राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) 20 प्रतिशत आरक्षण के कोटे में कोटा लागू हो गया है।
इसमें अब सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत कोटा वंचित अनुसूचित जातियों के लिए और 10 प्रतिशत कोटा अन्य अनुसूचित जातियों के लिए होगा।बुधवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एससी-एसटी वर्ग में आरक्षण के उपवर्गीकरण की घोषणा की और उसके कुछ देर बाद ही मुख्य सचिव ने इसका आदेश भी जारी कर दिया।
अन्य अनुसूचित जाति श्रेणी में 15 तथा वंचित अनुसूचित जाति श्रेणी में 66 जातियां शामिल हैं। सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक लाभ वंचित अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल 66 जातियों के लोगों को मिलेगा, जिनके लिए नौकरियों के अवसर लगातार कम होते जा रहे थे।
आदेश लागू करने वाला पहला राज्य बना हरियाणा
हरियाणा देश में ऐसा पहला राज्य है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को अपने यहां सबसे पहले लागू किया है। विधानसभा में मुख्यमंत्री ने जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हरियाणा में लागू करने की घोषणा की, पूरा सदन तालियों से गूंज उठा।
विगत 18 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में पहले ही एससी-एसटी वर्ग के ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ देने के लिए उपवर्गीकरण पर मुहर लगा दी गई थी।कोटे में कोटा लागू होने से आरक्षण का लाभ उसी वर्ग के ज्यादा जरूरतमंद लोगों को मिल सकेगा, जिन्हें वास्तव में इसकी अधिक जरूरत है।
सरकारी सेवाओं में बराबर प्रतिनिधित्व जरूरी
वर्तमान में वंचित अनुसूचित जातियों का सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, जबकि अन्य अनुसूचित जातियों का उनकी जनसंख्या के अनुपात की तुलना में अधिक प्रतिनिधित्व है।
अनुसूचित जातियों के लिए बनाए गए आरक्षण में ग्रुप-ए, बी और सी में अन्य अनुसूचित जातियों को ज्यादा लाभ मिला है और ग्रुप-डी की सेवाओं में वंचित अनुसूचित जातियों को अधिक लाभ मिला है।इस असमानता को खत्म करने, सभी को समान अवसर सुनिश्चित करने और सार्वजनिक रोजगार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए उप-वर्गीकरण किया गया है।भर्ती में वंचित अनुसूचित जातियों और अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों की अंतर-वरिष्ठता भर्ती एजेंसी द्वारा तैयार की गई कामन मेरिट लिस्ट के अनुसार होगी। वर्तमान रोस्टर प्रणाली के भीतर प्रत्येक ब्लाक के लिए अलग-अलग रोस्टर अंक निर्धारित करने की आवश्यक नहीं होगी।
अनुसूचित जातियों की अब दो श्रेणियां
अनुसूचित जातियों को अब दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली अन्य अनुसूचित जातियां और दूसरी वंचित अनुसूचित जातियां (डीएससी)। सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 20 प्रतिशत कोटे में से आधा यानी 10 प्रतिशत कोटा वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रहेगा।यदि वंचित अनुसूचित जातियों के उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं तो ही अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवार को शेष रिक्त पदों पर नियुक्ति मिलेगी।
10 प्रतिशत कोटा अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रहेगा। यदि अन्य अनुसूचित जातियों के उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों को शेष रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाएगी।यह भी पढ़ें-
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अन्य अनुसूचित जाति में 15 जातियां
अन्य अनुसूचित जातियों में 15 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी इत्यादि जातियां शामिल हैं।
वंचित अनुसूचित जातियों में 66 जातियां
वंचित अनुसूचित जातियों (डीएससी) में 66 जातियां शामिल की गई हैं। इनमें वाल्मीकि,, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी, मजहबी सिख, आद धर्मी- अहेरिया, अहेरी, हरी, हेरी, थोरी, तुरी, कोरी, कोलि, फरेरा-राय सिख, पासी, बटवाल, बरवाला, बौरिया, बावरिया, मेघ, मेघवाल, खटिक, कबीरपंथी, जुलाहा इत्यादि जातियां शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक अगस्त को 20 साल पुराना फैसला पलटते हुए व्यवस्था दी थी कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण के भीतर आरक्षण दिया जाना चाहिए।इसके साथ ही एससी-एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर को चिन्हित कर आरक्षण से बाहर करने की जरूरत बताई। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राज्य एससी, एसटी वर्ग में उपवर्गीकरण कर सकते हैं। उपवर्गीकरण वाली जातियों को 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए और कम प्रतिनिधित्व और ज्यादा जरूरतमंद साबित करने वाले आंकड़ों को एकत्र करने की जरूरत है। संविधान का अनुच्छेद 14 (समानता) उन वर्गों के उपवर्गीकरण की इजाजत देता है, जो समान स्थिति में नहीं हैं।अनुच्छेद 16 (4) (सरकारी नौकरियों में आरक्षण) के लिए उपवर्गीकरण करने के लिए राज्य की नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े होने चाहिए, जो कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संकेत देते हों।
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