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आचार्य देवव्रत की मुहिम रंग लाई, प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगा हरियाणा

आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। उनकी मुहिम अब रंग ला रही है। हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगी। प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए हिसार सिरसा और जींद में तीन केंद्र खुलेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 24 Nov 2022 03:55 PM (IST)
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प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगा हरियाणा। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की मुहिम आखिरकार रंग ले आई है। हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर तैयार करेगी। अभी तक कहीं भी प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक रिसर्च पेपर उपलब्ध नहीं हैं। हरियाणा ने इस दिशा में पहल करते हुए रिसर्च पेपर तैयार करने के लिए चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) हिसार को जिम्मेदारी सौंपी है।

कृषि विभाग के अधिकारी एचएयू के कुलपति और रिसर्च निदेशख से बातचीत कर उन्हें रिसर्च पेपर तैयार कराने में सहयोग देंगे। इस कार्य में आचार्य देवव्रत के नेतृत्व वाले गुरुकुल कुरुक्षेत्र का भी सहयोग लिया जाएगा। वहां अब तक का सबसे बड़ा प्राकृतिक खेती का केंद्र है, जिसका संचालन आचार्य देवव्रत की देखरेख में होता है।

प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए तीन नए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। अभी तक गुरुकुल कुरुक्षेत्र और करनाल के घरौंडा में दो प्रशिक्षण केंद्र संचालित हैं। जो तीन नए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होंगे, वह चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार, जींद के हमेटी और सिरसा के मंगियाणा में बनेंगे।

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने वीरवार को कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की रणनीति पर चर्चा की। साथ ही अभी तक किए गए कार्यों की समीक्षा कर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्रयासों से पूरे देश में प्राकृतिक खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस काम में पहल की। आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत समूचे मंत्रिमंडल की आपस में बैठक हो चुकी है।

गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री भी आचार्य देवव्रत के गुरुकुल कुरुक्षेत्र का दौरा कर प्राकृतिक खेती का तौर-तरीका समझ चुके हैं। केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के प्रविधान किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह स्वयं चाहते हैं कि देश का किसान प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़े। हरियाणा के बाद गुजरात, हिमाचल और उत्तर प्रदेश सरकार भी प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने को लेकर गंभीर है।

मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खानपान को बदलना है। इसके लिए खाद्यान ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा। किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर खंड में एक प्रदर्शनी खेत में प्राकृतिक खेती करवाई जाएगी।

अब तक पांच जिलों में इस प्रकार के प्रदर्शनी खेत तैयार किए जा चुके हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल में प्रदेश सरकार ने पोर्टल लांच किया था, जिस पर प्राकृतिक खेती अपनाने के इच्छुक किसान अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। अब तक इस पोर्टल पर 2992 किसानों ने अपना पंजीकरण करवाया है।

1201 किसानों ने रबी सीजन के दौरान प्राकृतिक खेती करने के लिए अपनी सहमति प्रदान की है। 405 एटीएम, बीटीएम तथा 119 प्रगतिशील किसान मास्टर ट्रेनर के रूप में अन्य किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। 151 युवाओं को भी इस खेती की पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया है।

देसी गाय और चार ड्रमों की खरीद पर मिलेगा अनुदान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मिशन को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सहयोग देने का निर्णय लिया है। देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये तक की सब्सिडी व प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रमों के लिए हर किसान को तीन हजार रुपये दिये जाएंगे। ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है।

प्राकृतिक खेती के उत्पादों की पैकिंग सीधे किसानों के खेतों से ही हो, ऐसी योजना भी तैयार की गई है, ताकि बाजार में ग्राहकों को इस बात की शंका न रहे कि यह प्राकृतिक खेती का उत्पाद है या नहीं। बैठक में कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा और कृषि विभाग के महानिदेशक हरदीप सिंह शामिल हुए।

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