाएगी और उन्हें इसका भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

उन्‍होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत भी गरीब लोगों का इलाज किया जा रहा है। आयुष्मान के अंतर्गत प्रदेश में 42 कोविड अस्पतालों को पंजीकृत किया गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मरीजों को सहायता पहुंचाने के लिए हेल्पलाइन तैयार की गई है। हर जिले में हेल्पलाइन काम कर रही है। 24 घंटों में तकरीबन तीन शिफ्टों में काम किया जा रहा है। आठ से दस कर्मी हेल्पलाइन नंबर पर आने वाली शिकायतों को दर्ज कर रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि इसके साथ ही सरकार की ओर से यह भी व्यवस्था की गई है कि हेल्पलाइन पर मरीजों को टेली मेडिसन की सहायता के लिए एक डाक्टर व शिकायतों के निवारण के लिए एचसीएस अधिकारी की तैनाती की गई है।

वैक्सीन के लिए जमा कराए पैसे

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि 18 से 45 साल की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए करीब 60 लाख डोज विभिन्न चरणों में मिलनी हैं। पांच लाख डोज के आर्डर में से तीन लाख वैक्सीन हरियाणा को मिल चुकी हैं। इसमें से 2.75 लाख वैक्सीन लग चुकी हैं और 25 हजार वैक्सीन बची हैं। सीएम ने माना कि वैक्सीन उपलब्ध कराने में थोड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, 45 वर्ष से ऊपर आयु वाले 39 लाख लोगों को वैक्सीनेशन लग चुकी है।

मरीजों के आधार पर प्रतिदिन तय होता है आक्सीजन का कोटा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पास आक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में है। उड़ीसा के राउरकेला से हरियाणा को 70 टन आक्सीजन मिल रही है। इस आक्सीजन को लाने के लिए खाली टैंकरों को हवाई जहाज और भरे हुए टैंकरों को ट्रेन के लिए लाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में तीन से चार दिन लगते हैं। फिलहाल प्रदेश को 257 टन आक्सीजन मिल रही है। रात्रि के समय में मरीजों की संख्या राज्य कंट्रोल रूम के पास पहुंचती है, जिसके आधार पर जिलों का आक्सीजन कोटा तय किया जाता है।

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निजी अस्पतालों ने रेफर कोरोना मरीजों के इलाज का खर्च लेने को हाई कोर्ट में लगाई गुहार

दूसरी ओर, निजी अस्‍पतालों ने नीति आयोग की वीके पॉल समिति के सिफारिश के अनुसार राज्य सरकार द्वारा कोविड -19 रोगियों का इलाज की प्रतिपूर्ति के लिए हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। निजी अस्‍पतालों को यह प्रतिपूर्ति नहीं दिए जाने की आरोप की एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने बेंच के सामने पेश होकर कहा कि उन्‍हें इस मामले की जांच व निर्देश लेने के लिए कुछ समय दिया जाए ताकि वह उचित जवाब दायर कर सकें।

हाई कोर्ट के जस्टिस जेएस पूरी ने एजी की मांग स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 24 मई तक स्थगित कर दी। कुरुक्षेत्र जिले के राधाकिशन अस्पताल थानेसर द्वारा दायर याचिका में राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग पर नीति आयोग की वी  पॉल समिति के सिफारिश के अनुसार कोविड -19 रोगियों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया गया।

याचिकाकर्ता अस्पताल ने हरियाणा सरकार से आयोग की समिति की सिफारिशों के अनुसार उसके पास सामान्य अस्पताल से रेफर किए गए 226 कोविड -19 रोगियों का इलाज करने की एवज में वास्तविक लागत के भुगतान की मांग की है। याची अस्पताल ने हाई कोर्ट में सरकार पर आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार द्वारा निजी अस्पतालों को दी जा रही प्रतिपूर्ति मनमाना है और ऐसे अस्पतालों द्वारा की जाने वाली वास्तविक लागत का एक अंश मात्र है।

याचिकाकर्ता अस्पताल ने कोर्ट को बताया कि उसने 226 रोगियों का इलाज किया था, जिस पर 3,87,36156 रुपये की राशि खर्च की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि 8 जून, 2020 को बनी आयोग की पॉल समिति की सिफारिशों के अनुसार, इन रोगियों के उपचार के लिए प्रतिपूर्ति की जाने वाली राशि 3,52,46180 रुपये है। लेकिन, राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता अस्पताल को केवल 95,59,440 रुपये की प्रतिपूर्ति की है।

याचिकाकर्ता ने निजी अस्पतालों की शिकायतों पर गौर करने के लिए एक समिति के गठन के निर्देश देने की मांग की है जो निजी अस्पतालों के कोविड रोगियों के चुनौतीपूर्ण उपचार पर आने वाले अतिरिक्त खर्चों की भरपाई कर सकें।

हाई कोर्ट को यह भी बताया गया कि सरकारी अस्पतालों के पास उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण, सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। राज्य में चिकित्सा स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है। इन कारणों के कारण, निजी अस्पतालों को ऐसे कोविड रोगियों को उपचार की पेशकश करने वाले कोविड देखभाल केंद्र के रूप में काम करने के लिए कहा गया। निजी अस्पतालों ने कोविड के रोगियों के इलाज में अपने सभी उचित संसाधन लगा दिए।

याचिका में कहा गया कि सरकारी अस्पताल द्वारा रेफर रोगियों को कैशलेस उपचार की पेशकश करने के निर्देश थे। उस समय, याचिकाकर्ता जैसे निजी अस्पतालों ने आर्थिक खर्च के बारे में नहीं सोचा था और इसके बजाय वह इसे मानवीय व राष्ट्र के लिए कर्तव्य के रूप में लिया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह एक व्यापक विषय है।इस लिए सरकार इस पर जवाब दायर करे।

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