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58 साल का हुआ हरियाणा, खुद को तपाकर बनाया सोना; विकास के मामलों में बड़े भाई पंजाब को छोड़ा पीछे

हरियाणा ने अपने गठन के बाद से ही कई चुनौतियों का सामना किया है लेकिन आज यह देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। कृषि उद्योग बुनियादी ढांचा शिक्षा खेल संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में हरियाणा ने उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि अभी भी कुछ चुनौतियां हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरियाणा गठन की घोषणा की।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 31 Oct 2024 12:05 PM (IST)
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विकास के मामलों में बड़े भाई पंजाब को पीछे छोड़ा पंजाब।
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। मैं हरियाणा हूं...पूरे 58 बरस का। एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग हुआ तो खुद की पहचान का मोहताज था। बंजर भूमि...न सिंचाई के लिए पानी और न रोजगार के ज्यादा अवसर था...सिर्फ जज्बा और जुझारूपन, जिससे हर कदम पर खुद को साबित किया।

खुद को तपाकर बंजर भूमि को भी सोना बना दिया है। आज न केवल प्रगति में पंजाब से काफी आगे निकल गया हूं, बल्कि छोटे राज्यों के गठन पर सवाल उठाने वाले अधिकतर बड़े राज्यों को भी पछाड़ दिया है।

पेट भरने में मेरी भूमिका किसी से छिपी नहीं

गेहूं और चावल से देशवासियों का पेट भरने में मेरी भूमिका किसी से छिपी नहीं। सेना में हर दसवां जवान मेरा है। प्रति व्यक्ति आय में दिल्ली, तेलंगाना और कर्नाटक के बाद चौथे नंबर पर हूं। खेलों में भी बेजोड़। 12 जून, 1966 का वह दिन भुलाए नहीं भूलता, जब आकाशवाणी पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरियाणा गठन की घोषणा की।

इसके बाद 7 सितंबर 1966 को संसद द्वारा विधेयक पारित कर दिया गया और 18 सितंबर को राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर भी कर दिए। फिर एक नवंबर को 1966 को वह घड़ी आ गई, जब चुनौतियों भरे नए सफर की शुरुआत हुई।

केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में अन्न का योगदान देने में दूसरा स्थान

किसानों ने मेहनत करके बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया। तब से अब तक धान की उपज सात गुना बढ़ी है, जबकि गेहूं की पैदावार करीब चार गुना बढ़ गई है। खेल, शिक्षा, संस्कृति सहित विकासात्मक गतिविधियों में हरियाणा दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन रहा है।

केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में अन्न का योगदान देने में दूसरा स्थान है। इसी तरह ईज आफ डूइंग बिजनेस, ई-वे बिल, निर्यात और जीएसटी संग्रहण में हरियाणा अग्रणीय राज्यों में खड़ा है।

पंजाब से आगे निकलाआर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के अनुसार हरियाणा की सापेक्ष प्रति व्यक्ति आय पंजाब की 106.7 प्रतिशत के मुकाबले 176.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी हिस्सेदारी 2023-24 में अपने मूल राज्य से अधिक है।

पंजाब की प्रति व्यक्ति आय 1970-71 में राष्ट्रीय औसत के 169 प्रतिशत पर पहुंच गई थी जो 2023-24 में घटकर राष्ट्रीय औसत के 106.7 प्रतिशत पर आ गई। वहीं, आर्थिक उदारीकरण के बाद हरियाणा की सापेक्ष प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ी और 2023-24 में 176.8 प्रतिशत तक पहुंच गई।

वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय तीन लाख 25 हजार हो गई है जो राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय एक लाख 85 हजार 854 से करीब दोगुणी है। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी की बात करें तो 1970-71 तक पंजाब की हिस्सेदारी 4.4 प्रतिशत और हरियाणा की 2.7 प्रतिशत थी। वर्ष 2023-24 में पंजाब की हिस्सेदारी घटकर 2.4 प्रतिशत तक रह गई है, जबकि भारत की जीडीपी में हरियाणा की हिस्सेदारी 3.6 प्रतिशत है।

लाहौर में उठी थी अलग हरियाणा की मांग

दरअसल हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग सबसे पहले 1923 में स्वामी सत्यानंद ने लाहौर (पाकिस्तान) में की थी। इसके बाद दीनबंधु सर छोटूराम की अध्यक्षता में मेरठ में आल इंडिया स्टूडेंट्स की कांफ्रेंस में हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग उठी।

देशबंधु गुप्ता, पंडित नेकीराम शर्मा और पंडित श्रीराम शर्मा ने अलग हरियाणा के लिए प्रयास किए। 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिनमें हरियाणा क्षेत्र से चौधरी देवीलाल सहित कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए।

अलग राज्य बनवाने के लिए चौ. देवीलाल व चौ. चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया।

1953 में चौ. देवीलाल ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी। 1955 में अकाली नेताओं ने धर्म के आधार पर पंजाब को बांटने की मांग रखी।

केंद्र सरकार ने पार्लियामेंटरी कमेटी की सिफारिशों को सिद्धांतिक आधार पर स्वीकार कर लिया तथा 23 अप्रैल 1966 को तीनों राज्यों के अलग-अलग गठन के लिए पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया। आयोग की सिफारिशों पर एक नवंबर 1966 को हरियाणा को अलग राज्य की मान्यता दे दी गई।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का मिला पूरा लाभ

दिल्ली को तीन तरफ से घेरे हुए हरियाणा को राष्ट्रीय राजधानी का खूब लाभ मिला। केएमपी ग्लोबल कारिडोर, गुरुग्राम में ग्लोबल सिटी, नारनौल में मल्टी माडल लाजिस्टिक हब और हिसार एयरपोर्ट जैसी परियोजनाओं से विकास को पंख लगेंगे।

गो ग्लोबल की थीम के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन, ग्लोबल इन्वेस्टमेंट, विदेशी प्लेसमेंट का असर है कि प्रदेश निर्यात तैयारी सूचकांक में शीर्ष स्थान पर है तो उपभोक्ता व्यय और माडर्न रिटेल में 26 प्रतिशत भागीदारी के साथ देशभर में प्रथम स्थान पर है।

वृद्धिशील प्रदर्शन के लिए बनाए गए एजुकेशन इंडेक्स में भी हरियाणा पहले स्थान पर है। कृषि, आटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण, कपड़ा उद्योग, फार्मेसिटिकल एंड केमिकल, लाजिस्टिक्स तथा विनिर्माण सामग्री के क्षेत्र में सबसे अग्रणी राज्य है।

रेल-सड़क मार्गों के बेहतर ढांचे से सुगम हुआ सफर

प्रदेश का हर जिला राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ चुका है। 34 नेशनल हाईवे यहां से गुजरते हैं। इसी तरह स्टेट हाईवे और जिला सड़कों का जाल बिछा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चारों तरफ कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) और कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) एक्सप्रेस-वे यातायात को सुगम बनाते हैं।

अंबाला-कोटपूतली ग्रीन फील्ड कारिडोर (152-डी) ने दक्षिण हरियाणा से चंडीगढ़ की दूरी कम कर दी है तो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे ने राजस्थान-गुजरात की ओर सफर आसान कर दिया है।

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बनने वाला दिल्ली-कटरा-अमृतसर एक्सप्रेस-वे हरियाणा में झज्जर से शुरू होगा और रोहतक, सोनीपत, करनाल, जींद जिलों से होते हुए कैथल जिले में पंजाब की सीमा पर खत्म होगा। इससे छह जिलों के लोगों को सीधा फायदा होगा।

इतना ही नहीं, हरियाणा से जल्द ही दूसरे शहरों के लिए उड़ानें शुरू होंगी। हिसार में महाराजा अग्रसेन के नाम पर निर्मित प्रदेश के पहले हवाई अड्डे को तेजी से विकसित किया जा रहा है। इसी तरह अंबाला हवाई अड्डे का निर्माण कार्य जल्द सिरे चढ़ेगा।

रेल ट्रैक की बात करें तो रोहतक में देश की पहली एलिवेटेड रेलवे लाइन का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि कुरुक्षेत्र में एलिवेटेड रेलवे लाइन का काम चल रहा है। 50 रेलवे ऊपरगामी व भूमिगत पुलों का कार्य प्रगति पर है।

दिल्ली से गुरुग्राम और बहादुरगढ़ के बाद अब वाईएमसीए चौक से बल्लभगढ़, बहादुरगढ़-मुंडका (दिल्ली), बदरपुर-मुजेसर (वाईएमसीए चौक) व सिकंदरपुर स्टेशन से सेक्टर-56 तक मेट्रो रेल सेवा शुरू होने से सफर आसान हुआ है।

डिजीटल हरियाणा में सुधरा सिस्टमआधारभूत ढांचे और औद्योगिक विकास की बात हो या जनकल्याण से जुड़ी योजनाओं की, या फिर खेल और शिक्षा क्षेत्र की, हरियाणा अग्रिम पंक्ति के राज्यों में शामिल है।

विशेषकर डिजिटल हरियाणा में जिस तरह तकनीक के प्रयोग से लगातार सरकारी सिस्टम में सुधार आता जा रहा है और अंत्योदय तक योजनाओं का लाभ पहुंचना सुनिश्चित हुआ है, वह प्रशंसनीय है।

परिवार पहचान पत्र, स्वामित्व योजना, कर्मचारियों की आनलाइन स्थानांतरण नीति सहित दर्जनों योजनाएं हैं, जिनसे व्यवस्था में खासा सुधार आया है। योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति तक पहुंचे, यह पूरी तरह सुनिश्चित करना होगा।

उपलब्धियां अपार, चुनौतियां भी नहीं कम

हरियाणा की विकास गाथा में उपलब्धियां बेशुमार हैं तो चुनौतियां भी कुछ कम नहीं हैं। हरियाणा और पंजाब के बीच विवादित मुद्दों को सुलझाना होगा जिनमें एसवाईएल नहर, राजधानी चंडीगढ़, पंजाब विश्वविद्यालय से हरियाणा को कालेजों की संबद्धता, अलग विधानसभा परिसर और अलग हाई कोर्ट बड़ा मुद्दा है।

छह दशक से लटके आ रहे इन मुद्दों को सुलझाना मुश्किल जरूर है मगर असंभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसवाईएल पर हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाने के बावजूद नहर निर्माण से इन्कार कर रहे पंजाब को हठधर्मिता छोड़कर सकारात्मक रूख दिखाना चाहिए। केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह मजबूत हस्तक्षेप कर विवादित मुद्दों को सुलझाने में महती भूमिका निभाए।

सिंघु घाटी की सभ्यता से जुड़ा इतिहासहरि का आना यानी हरियाणा की समृद्ध प्राचीन संस्कृति और विरासत है। हिसार स्थित बानावाली और राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहे हैं, जो कि 5000 साल से भी पुराने हैं। प्राचीन वैदिक सभ्यता भी सरस्वती नदी के तट के आसपास फली फूली। ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं हुई है।

सरकारों के विजन, दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति से पाया मुकाम

हरियाणा के विकास गाथा में मुख्यमंत्रियों के विजन, दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति का अहम योगदान रहा है। शुरुआती दौर में प्रथम मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा और फिर राव बीरेंद्र सिंह ने चुनौतियों का मुकाबला करते हुए नए संसाधन जुटाने के प्रयास शुरू किए।

चौधरी बंसीलाल ने 1970 के दशक में हर गांव तक सड़क और बिजली पहुंचाने और उठान सिंचाई द्वारा मरुक्षेत्र में भी पानी पहुंचाया। इसके बाद बनारसी दास गुप्ता ने विकास की गति को रफ्तार दी।

चौधरी देवीलाल ने 1980 के दशक में हर बुजुर्ग को 100 रुपये प्रतिमाह वृद्धावस्था सम्मान पेंशन देकर नई पहल शुरू की तो चौधरी भजन लाल ने ‘अपनी बेटी-अपना धन’ जैसी अनूठी योजना को लागू करके कन्या भ्रूणहत्या को रोकने का प्रयास किया।

ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा को वैट लागू करने वाला प्रथम प्रदेश बनाया और ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम शुरू किया। मास्टर हुकुम सिंह ने राजनीति को सादगी के नए आयाम दिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज में आधारभूत ढांचे तथा खेल क्षेत्र में कई उपलब्धियां प्राप्त हुईं।

मनोहर लाल की सरकार में हरियाणा कैरोसीन मुक्त, खुले में शौच मुक्त और पढ़ी-लिखी पंचायतों वाला पहला राज्य बन गया। ई-गवर्नेंस से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा और लोगों को घर बैठे सरकारी सेवाओं का लाभ मिल रहा है।

वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सैनी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। बिना खर्ची-बिना पर्ची नौकरी देने का हरियाणा ने दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण पेश किया है।

सामाजिक मापदंडों पर काफी काम करना बाकी

राज्य में आर्थिक विकास तो बहुत हुआ, लेकिन सामाजिक विकास के मापदंडों पर अभी बहुत कुछ करना है। कन्या भ्रूण हत्या, शिशु एवं मातृ मृत्यृ दर, बच्चों और महिलाओं का कुपोषण और अनीमिया को कम करने तथा महिला सुरक्षा पर और अधिक कार्य करने की जरूरत है।

किसानों की आय, शिक्षा व कौशल के स्तर को बढ़ाने और जल संचय और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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