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Haryana News: अल्पमत से फिर बहुमत में नायब सरकार, विधानसभा सत्र बुलाने में अब नहीं कोई परेशानी

Haryana News विधानसभा चुनाव से पहले नायब सरकार एक बार फिर अल्पमत से बहुमत में आ गई है। नायब सरकार को अब विधानसभा सत्र बुलाने में कोई दिक्कत नहीं है। रानियां के निर्दलीय विधायक और बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया।

By Sudhir Tanwar Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 23 Aug 2024 06:09 PM (IST)
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Haryana News: अल्पमत से फिर बहुमत में आई नायब सरकार, सत्र बुलाने में नहीं कोई दिक्कत।

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद से अल्पमत में चल रही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार तीन विधायकों के इस्तीफों के बाद फिर बहुमत में आ गई है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं तोशाम की विधायक किरण चौधरी और बरवाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग तथा नरवाना के जजपा विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा के इस्तीफों के बाद विधानसभा में 84 सदस्य रह गए हैं।

ऐसे में 41 विधायकों वाली भाजपा को कुल 43 विधायकों की जरूरत है, जबकि पृथला के निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा भी पहले दिन से सरकार के साथ हैं।

13 मार्च को बुलाया गया था आखिरी सत्र

बहुमत के आंकड़े को छू चुकी नायब सरकार के लिए अब विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने में कोई परेशानी नहीं आएगी। हरियाणा विधानसभा का आखिरी सत्र 13 मार्च को बुलाया गया था, जब नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था।

चूंकि संवैधानिक रूप से छह महीने के अंतराल में एक बार विधानसभा सत्र बुलाना जरूरी है, इसलिए 12 सितंबर तक सदन की बैठक जरूरी है। अगर सरकार मानसून सत्र नहीं बुलाती तो फिर संवैधानिक संकट टालने के लिए मुख्यमंत्री को राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करनी होगी, जिसके आसार कम हैं।

बादशाहपुर, रानियां-मुलाना पहले से रिक्त

रानियां के निर्दलीय विधायक और बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। इसी तरह मुलाना के कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।

तभी से विधानसभा में तीनों सीटें रिक्त हैं। हालांकि किरण चौधरी, जोगीराम सिहाग और राम निवास सुरजाखेड़ा के इस्तीफे स्वीकार होने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने अभी तक इन सीटों को रिक्त घोषित नहीं किया है।

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एक दिन के लिए बुलाया जा सकता विशेष सत्र

संसद से लेकर सभी विधानसभाओं में आज तक ऐसी स्थिति नहीं आई है कि छह महीने में कोई सत्र न बुलाया गया हो। यहां तक कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भी संवैधानिक संकट को टालने के लिए हरियाणा विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया गया था।

इस वक्त 15वीं विधानसभा चल रही है, जिसका कार्यकाल तीन नवंबर तक है। 16वीं विधानसभा के गठन के लिए एक अक्टूबर को मतदान होना है। ऐसे में सरकार सिर्फ किसी भी दिन सिर्फ एक घंटे के लिए सदन की बैठक बुलाकर औपचारिकताएं पूरी कर सकती है।

विशेष सत्र के लिए राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में स्पष्ट उल्लेख है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए 12 सितंबर तक विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है।

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