हरियाणा पुलिस ने हवाला रैकेट का किया भंडाफोड़, 700 करोड़ रुपये के अवैध लेन-देन का पर्दाफाश; मामले में सात गिरफ्तार
Haryana News हरियाणा पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। पुलिस ने एक बड़े हवाला रैकेट का भंडाफोड़ किया है। आरोपी फर्जी कंपनियों के जरिए विदेशों में अवैध तरीके से 700 करोड़ रुपये भेज रहे थे। इस मामले में अब तक सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पांच के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस की राज्य अपराध शाखा ने संगठित अपराध के एक ऐसे मामले को सुलझाने में सफलता हासिल की है, जिसमें आरोपियों द्वारा फर्जी कंपनियां बनाते हुए विदेशों में अवैध तरीके से काला धन भेजा जा रहा था।
जांच में पाया गया कि आरोपियों द्वारा लगभग 700 करोड रुपए अवैध तरीके से विदेशी कंपनियों के खातों में भेजे जा चुके थे। इस मामले में अब तक सात आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है जबकि पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्ज शीट दाखिल की गई है।
क्या था मामला
हरियाणा पुलिस को इस बारे में 18 मार्च, 2024 को एक शिकायत प्राप्त हुई थी। प्राप्त शिकायत का संज्ञान लेते हुए हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर के दिशा निर्देशानुसार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, राज्य अपराध शाखा तथा पुलिस उपायुक्त गुरुग्राम नीतीश अग्रवाल की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान टीम (एसआईटी) गठित की गई।जांच के दौरान पाया गया कि आरोपीगण संगठित होकर डमी डायरेक्टर्स के नाम कंपनियां रजिस्टर्ड करवाते थे। इन कंपनियों के डायरेक्टर के बैंक अकाउंट बैंक कर्मियों से साठगांठ करके व्यक्तिगत तथा ईकेवाईसी के माध्यम से खुलवाए जाते थे और उन अकाउंट के एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग पासवर्ड, रजिस्टर्ड मोबाइल सिम अपने पास रखकर उन अकाउंट्स को खुद ऑपरेट करते थे।
डमी डायरेक्टर्स के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाई गई कंपनियों का विदेशी कंपनियों के साथ बिजनेस दिखाकर गुजरात तथा मुंबई के बंदरगाहो (पोर्ट) पर विदेश से माल मंगवा कर इसे आयात तथा निर्यात करते थे।
इस दौरान इनवॉइस बिल में सामान की कीमत को बाजार की कीमत से कई गुना ज्यादा दर्शाकर भारतीय मुद्रा को विदेशों में भेजते थे और अवैध तौर पर प्रति डॉलर मोटा कमीशन वसूल करते थे।
यह भी पढ़ें- Haryana Pollution: दीवाली के बाद बिगड़ी आबोहवा, बहुत खराब श्रेणी में पहुंचा AQI; लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कतआरोपियों द्वारा कंपनियों के बिजनेस परिसर, बैंक रिकॉर्ड, आरओसी एंड सीजीएसटी रिकॉर्ड व आयात-निर्यात संबंधित दस्तावेजों में अलग-अलग दर्शाए जाते थे ताकि राजस्व आसूचना के निदेशक, कस्टम विभाग, प्रवर्तन निदेशालय तथा केंद्रीय जीएसटी आदि विभागों की पकड़ में ना आ सके।
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