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हरियाणा: सामान्य वर्ग में शादी करने वाली दूसरे राज्यों की महिलाओं को अब नहीं मिलेगा यह बड़ा लाभ, जानिए क्यों हुआ ऐसा?

हरियाणा में सामान्य वर्ग के पुरुष से विवाह करने वाली दूसरे राज्यों की अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग की महिलाओं को स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। राज्य चुनाव आयोग ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। दूसरे प्रदेशों द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र के सहारे हरियाणा में आरक्षित सीटों पर निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 03 Nov 2024 09:38 PM (IST)
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सामान्य वर्ग में शादी करने वाली दूसरे राज्यों की महिलाओं को अब नहीं मिलेगा यह बड़ा लाभ।
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में सामान्य वर्ग के पुरुष से शादी करने वाली दूसरे राज्यों की अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग की महिलाओं को स्थानीय निकायों के चुनावों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। दूसरे प्रदेशों द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र के सहारे हरियाणा में आरक्षित सीटों पर निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र अनिवार्य रहेगा। निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य चुनाव आयोग ने इस संबंध में सभी उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिए हैं। दरअसल कई जिला उपायुक्तों ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या किसी अन्य राज्य का अनुसूचित जाति का व्यक्ति हरियाणा में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण का लाभ ले सकता है या नहीं।

'अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को वैध माना जाएगा'

इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने विधि एवं विधायी विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था कि यदि हरियाणा से संबंधित आरक्षित या अनारक्षित श्रेणी का कोई पुरुष किसी अन्य राज्य की अनुसूचित जाति की महिला से विवाह करता है और वह जाति हरियाणा में अनुसूचित जातियों की सूची में भी शामिल है, तो क्या वह महिला प्रदेश में शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का लाभ ले सकती है।

यदि हां तो क्या चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर किसी अन्य राज्य द्वारा जारी अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को वैध माना जाएगा या इसके लिए हरियाणा राज्य द्वारा जारी अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी।

'आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए'

विधि एवं विधायी विभाग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए आदेशों का विश्लेषण करते हुए राज्य चुनाव आयोग को सलाह दी है कि किसी विसंगति, भ्रम या मुकदमेबाजी से बचने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित व्यक्ति, जिसके पास किसी अन्य राज्य द्वारा जारी अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र है, तो उसे किसी भी कारण से हरियाणा राज्य में प्रवास करने के कारण बावजूद आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए।

ऐसे व्यक्ति प्रदेश में अनुसूचित जाति का लाभ और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण के लिए आवेदन करने हेतु पात्र नहीं होंगे। इस प्रयोजन के लिए केवल हरियाणा राज्य के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र ही वैध होगा।

विधि एवं विधायी विभाग की सलाह के बाद राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देशित किया है कि इन निर्देशों से रिटर्निंग, सहायक रिटर्निंग अधिकारियों तथा भविष्य में होने वाले नगर पालिका चुनावों के समय चुनाव ड्यूटी पर तैनात अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को अवगत कराया जाए ताकि नियम का कड़ाई से अनुपालन किया जा सके।

आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने की पात्र

हरियाणा में अगर अनुसूचित जाति की कोई महिला सामान्य वर्ग के पुरुष से शादी करती है तो भी उसे आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। चूंकि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार अनुसूचित जाति को आरक्षण का लाभ मूल राज्य में ही दिया जा सकता है, इसलिए दूसरे राज्यों के पुरुष या महिलाएं हरियाणा में निवास के बावजूद चुनावों में आरक्षण के पात्र नहीं होते।

पूर्व में कई मामले सामने आते रहे हैं जब पंचायत और स्थानीय निकायों में एससी वर्ग की आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने के लालच में सामान्य वर्ग के पुरुषों ने दूसरे प्रदेश की एससी महिला से शादी कर ली और प्रदेश में चुनाव भी लड़ा दिया। लगातार बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर राज्य चुनाव आयोग ने अब इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं।

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