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Haryana: स्कूलों के प्रति अधिकारियों के रूखे रवैए पर हाईकोर्ट सख्त, शिक्षा विभाग को लगाया पांच लाख का जुर्माना

हरियाणा में स्कूलों के हालातों पर अधिकारियों की लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। इसके चलते हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही जुर्माने की राशि को महिला व बाल कल्याण विकास विभाग में जमा करवाने के आदेश जारी किए। जस्टिस विनोद भारद्वाज ने कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों की याचिका पर सुनवाई की।

By Dayanand SharmaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 07:53 PM (IST)
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स्कूलों के प्रति अधिकारियों के रूखे रवैए पर हाईकोर्ट सख्त।

राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी शिक्षा अधिकारियों द्वारा हरियाणा के स्कूलों के दशा पर गंभीरता से काम नहीं करने पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को पांच लाख रुपए जुर्माना लगाते हुए महिला व बाल कल्याण विकास विभाग में जमा करवाने का आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक को मामले की अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होने का भी आदेश दिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद भारद्वाज ने यह आदेश कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों की याचिका पर जारी किया।

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की शिक्षा विभाग से हलफनामा के माध्यम से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में जो आंकड़े व तथ्य सामने आये वो चौंकाने वाले हैं। शिक्षा विभाग द्वारा दिये गए हलफनामे के मुताबिक, हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के शौचालय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट को बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लास रूम की जरूरत है।

स्कूली बच्चों ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

याचिकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप रापड़िया और रिपु दमन बूरा ने हाई कोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शौच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे है और दूसरी तरफ स्कूलों में शौचालय और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।

हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे के मुताबिक जहां हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। वहीं, शिक्षा विभाग ने 10,675.99 करोड़ रूपये कि ग्रांट को बिना उपयोग किये सरकार को वापस भेज दिया।

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538 स्कूलों में छात्राओं के लिए नहीं शौचालय

हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है और धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक तरफ भारत सरकार ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ लड़कियों के 538 स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं ।

समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के दिए आदेश

हरियाणा सरकार की स्कूली बच्चों के हितों के प्रति संवेदनहीनता व हलफनामे के चौंकाने वाले आंकड़ों की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर पांच लाख रुपयों का जुर्माना लगाते हुए उनसे एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के आदेश दिए हैं।

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