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Haryana: प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर HC ने जताई चिंता, महाधिवक्ताओं से इस मामले में मांगी सलाह

घर से भाग कर आए प्रेमी जोड़ों द्वारा सुरक्षा याचिकाओं की बढ़ती संख्या को लेकर HC ने चिंता जाहिर की। हाई कोर्ट ने इसके लिए पंजाब हरियाणा के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ से समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर सहायता मांगी है। हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य और कानूनी सहायता वकील से सवाल किया कि क्या इसे व्यवस्थित करने के लिए कोई तंत्र बनाया जा सकता है।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak SaxenaUpdated: Tue, 23 Jan 2024 05:33 PM (IST)
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प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर HC ने जताई चिंता।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को घर से भाग कर आए प्रेमी जोड़ों द्वारा सुरक्षा याचिकाओं की बढ़ती संख्या को व्यवस्थित करने के लिए पंजाब, हरियाणा के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ से इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा है।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि पंजाब, हरियाणा के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ से अनुरोध है कि वे विशेष रूप से समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर, समाज के सार्वजनिक हित में, क्या ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या को व्यवस्थित करने के लिए कोई मानक संचालन तैयार किया जा सकता है।

सुरक्षा याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने जाहिर की चिंता

लगभग प्रतिदिन सुरक्षा याचिकाएं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य और कानूनी सहायता वकील से सवाल किया कि क्या इसे व्यवस्थित करने के लिए कोई तंत्र बनाया जा सकता है क्योंकि जोड़े अपनी शादी के अगले दिन सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट में दौड़ रहे है।

हाई कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब एक समलैंगिक लड़की ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, साथ ही अपने साथी प्रेमिका की सुरक्षा की मांग की, जिसके परिवार ने कथित तौर पर उसे अवैध हिरासत में रखा था।

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समलैंगिक लड़की ने भी दायर की थी याचिका

याचिकाकर्ता समलैंगिक लड़की ने दायर याचिका में कहा गया है कि प्रेमिका के परिवार के सदस्य उसे अपनी पसंद के किसी व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर कर सकते हैं क्योंकि वे पहले ही ऐसा करने की धमकी दे चुके हैं या उसे घातक शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

इससे पहले, अदालत ने सवाल किया था कि क्या माता-पिता पर अपनी ही बेटी की अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगा सकता है क्योंकि कथित प्रेमिका उसके स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार नाबालिग थी और अदालत ने उसके माता-पिता के आश्वासन के साथ उसकी कस्टडी उनको दी थी।

गलत जन्मतिथि के पेश किए गए दो आधार कार्ड

पीठ ने कथित प्रेमिका के नाम पर दो आधार कार्ड की भी जांच करवाई थी। एक आधार कार्ड याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें कथित प्रेमिका को बालिग दर्शाया गया था और दूसरा आधार कार्ड कथित प्रेमिका के माता-पिता द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उसे नाबालिग दिखाया गया था।

बालिग और नाबालिग बताकर कोर्ट को किया गुमराह

कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता की ओर से गलत जन्मतिथि पेश करके इस कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में यूआईडीएआई ने सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज जमा किये जिसके आधार पर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आधार कार्ड को बनवाया किया गया था । दस्तावेज का अध्ययन करते हुए जस्टिस मौदगिल ने कहा दस्तावेज में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सील करने की आवश्यकता है, इसलिए इसे याचिकाकर्ता के साथ-साथ एमिकस क्यूरी के साथ भी साझा किया जा सकता है।

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