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दीवाली के बाद दमघोंटू हुई हरियाणा की हवा, खतरनाक स्तर पर पहुंचा AQI, सांस लेने लायक नहीं हैं ये 9 शहर

हरियाणा में दिवाली के जश्न और पराली जलाने से वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है। नौ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 तक पहुंच गया है। हिसार और कुरुक्षेत्र में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। सरकार ने रात को सिर्फ दो घंटे आतिशबाजी की स्वीकृति दी थी लेकिन लोगों ने जमकर पटाखे छुड़ाए। इससे पूरा हरियाणा एक तरह से गैस चैंबर में तब्दील हो गया।

By Sudhir Tanwar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 01 Nov 2024 07:54 PM (IST)
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दीवाली और पराली जलाने की वजह से हरियाणा की वायु गुणवत्ता खराब हो गई है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में दीपावली पर हुई आतिशबाजी के धुएं में पराली (धान के फसल अवशेष) की आग भी घुल गई है। दीपावली और हरियाणा दिवस की सरकारी छुट्टियों का फायदा उठाते हुए किसानों ने दो दिन में 77 स्थानों पर पराली में आग लगा डाली।

दीपावली पर जमकर हुई आतिशबाजी और पराली के धुएं से मिलकर हुआ प्रदूषण चरम पर पहुंच गया। नौ शहरों अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, यमुनानगर, जींद, कुरुक्षेत्र, पंचकूला और रोहतक में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 तक पहुंच गया।

हिसार और कुरुक्षेत्र में वायु गुणवत्ता बेहद खराब

दीपावली पर सरकार ने रात को सिर्फ दो घंटे आतिशबाजी की स्वीकृति दी थी, लेकिन शाम सात से रात 12 बजे तक लोगों ने जमकर पटाखे छुड़ाए। इससे पूरा हरियाणा एक तरह से गैस चैंबर में तब्दील हो गया।

हिसार और कुरुक्षेत्र में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और पीएम-10 दोनों ही 500 के पार पहुंच गए। यह इतना खतरनाक है कि घर से बाहर निकलने पर स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ सकता है। 400 से अधिक एक्यूआई होने पर प्रत्येक व्यक्ति एक दिन में 25-30 सिगरेट के बराबर धुआं अपने शरीर में ले रहा है।

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इसी तरह 300-350 एक्यूआई में सांस लेना एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है, जिसका स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। पीएम 2.5 वायुमंडलीय कण पदार्थ (पीएम) को संदर्भित करता है, जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, जो मानव बाल के व्यास का लगभग तीन प्रतिशत है। आमतौर पर पीएम 2.5 के रूप में लिखे जाने वाले इस वर्ग के कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है।

पंजाब में रिकॉर्ड पराली जलने से बिगड़े हालात

हरियाणा में दीपावली पर 42 तो हरियाणा दिवस पर 35 स्थानों पर पराली जलाई गई, जो 15 अक्टूबर के बाद उच्चतम स्तर है। वहीं, पंजाब के किसानों ने दो दिन में 1071 स्थानों पर पराली जला डाली। दीपावली के दिन पंजाब में 484 तो अगले ही दिन 537 स्थानों पर पराली का धुआं उठा। पड़ोसी प्रदेश में मौजूदा सीजन में इससे पहले कभी इतनी पराली नहीं जली थी।

पिछले 24 घंटों में उत्तर प्रदेश में 67, राजस्थान में 68 और मध्य प्रदेश में 226 किसानों ने पराली में आग लगाई है। इस दौरान कुल पूरे उत्तर भारत में 983 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं। उत्तर भारत में इस साल अभी तक 8515 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। हरियाणा में जहां 819 स्थानों पर पराली जलाई गई है, वहीं पंजाब में 3537 स्थानों पर पराली जली है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 1185, राजस्थान में 956, दिल्ली में 12 और मध्य प्रदेश में 2006 स्थानों पर पराली में आग लगाई गई है।

पराली जलाने वाले 183 किसानों पर हुआ FIR

हरियाणा में अभी तक पराली जलाने वाले कुल 579 किसानों पर रेड एंट्री की कार्रवाई हुई है, जिस कारण वे अगले दो साल तक अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाएंगे। 183 एफआईआर दर्ज कर 365 किसानों के चालान किए गए हैं। इसके अलावा आठ नोडल अधिकारियों को निलंबित कर 63 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस थमाए गए हैं।

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