Chandigarh: किशाऊ बांध की तकनीकी व कानूनी अड़चनें मिलकर दूर करेंगे हरियाणा-हिमाचल, कमेटियां बनाने पर हुई सहमति
अंतरराज्यीय विवादों को सुलझाने पर हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारें सहमत हो गई हैं। दोनों राज्य अलग-अलग तकनीकी कमेटियां बनाने पर राजी हो गई हैं। हिमाचल ने हरियाणा से पंचकूला में मरीजों के भवन के लिए जमीन मांगी है। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने किशाऊ डैम की बिजली खरीदने की इच्छा जताई है। हरियाणा ने कहा कि 35 फीसदी पानी को कवर करने के लिए डैम जरूरी है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारें अंतरराज्यीय मुद्दों और विवादों को सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। हिमाचल की सीमा पर बनाए जाने वाले किशाऊ बांध के निर्माण में तकनीकी व कानूनी बाधाओं को दूर करने पर दोनों राज्यों में सहमति बनी है।
केंद्र सरकार के सहयोग से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के किशाऊ बांध बनवाना है, जो कि 5400 एकड़ जमीन में बनेगा और उस पर सात से आठ हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। किशाऊ बांध के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने हेतु दोनों राज्यों की कमेटियां बनाने पर सहमति हुई है।
विपक्षी सरकार के बावजूद भी दोनों राज्यों में विवाद नहीं
हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव स्तर की वार्ता में बुधवार को दोनों राज्यों में काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत हुई। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, जबकि हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद दोनों राज्यों में अंतरराज्यीय मसलों को लेकर बहुत अधिक विवाद नहीं है।हरियाणा ने जब पंजाब से एसवाईएल नहर का पानी प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक रास्ता चुनने की बात कही थी, तब हिमाचल प्रदेश की सरकार ने इसमें रुचि दिखाई थी। हालांकि बाद में हरियाणा की ओर से ऐसे कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए और एसवाईएल नहर के निर्माण से लेकर पानी प्राप्त करने तक कानूनी रास्ता ही अपनाने पर जोर दिया।
हरियाणा में पानी की कमी का उठाया था मुद्दा
चंडीगढ़ में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता में हरियाणा की ओर से मुख्य सचिव संजीव कौशल और हिमाचल प्रदेश की ओर से वहां के मुख्य सचिव प्रमोद सक्सेना ने भागीदारी की। सिंचाई, वित्त और बिजली विभाग के अधिकारी भी इस मीटिंग में शामिल हुए। हरियाणा ने बैठक में अपने राज्य में पानी की कमी का मुद्दा उठाया।35 फीसदी पानी को कवर करने के लिए डैम जरूरी
हरियाणा की ओर से कहा गया कि यदि किशाऊ डैम बन जाए तो हथनीकुंड बैराज से क्रास होने वाला पानी रोका जा सकेगा। पहाड़ों से आने वाला 65 प्रतिशत पानी अलग-अलग चैनलों के माध्यम से कवर हो जाता है, लेकिन बाकी बचे 35 प्रतिशत पानी को कवर करने के लिए किशाऊ डैम का जल्दी बनना जरूरी है। इससे यमुना में आने वाली बाढ़ को भी रोकने में मदद मिलेगी तथा बरसात व बाढ़ के दिनों में अतिरिक्त पानी दिल्ली जाने से रोका जा सकेगा, जो कि वहां नुकसान करता है।
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