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Haryana Politics: नेता प्रतिपक्ष चुनने में उलझी कांग्रेस का विवाद और गहराया, अब रघुबीर कादियान ने पेश कर दी दावेदारी

हरियाणा में विपक्ष के नेता के चुनाव को लेकर कांग्रेस में खींचतान जारी है। कई नामों पर चर्चा चल रही है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस बीच वरिष्ठ विधायक डॉ. रघुबीर कादियान का नाम भी इस सूची में शामिल हो गया है। कहा जा रहा है कि उनके पीछे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट की रणनीति है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 22 Nov 2024 10:27 PM (IST)
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हरियाणा: अब रघुबीर कादियान नेता प्रतिपक्ष की रेस में शामिल। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। एक माह से विपक्ष के नेता का चुनाव नहीं कर पा रही कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। जिन नेताओं के नाम पर पहले से चर्चा चल रही है, उनमें से तो अभी तक कोई नाम सिरे नहीं चढ़ा है। इस बीच विधानसभा में सबसे वरिष्ठ एवं सात बार के विधायक डॉ. रघुबीर कादियान का नाम इस सूची में शामिल हो गया है।

चर्चा है कि इसके पीछे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट की रणनीति है। इसके अलावा पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल भी विपक्ष के नेता पद की दौड़ में हैं। हरियाणा में आठ अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हुए थे जिसके बाद 17 अक्टूबर को नई सरकार भी बन गई।

विपक्ष का नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्टूबर को चार पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है कि हरियाणा को विपक्ष के नेता पद के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

इसका मुख्य कारण पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। विपक्ष के नेता के नाम पर हुड्डा गुट से गैर जाट चेहरा अशोक अरोड़ा का नाम तेजी से चल रहा है।

लंबे समय से चौटाला परिवार से जुड़े रहे हैं

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाईकमान उनके नाम पर सहमत नहीं है। सबसे बड़ा कारण है कि वह लंबे समय से चौटाला परिवार से जुड़े रहे हैं। वह 2019 में ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आए थे, जब इनेलो में पूरी तरह बिखराव हो चुका था।

वह कांग्रेस में आने के बाद पहली बार विधायक बने हैं।चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम पर भी चर्चा हुई। हाईकमान को पक्ष और विपक्ष दोनों कारण बताए गए। चंद्रमोहन के निगेटिव प्वाइंट ज्यादा हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं, जो विधायक मैनेज करने के लिए जाने जाते थे।

चंद्रमोहन के छोटे भाई कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं। वहीं, हुड्डा भी चंद्रमोहन के नाम से अंदरखाते असहमत हैं। चंद्रमोहन चुनावों के दौरान खुलकर सांसद कुमारी सैलजा को मुख्यमंत्री बनाने के बयान दे चुके हैं। ऐसे में चंद्रमोहन को नेता प्रतिपक्ष बनाने से कांग्रेस हाईकमान पीछे हट सकता है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी रेस में बताया जा रहा है, मगर उनकी दावेदारी सबसे कम बताई जा रही है। इसका कारण है कि भूपेंद्र हुड्डा 2019 से 2024 तक नेता प्रतिपक्ष बन चुके। विधानसभा सत्र के दौरान हुड्डा ने दावा किया था कि महाराष्ट्र व झारखंड चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष का एलान किया जाएगा।

अब दोनों राज्यों में चुनाव हो चुके हैं और शनिवार को परिणाम भी आ रहा है। कांग्रेस हाईकमान पार्टी में चल रही गुटबाजी के बीच सीनियर और अनुभवी नेता पर दांव खेल सकती है। इसकी घोषणा 24 नवंबर तक हो सकती है।

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