Haryana Politics: बड़ा चुनावी मुद्दा बना हरियाणा का हिसाब, हुड्डा दें जवाब से कांग्रेस को घेर रही बीजेपी, मचा सियासी घमासान
Haryana Politics हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे से हिसाब-किताब मांग रही है। हरियाणा मांगे हिसाब के तहत कांग्रेस प्रचार अभियान में जुट गई है। वहीं बीजेपी ने हुड्डा दें जवाब के तहत कांग्रेस को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा ने हरियाणा मांगे हिसाब के जवाब में ‘हुड्डा दें जवाब’ अभियान की शुरुआत कर दी है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ और भाजपा द्वारा आरंभ किए गए ‘हुड्डा दें जवाब’ अभियानों को लेकर दोनों राजनीतिक दल आमने-सामने हैं। हरियाणा कांग्रेस कमेटी ने सत्तारूढ़ भाजपा से जहां 10 साल के कार्यकाल का हिसाब मांगा है, वहीं भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल में किए गए कार्यों पर उनसे सवाल पूछे हैं।
प्रदेश की राजनीति में इन दोनों अभियानों का जबरदस्त बोलबाला रहने वाला है। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की जनता कांग्रेस और भाजपा के इन अभियानों को अपनी कसौटी पर परखने का काम कर रही है। हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी उदयभान, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने करीब एक सप्ताह पहले ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान की शुरुआत की थी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा निकालेंगे रथयात्रा
अभियान के तहत दीपेंद्र पूरे प्रदेश में पदयात्राएं निकाल रहे हैं और लोगों के साथ संवाद कर रहे हैं। 20 अगस्त के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूरे राज्य में रथयात्रा निकालेंगे। पदयात्रा के दौरान दीपेंद्र एक दिन में दो विधानसभा क्षेत्र कवर कर रहे हैं। उनकी सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा करने की योजना है।
सीएम सिटी करनाल, यमुनानगर, अंबाला शहर, राई, पानीपत ग्रामीण, जुलाना और सोनीपत शहर में दीपेंद्र हुड्डा की पदयात्राएं हो चुकी हैं। 21 जुलाई तक उन्हें बरौदा, हांसी, नारनौंद, जींद, बावल और बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्रों को कवर करना है।
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10 साल में किए गए कार्यों का हिसाब
दीपेंद्र हुड्डा के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान से भाजपा में बेचैनी का आलम है। इस अभियान के तहत कांग्रेस नेताओं की ओर से सत्तारूढ़ भाजपा से उसके 10 साल में किए गए कार्यों का हिसाब मांगा जा रहा है और साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल में संचालित अहम परियोजनाओं तथा प्रमुख विकास कार्यों की जानकारी दी जा रही है।
अमित शाह ने हुड्डा को दी चुनौती
कांग्रेस के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान का इतना असर हुआ कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को महेंद्रगढ़ में हुए ओबीसी सम्मेलन के मंच से इसका जिक्र करना पड़ा। अमित शाह अपने साथ ना केवल केंद्र व राज्य की डबल इंजन की सरकार में राज्य पर खर्च हुई राशि का पूरा हिसाब-किताब लेकर आए थे, उन्होंने हुड्डा को भी अपने कार्यकाल का हिसाब देने की चुनौती दे डाली।
'लोग पूछ रहे सोनीपत में मेट्रो क्यों नहीं आई'
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एनसीआर के सभी जिलों व शहरों में मेट्रो की सुविधा है। सोनीपत के लोग पूछ रहे हैं कि भाजपा शासन के 10 साल से सोनीपत में मेट्रो क्यों नहीं पहुंची। अब भाजपा सरकार से जनता हिसाब मांग रही कि मेट्रो क्यों नहीं आई।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने जिस सोनीपत में पांच सरकारी विश्वविद्यालय खोलकर देश के शिक्षा का केंद्र बनाया उसे भाजपा ने बेरोजगारी, अपराध व नशे का हब बना दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा से जवाब मिलने तक सोनीपत की जनता सवाल पूछती रहेगी। दीपेंद्र हुड्डा ने बृहस्पतिवार शाम को ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पदयात्रा के तहत सोनीपत में सेक्टर-14 मार्केट से सुभाष चौक तक पदयात्रा की। पदयात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं और लोगों का भारी हुजूम उमड़ पड़ा।
इससे पहले दीपेंद्र ने प्रेसवार्ता में कहा कि जब से ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ की चार्जशीट जारी हुई है, इससे पूरी भाजपा सरकार तिलमिलाई हुई है। उनको जनता के सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है। प्रदेश में डैमेज कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय नेताओं को बुलाया जा रहा है।
हुड्डा दे जवाब अभियान शुरू
हिसाब-किताब पर तनातनी केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा ओबीसी सम्मेलन में कांग्रेस के विरुद्ध एक लाइन सेट कर देने के बाद भाजपा ने ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ के जवाब में ‘हुड्डा दें जवाब’ अभियान आरंभ कर दिया है। इसकी शुरुआत पिंजौर की सब्जी व फल मंडी की शुरुआत के मौके पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हुड्डा से 11 सवाल पूछकर की है।
नायब सैनी ने पूर्व सीएम के कार्यकाल का जिक्र करते हुए उनसे पूछा है कि कांग्रेस ने अपने 10 साल के राज में कौन-कौन से अहम काम किए हैं। भाजपा अपने इस अभियान को पूरे राज्य में लेकर जाने वाली है।
ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनीतिक दलों में अपनी-अपनी सरकारों के 10-10 सालों के कार्यकाल के हिसाब-किताब को लेकर जबरदस्त भिड़ंत होनी तय है।
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