Haryana News: संपत्ति ID सर्वे घोटाला मामले में लोकायुक्त ने CVO को किया तलब, शिकायतकर्ता को भी सुनवाई में रहने के दिए निर्देश
हरियाणा में संपत्ति आईडी सर्वे घोटाले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने प्रॉपर्टी सर्वे में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए शहरी निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) जेएस बोपाराय को तलब किया है। साथ ही शिकायतकर्ता पीपी कपूर को भी सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं। आरोप है कि सर्वे में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने प्रापर्टी आईडी सर्वे घोटाले में 12 आईएएस अधिकारियों व याशी कंपनी को क्लीन चिट देने वाले शहरी निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) जेएस बोपाराय को तलब किया है। साथ ही शिकायतकर्ता पीपी कपूर की मौजूदगी को जरूरी मानते हुए 11 सितंबर को केस की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।
लोकायुक्त में मामला जाने के बाद प्रदेश सरकार पिछले साल 12 सितंबर को याशी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर करीब चार करोड़ रुपये की पेमेंट रोक चुकी है। याची ने पिछले वर्ष 19 जुलाई को लोकायुक्त कोर्ट में आरटीआई दस्तावेजों सहित लिखित शिकायत देकर संबंधित आईएएस अधिकारियों व सर्वे कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
आरोप है कि सर्वे में बड़ा घोटाला होने के बावजूद फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना अधिकारियों ने साइन आफ सर्टिफिकेट जारी कर सर्वे कंपनी को करीब 63 करोड़ रुपये की पेमेंट करवा दी। सही सर्वे नहीं होने के कारण आज तक लोग धक्के खा रहे हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरो से की विस्तृत जांच की मांग
लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने शिकायत पर एक्शन लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो से प्राथमिक जांच रिपोर्ट लेने के बाद शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। इस पर छह मई को जांच रिपोर्ट में विभाग के चीफ विजिलेंस आफिसर ने सर्वे कंपनी सहित सभी आरोपित आईएएस अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता पीपी कपूर ने इस जांच रिपोर्ट को गलत बताते हुए घोटाले की एंटी करप्शन ब्यूरो से विस्तृत जांच कराने की मांग की, जिस पर लोकायुक्त ने निकाय के सीवीओ को तलब कर सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
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प्रॉपर्टी सर्वे को लेकर हर महीने आ रही हैं 1.25 लाख शिकायतें
सीवीओ की जांच रिपोर्ट के अनुसार, सभी 88 शहरों में कुल 42 लाख 70 हजार 449 संपत्तियों का सर्वे किया गया। इनमें से करीब आधी संपत्तियां यानी 21.35 लाख संपत्तियां तो खाली प्लाट, निर्माणाधीन या बंद पड़े भवन थे। फिर भी अधिकारियों ने सर्वे कंपनी को इन सबका भुगतान कर दिया, जबकि पहले सभी संपत्तियों के दसवें हिस्से की फिजिकल वेरिफिकेशन की जानी चाहिए थी।
प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का डेटा 16 नवंबर 2022 को एनडीसी पोर्टल पर ऑनलाइन करने के बाद से पिछले साल 21 मार्च तक 15 माह में कुल आठ लाख दो हजार 480 संपत्ति मालिकों ने कुल 18 लाख 74 हजार 676 आपत्तियां दर्ज कराईं । यानी हर महीने औसतन 52 हजार 523 संपत्ति मालिकों ने कुल सवा लाख आपत्तियां दर्ज करवाईं । आरोप है कि घोटाले में संलिप्त 12 आईएएस अधिकारियों को बचाने के लिए याशी कंपनी को क्लीन चिट दी गई है।
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