हरियाणा का किसान 200 गज में खेती कर हो रहा मालामाल, जाॅब छोड़कर उगा रहा सुपर मशरूम
Haryana Progressive Farmer हरियाणा के गुरुग्राम के एक युवा ने सुपर मशरूम की खेती के लिए बहूराष्ट्रीय कंपनी की नौकरी छोड़ दी। वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर यह खेती करते हैं और इससे बेचने के लिए अपनी कंपनी भी बना ली है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 19 Dec 2020 09:41 AM (IST)
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Haryana Progressive Farmer: हरियाणा के गुरुग्राम में बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छी खासी नौकरी करने वाले एक युवा अंशुमान कालरा ने खास किस्म के मशरूम की खेती करने के लिए जाॅब छोड़ दी। दरअसल उनकी पत्नी बीमार पड़ी तो उनकी इस तरह की खेती करने का आइडिया आया। अब वह महज दो सौ गज क्षेत्र में इस खास सुपर मशरूम की खेती कर रहे हैं और मोटी कमाई प्राप्त कर रहे हैं। इसे बेचने के लिए उन्होंने अपनी कंपनी भी बना ली है।
गुरुग्राम के अंशुमान कालरा सिर्फ दो सौ गज में करते हैं मशरूम की स्पेशल वैरायटी की खेतीराजस्थान के भिवाड़ी में मूल निवासी अंशुमान कालरा तीन अलग-अलग बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी कर चुके हैं। एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद गुरुग्राम के सेक्टर 51 में आ गए थे। गुरुग्राम में नौकरी करते-करते उनकी तनुश्री गुप्ता से शादी हो गई। दादा और पिता पुराने वैद्य हैं, लेकिन अपने इस हुनर को उन्होंने कभी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया। अंशुमान की पत्नीको एक दिन छाती में दर्द हुआ तो डाक्टरों ने मेमोग्राफी कराने की सलाह दी।
हरियाणा के प्रगतिशील किसान अंशुमान कालरा और उनकी पत्नी तनुश्री गुप्ता। (फाइल फोटो)
बात दादा, चाचा और पिता तक पहुंची तो उन्होंने अंशुमान को खास (स्पेशल) किस्म की मशरूम के बारे में जानकारी दी। कुछ आयुर्वेद के नुस्खे भी बताए। अनुभव, आयुर्वेद और मशरूम के इस मिश्रण का लाभ मिला। तनुश्री अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गईं। इस दौरान अंशुमान ने खास किस्म की मशरूम के इतने अच्छे नतीजे देखे तो इसकी खेती करने का मन बना लिया। उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर मात्र दो सौ गज क्षेत्र में मशरूम की खेती करनी आरंभ कर दी। धीरे-धीरे उन्होंने बायोक्रिडेंस के नाम से अपनी एक कंपनी भी बना ली, जो अब मशरूम उगाने के साथ ही उससे मिश्रण तैयार कर महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में पूरी शिद्दत के साथ काम कर रही है।
पत्नी तनुश्री भी खेती से जुड़ी, कंपनी बनाई, कांट्रेक्ट फार्मिंग की ओर बढ़े कदम
फिलहाल खेती आरंभ करने के पीछे लाभ की मंशा कम और महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए मिश्रण तैयार करना ज्यादा है। अंशुमान कालरा बताते हैं कि हम पति-पत्नी दो साल से मशरूम की खेती कर रहे हैं। यह मशरूम और आयुर्वेद की कुछ बूटियां इतनी फायदेमंद हैं कि बच्चियों व महिलाओं की ओबेरी की सिस्ट, थकावट, त्वचा रोग, वजन में बढ़ोतरी, असंतुलित प्रतिरोध, बालों की गिरावट, हारमोंस असंतुलन और मासिक धर्म में अनियमितता दूर करने में काफी मददगार साबित हो रही हैं। अब मशरूम की इस खेती का दायरा बढ़ाने की योजना है। साथ ही कंपनी ने अपनी रिसर्च के आधार पर केंद्र से आइएसओ 9001 और आइएसओ 2000 के अलावा एचएसीसीपी तथा जीएमपी सर्टिफिकेट हासिल कर लिया है।
सुपर मशरूम और आयुर्वेद के मिश्रण से तैयार कर रहे महिलाओं के लिए संजीवनीतनुश्री गुप्ता का कहना है कि गांव में आज महिलाओं की उनकी जैसी समस्या सबसे ज्यादा हो रही है। लड़कियां और महिलाएं अपनी परेशानियों पर बात नहीं करना चाहतीं। मशरूम की खेती के पीछे हमारी योजना लाभ कमाने की नहीं बल्कि लोगों खासकर महिलाओं को जागरूक करने की है। इसके जरिये हमारी कोशिश होगी कि गांव दर गांव लोगों को इस खास किस्म की मशरूम की खेती के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि उसके सेवन से लोग खासकर महिलाएं स्वस्थ रहें।
यह भी पढ़ें: Farmers Protest के बीच हरियाणा-पंजाब की नई सियासत, जल विवाद पर खास रणनीतिउन्होंने बताया कि कांट्रेक्ट फार्मिंग के फार्मूले को अपनाते हुए हमारी कंपनी इसकी मशरूम को खरीदने के लिए मार्केट उपलब्ध कराने का काम करेगी। न केवल इतना बल्कि प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के साथ मिलकर बायोक्रिडेंस ने गांवों में महिलाओं को अपने घरों में मशरूम की खेती करने तथा स्वास्थ्य सुधार का कार्यक्रम चलाने की रूपरेखा भी तैयार की है।
यह भी पढ़ें: हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के घर पर पकी चौटाला परिवार की नई सियासी खिचड़ीअंशुमान कालरा बताते हैं कि इस मशरूम को 'सुपर मशरूम' का नाम दिया गया है। एक विशेष तरह के कंट्रोल एनवायरमेंट में इसे पैदा किया जाता है। उन्होंने गुरुग्राम में इसकी टेस्टिंग के लिए बाकायदा तीन लैब बनाई हुई हैं। अभी एक साल में दो सौ गज जमीन में सिर्फ 30 से 40 किलो स्पेशल मशरूम ही पैदा हो रही हैं। उनकी इच्छा इस पैदावार को बढ़ाकर महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में काम करने की है। निसंदेह पूरे प्रदेश में खेती होगी तो इसके आर्थिक फायदे भी हो सकेंगे। इस कार्य में प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के सलाहकार सुनील जागलान ने सहयोग की बीड़ा उठाया है।
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