हरियाणा में अगर हुआ फ्लोर टेस्ट तो अध्यक्ष निभा सकते हैं निर्णायक भूमिका, इस स्थिति में ही कर सकते हैं वोट
हरियाणा में सियासी संग्राम के बीच विपक्ष लगातार फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं। वहीं प्रदेश की भाजपा सरकार इससे कोई खतरा नहीं मान रही है। ऐसे में नायब सरकार शक्ति परीक्षण से कतई नहीं कतरा रही। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मनोहर लाल जजपा के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में मनोहर लाल उन विधायकों से सरकार बचाने के लिए समर्थन ले सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Political Crisis: हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री नायब सैनी (Nayab Saini) की सरकार से समर्थन लेने के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जजपा) जहां राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग को लेकर राजभवन का दरवाजा खटखटा चुके हैं, वहीं इससे बेपरवाह भाजपा सरकार को कोई खतरा नहीं मान रही।
सिर्फ 30 विधायक ही दे सकते हैं वोट
सरकार के रणनीतिकारों के मुताबिक अगर विधानसभा में शक्ति परीक्षण की नौबत आई तो सदन में बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
हालांकि भाजपा के 40 विधायकों में से 39 ही वोट दे सकते हैं। केवल मत बराबर होने की स्थिति में ही विधानसभा अध्यक्ष को निर्णायक वोट डालने का अधिकार है।
हरियाणा विधानसभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम-3 के अनुसार सामान्यत: तीन सप्ताह अर्थात 21 दिनों के अंतराल के बाद की तारीख से ही राज्यपाल द्वारा विधानसभा सदन आहूत (बुलाया) जाता है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में उससे पहले भी ऐसा संभव है।
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मार्च में बनी थी नायब सरकार
इसी वर्ष 12 मार्च की शाम को नायब सैनी द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन 13 मार्च को नई सरकार द्वारा सदन में बहुमत साबित करने के लिए एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। बहरहाल अगर 21 दिनों का सामान्य अंतराल का पालन किया जाता है, तो सदन को चार जून अर्थात 18वीं लोकसभा चुनावों की मतगणना के बाद ही बुलाया जाएगा।
जब तक करनाल विधानसभा सीट उपचुनाव का परिणाम भी आ जाएगा जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी मौजूदा सदन का सदस्य (विधायक) निर्वाचित होने के लिए भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं।पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता और विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के मुताबिक सरकार का बहुमत या अल्पमत में होना केवल सदन के भीतर ही साबित किया जा सकता है, राजभवन या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर विधायकों की परेड करा कर नहीं।
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