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Haryana News: हरियाणा में सरकार-संगठन की ये चार सबसे बड़ी चुनौतियां, क्या इनमें सफल हो पाएंगे नायब सैनी?

हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष नायब सिंह सैनी (Haryana BJP New President) के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है। सैनी (Nayab Saini) के कार्यभार संभालने के बाद उनके सामने सरकार और संगठन के बीच विश्वास बहाल करने की बड़ी चुनौती है। पहली चुनौती शहरी निकाय चुनाव भाजपा को जीत दिलाने की। भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है। कांग्रेस का भी यही दावा है। फिलहाल सभी 10 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं।

By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Mon, 30 Oct 2023 11:01 AM (IST)
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हरियाणा भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को सम्मानित करते सीएम मनोहर लाल। फाइल फोटो
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। Haryana News:  हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष नायब सिंह सैनी के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है। सैनी सोमवार को रोहतक स्थित भाजपा कार्यालय में पदभार संभालने वाले हैं। सैनी के पदभार संभालते ही उनके सामने जहां सरकार और संगठन के बीच विश्वास बहाल करने की बड़ी चुनौती होगी।

वहीं उत्तर हरियाणा से लेकर दक्षिण हरियाणा तक पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की बड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल में जब बदलाव की चर्चाएं शुरू हुई थी, तब नायब सैनी का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की कैबिनेट में मंत्री के लिए भी चला था। उनके सबसे बड़े पैरोकार स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। भाजपा (Haryana BJP) में मनोहर लाल जब संगठनात्मक काम देखते थे।

कभी कंप्यूटर ऑपरेटर थे नायब सैनी

तब नायब सैनी उनके कंप्यूटर ऑपरेटर थे। मुख्यमंत्री का भरोसा जीतते हुए नायब सैनी ने कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर आसानी से तय कर लिया है। अब पार्टी में उनकी चुनौतियां आरंभ होंगी।

रोहतक में सोमवार को होने वाले सैनी के दायित्व ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल(CM Manohar Lal) और पार्टी प्रभारी बिप्लब कुमार देब (Biplab Kumar Deb) के साथ निवर्तमान अध्यक्ष व राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ समेत कई मंत्री, सांसद और विधायक शामिल होंगे।

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धनखड़ (O. P. Dhankar) ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पार्टी के संगठनात्मक कार्यों को जबरदस्त गति प्रदान की। मुख्यमंत्री उनके संगठनात्मक कार्यों की दिल खोलकर तारीफ कर चुके हैं। पार्टी के पन्ना प्रमुख सम्मेलनों के जरिये धनखड़ संगठन को घर-घर तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं।

पहली चुनौती शहरी निकाय चुनाव

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के नाते नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की पहली चुनौती राज्य में तीन नगर निगमों फरीदाबाद, गुरुग्राम व मानेसर समेत 28 शहरी निकायों के चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की है। इन शहरी निकायों में अधिकतर में वार्डबंदी का काम पूरा हो चुका है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी दो दिन पहले शहरी निकाय चुनाव होने का संकेत दे चुके हैं। ऐसे में पार्टी को शहरी निकाय चुनाव में जीत दिलवाकर सैनी को संगठनात्मक कौशल की पहली परीक्षा पर खरा उतरना होगा।

दूसरी चुनौती: लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत

भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है। कांग्रेस का भी यही दावा है। फिलहाल सभी 10 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं। पार्टी के कई सांसद इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उनकी निगाह विधानसभा चुनाव लड़ने पर है।

पार्टी ने यदि नायब सैनी को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़वाया तो उनकी सीट पर भी नया उम्मीदवार होगा। कुछ सांसदों के टिकट बदले जाएंगे। ऐसे में राज्य में सभी 10 लोकसभा सीटें जितवाकर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की झोली में डालने की बहुत बड़ी चुनौती नायब सैनी पर आन टिकी है।

तीसरी चुनौती: तीसरी बार राज्य में भाजपा की सरकार

हरियाणा में दो बार भाजपा की सरकार बन चुकी है। पहली सरकार में नायब सैनी स्वयं मंत्री थे। दूसरी कार्यकाल में वे सांसद बन गए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी सरकार के कार्यों के बूते तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर के चलते तीसरी बार भी सत्ता में आने के लिए पूरे आशान्वित हैं।

ऐसी ही उम्मीद कांग्रेस को है कि राज्य में उसकी सरकार बनेगी। अपने संगठनात्मक कौशल तथा टिकट वितरण में तालमेल को निभाते हुए नायब सैनी राज्य में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनवाने में कामयाब होते हैं या नहीं, इस पर सबकी निगाह टिकी रहेगी और यह बहुत बड़ी चुनौती है।

चौथी चुनौती: संगठन और सरकार के बीच विश्वास बहाली

ओमप्रकाश धनखड़ ने पार्टी में अपने सवा तीन साल के कार्यकाल में शानदार काम किया। उन्हें बेहद सक्रिय अध्यक्ष के रूप में पहचान मिली। वह कार्यकर्ताओं से सहज भाव से मिले और पार्टी का काम किया। केंद्र में भी उनके बढ़िया संबंध हैं, लेकिन धनखड़ हरियाणा में मुख्यमंत्री कार्यालय व कार्यकर्ताओं के बीच की दूरियां पूरी तरह से खत्म करने में कामयाब नहीं हो सके।

अब चूंकि नायब सैनी और मनोहर लाल दोनों एक ही सोच के दो व्यक्ति हैं, तो ऐसे में संगठन व सरकार के बीच विश्वास बहाल करने की उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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