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लोकसभा की टिकटों में हुड्डा की पसंद पर हाईकमान की मुहर, सोशल इंजीनियरिंग से सजाई विधानसभा की भी फिल्डिंग

कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों के आवंटन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद पर मुहर लगाई है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लगातार चार जाटों को टिकट मिलती रही है। वहीं इस बार दो पर दांव खेला गया है। करनाल लोकसभा सीट को छोड़कर बाकी सात सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी की तरह सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर मुहर लगाई है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Deepak Saxena Updated: Fri, 26 Apr 2024 04:55 PM (IST)
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लोकसभा की टिकटों में हुड्डा की पसंद पर हाईकमान की मुहर (फाइल फोटो)।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। करनाल लोकसभा सीट को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी सात सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा की तरह सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को अपनाते हुए टिकटों का आवंटन किया है। राज्य की सभी आठ सीटों पर टिकटों के आवंटन को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद पर मुहर लगाई है।

वहीं, हुड्डा ने जातीय समीकरण साधते हुए इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के हिसाब से अपने खास समर्थकों को चुनावी रण में उतारा है। हुड्डा का सोशल इंजीनियरिंग का यह फार्मूला लोकसभा चुनाव में तो काम आ ही सकता है, लेकिन साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का मजबूत आधार तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाला है।

हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं। कुरुक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई हुई है, जहां से आप के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। सुशील गुप्ता और भूपेंद्र हुड्डा की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। इसलिए हुड्डा कुरुक्षेत्र में सुशील गुप्ता की खुलकर मदद करेंगे। बाकी बची नौ लोकसभा सीटों में से गुरुग्राम पर अभी इसलिए पेंच फंसा हुआ है, क्योंकि यहां फिल्म अभिनेता राज बब्बर और पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।

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हुड्डा गुरुग्राम से राज बब्बर को चुनाव लड़वाना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस हाईकमान ने राहुल गांधी की पसंद स्वराज इंडिया पार्टी के संयोजक योगेंद्र यादव को टिकट देने की सोच रहे हैं। हुड्डा ने गुरुग्राम में कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद और हरियाणा कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज के नाम की भी पैरवी कर रखी है।

गुरुग्राम में भी हुड्डा की चलेगी पसंद

प्रदेश की बाकी आठ लोकसभा सीटों पर जिस तरह से हुड्डा की पसंद को महत्व दिया गया है, उससे साफ है कि गुरुग्राम में भी हुड्डा की पसंद-नापसंद को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अकेली ऐसी उम्मीदवार हैं, जो अपने स्वयं के बूते टिकट पाने में कामयाब रही हैं। बाकी सात सीटों पर हुड्डा की पसंद का पूरा ख्याल रखा गया है। हुड्डा ने सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से इस बार टिकटों का आवंटन किया है। साल 2009 में कांग्रेस ने चार जाट उम्मीदवारों सोनीपत से जितेंद्र मलिक, रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, भिवानी से श्रुति चौधरी और हिसार से जयप्रकाश जेपी को टिकट दिए थे, जिसमें से जेपी को छोड़कर बाकी तीनों जाट उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।

टिकट आवंटन में जातियों के संतुलन को अहमियत

इसी तरह साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर चार जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए, जिनमें हिसार से प्रो. संपत सिंह, भिवानी से श्रुति चौधरी, रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और सोनीपत से जगबीर मलिक ने चुनाव लड़ा था।

साल 2019 में भी कांग्रेस ने चार जाट उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा, जिनमें सोनीपत से स्वयं भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, भिवानी से श्रुति चौधरी और कुरुक्षेत्र से चौधरी निर्मल सिंह शामिल हैं। इस बार कांग्रेस खासतौर से हुड्डा ने दो जाट रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और हिसार से जय प्रकाश जेपी को टिकट देकर बाकी जातियों के उम्मीदवारों को टिकट आवंटन में अहमियत दी है।

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संजय भाटिया से बुरी तरह हारे थे कुलदीप, इसलिए कटा पत्ता

सिरसा व अंबाला में कुमारी सैलजा तथा वरुण मुलाना दोनों एससी एक ही कैटेगरी के उम्मीदवार हैं। कुरुक्षेत्र में वैश्य सुशील गुप्ता को पूर्व सीएम हुड्डा का मित्र माना जाता है। फरीदाबाद में पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह गुर्जर हैं। यहां हालांकि हुड्डा अपने रिश्तेदार करण सिंह दलाल को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस हाईकमान एक टिकट गुर्जर को देने के हक में था, इसलिए करण दलाल का टिकट कट गया, लेकिन महेंद्र प्रताप व करण दलाल दोनों ही हुड्डा गुट के माने जाते हैं।

सोनीपत में सतपाल ब्रहमचारी को टिकट देकर कांग्रेस ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है, जबकि करनाल में पंजाबी समुदाय के युवा नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दिया गया है। करनाल में हुड्डा पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के संजय भाटिया से कुलदीप शर्मा बहुत बुरी तरह से पराजित हुए थे, जिस कारण कांग्रेस हाईकमान कुलदीप शर्मा के नाम पर राजी नहीं हुआ।

बृजेंद्र सिंह को किया जाएगा राज्यसभा के लिए तैयार

रोहतक में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा अकेले दावेदार थे। हालांकि उन्हें टिकट देकर कांग्रेस ने अपनी राज्यसभा की एक सीट खतरे में डाल ली है, लेकिन हुड्डा को इसका कोई मलाल नहीं है। संकेत मिल रहे हैं कि यदि दीपेंद्र हुड्डा चुनाव जीतते हैं और उनकी राज्यसभा सीट खाली होती है तो पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को राज्यसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है। हालांकि विधायकों के संख्या बल के आधार पर राज्यसभा में भाजपा की जीत तय है, लेकिन किसी भी समीकरण के उलट-फेर होने की स्थिति में कोई न कोई खेल हो सकता है। हुड्डा भिवानी में राव दान सिंह के रूप में टिकट का आवंटन कराकर अहीरों को खुश करने में कामयाब रहे हैं, जिसका फायदा उन्हें रोहतक में भी मिलता दिखाई दे सकता है।

राव दान सिंह का फायदा दीपेंद्र को भी मिलेगा

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा करनाल में कुलदीप शर्मा व फरीदाबाद में करण सिंह दलाल को टिकट नहीं दिला पाने की वजह से हालांकि उन्हें कुछ स्थितियों में संतोष भी करना पड़ा है, लेकिन करनाल व फरीदाबाद में जो भी उम्मीदवार घोषित हुए हैं, वह हुड्डा के ही हैं। हुड्डा ने भिवानी में राव दान सिंह को टिकट देकर भाजपा के चौधरी धर्मबीर सिंह के मुकाबले गैर जाट कार्ड खेला है। हुड्डा ने पूरे प्रदेश में टिकटों का आवंटन इस तरह से जातीय संतुलन साधते हुए किया है, ताकि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पंजाबी, ब्राह्मण, दलित, अहीर, गुर्जर, वैश्य और जाटों का पूरा समर्थन हासिल किया जा सके।

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