हरियाणा मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन में जिला मजिस्ट्रेट घर खाली करने का नहीं दे रहे आदेश, HC ने मांगा स्पष्टीकरण
हरियाणा मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन मामलों में जिला मजिस्ट्रेट संपत्ति या घर को खाली करने का आदेश नहीं दे रहे हैं। हाईकोर्ट (High Court) ने सवाल उठाते हुए सरकार से कुछ सवालों पर स्पष्टीकरण मांगा है। हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल ने गुरुग्राम के एक वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर ये सुनवाई करते हुए आदेश जारी किए हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से यह बताने को कहा है कि राज्य में जिला मजिस्ट्रेट अंडर दि हरियाणा मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन रूल्स के तहत वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर फैसला करते समय संपत्ति या घर को खाली करने का कोई आदेश क्यों नहीं पारित कर रहे हैं। हाई कोर्ट के जस्टिस विकास बहल ने गुरुग्राम के एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।
याचिकाकर्ता ने जिला मजिस्ट्रेट गुरुग्राम के समक्ष मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन रूल्स के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें उसके जीवन और संपत्ति की रक्षा करने की प्रार्थना की गई थी और उसके बेटे को उसके स्वामित्व वाले घर की पहली मंजिल खाली करने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी।
याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उक्त आवेदन पर आदेश पारित करने के बजाय, प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को एक दस्तावेज दिखाया था, जिसमें कहा गया था कि प्राधिकरण उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है और इस संबंध में निदेशक द्वारा जारी पत्र का संदर्भ दिया गया है।
सामान्य, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, एससी और बीसी कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग, हरियाणा ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को हाई कोर्ट की एक पीठ द्वारा पारित फैसले का हवाला दिया याची के वकील ने दलील दी कि आदेश पारित करना प्राधिकार पर निर्भर है और केवल कुछ पत्र के आधार पर मामले को अधर में नहीं रखा जा सकता है। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए मामले को 29 नवंबर के लिए स्थगित कर दिया है।
हाई कोर्ट ने सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा
- क्या एस वनिता के मामले में सुप्रीम कोर्ट और रवि कुमार बनाम जिला मजिस्ट्रेट सह अपीलकर्ता ट्रिब्यूनल झज्जर नामक मामले में इस हाई कोर्ट के फैसले पारित होने के बाद, जिसे डिवीजन बेंच ने बरकरार रखा है, अधिकारी अभी भी आदेश पारित नहीं कर रहे हैं । ऐसे मामले जिनमें बेदखली के लिए प्रार्थना की गई है और यदि हां, तो उसके कारण।
- क्या महानिदेशक, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, एससी और बीसी कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग, हरियाणा द्वारा जारी पत्र में कोई कानूनी आधार है या नहीं ।
- कानून की स्थिति के बावजूद, चूंकि अधिनियम के तहत आदेश पारित करना प्राधिकारी का कर्तव्य है, न कि केवल बेदखली की मांग करने वाले आवेदन को लंबित रखना, तो संबंधित प्राधिकारी ने इस पर आदेश क्यों नहीं पारित किया है।