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Haryana Politics: आदमपुर उपचुनाव में लालों के लाल में विश्वसनीयता का संकट, यू बदलनी पड़ी रणनीति

Haryana Politics आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई को अपने विरोधियों का मुकाबला करने से पहले भाजपा व जजपा के उन नेताओं का भरोसा हासिल करना होगा जो न तो उन्हें कभी राजनीतिक रूप से पनपते हुए देखना चाहते हैं और न ही उनके भाजपा में आने से खुश हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Thu, 13 Oct 2022 09:15 AM (IST)
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Haryana Politics: लालों के लाल में विश्वसनीयता का संकट

पंचकूला,अनुराग अग्रवाल। हरियाणा के लाल परिवारों के उल्लेख के बिना प्रदेश की राजनीति पर चर्चा अधूरी है। पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और चौधरी भजनलाल तक प्रदेश की राजनीति के ऐसे लाल हैं, जिनकी चौथी प़ीढ़ी तक राजनीति में स्थापित हो चुकी है। लालों के प्रदेश की राजनीति में चौथा नाम मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जुड़ चुका है, जिनकी कोई पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि तो नहीं है, परंतु अपने कौशल के बूते उन्होंने इन लालों को अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर किया है।

प्रदेश में अब तक के सभी चुनावों में लाल परिवारों का पूरा हस्तक्षेप रहा है। तीन नवंबर को हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे, मगर प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भाजपा में शामिल हो गए। कुलदीप बिश्नोई पहली बार भाजपा की रीति-नीति से परिचित नहीं हो रहे हैं।

देवीलाल और भजनलाल का परिवार धुर विरोधी

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज होकर वर्ष 2006 में जब भजनलाल व कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस छोड़ी थी, तब अपनी अलग हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) पार्टी बनाई थी। हजकां और भाजपा का प्रदेश में कई वर्षों तक गठजोड़ रहा है। हालांकि भाजपा में कई नेता ऐसे हैं, जो कुलदीप बिश्नोई को पसंद नहीं करते, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रति अगाध आस्था और अपनी गैर जाट नेता की छवि के चलते कुलदीप भाजपा में जगह बनाने में कामयाब हो गए हैं। आदमपुर चुनाव में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के साथ सरकार में साझेदार जननायक जनता पार्टी (जजपा) का भरोसा जीतने की है। प्रदेश की राजनीति में देवीलाल और भजनलाल का परिवार राजनीतिक रूप से एक दूसरे का धुर विरोधी रहा है। हिसार का रण हो या फिर भिवानी में लोकसभा चुनाव की जंग, देवीलाल व भजनलाल के परिवार के सदस्यों ने एक दूसरे के खिलाफ कई चुनाव लड़े।

आदमपुर के रण में भाजपा ने भजनलाल के पोते यानी कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनके सामने देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला का भरोसा जीतने की सबसे बड़ी चुनौती है। वही आदमपुर, जो पिछले 54 वर्षों से भजनलाल परिवार का अभेद राजनीतिक किला माना जाता है। जजपा संरक्षक के नाते दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी ने अभी यह तय नहीं किया कि आदमपुर में उनकी क्या रणनीति होगी, लेकिन सीएम मनोहर लाल ने भव्य बिश्नोई को भाजपा व जजपा का साझा उम्मीदवार बताकर देवीलाल व भजनलाल परिवारों की राजनीतिक खटास को खत्म करने की कोशिश जरूर की है।

राजनीतिक विरोधियों को साधने के लिए खासी मेहनत

कांग्रेस व इनेलो ने अभी तक आदमपुर में अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, जबकि पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने सतेंद्र सिंह पर दांव खेला है। आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई को अपने विरोधियों का मुकाबला करने से पहले भाजपा व जजपा के उन नेताओं का भरोसा हासिल करना होगा, जो न तो उन्हें कभी राजनीतिक रूप से पनपते हुए देखना चाहते हैं और न ही उनके भाजपा में आने से खुश हैं। भाजपा व जजपा में ऐसे नेताओं की लंबी सूची है, जो कुलदीप के भगवा रंग में रंगने से खुश नहीं हैं। हिसार व भिवानी लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव में देवीलाल व भजनलाल का परिवार कई बार आमने-सामने हो चुका है।

वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में हिसार में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे और दुष्यंत चौटाला व भव्य बिश्नोई हार गए थे। इस चुनाव से पहले दुष्यंत चौटाला हिसार में कुलदीप बिश्नोई को हरा चुके हैं और भिवानी में कुलदीप बिश्नोई ने दुष्यंत चौटाला के पिता अजय सिंह चौटाला को चुनाव हरा रखा है। यानी देवीलाल-चौटाला व भजनलाल के इस परिवार में राजनीतिक दुश्मनी बहुत पुरानी है, जो आदमपुर उपचुनाव में दोस्ती में इतनी आसानी से बदलती बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही है। नई परिस्थितियों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की यह जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह दुष्यंत चौटाला को आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई का खुलकर साथ देने के लिए राजी करें। ठीक इसी तरह की चुनौती कुलदीप बिश्नोई के सामने हैं, जिन्हें भाजपा में अपने करीब आधा दर्जन बड़े राजनीतिक विरोधियों को साधने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ सकती है।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]

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