लोकसभा की टिकटों में हुड्डा की पसंद पर हाईकमान की मुहर, सोशल इंजीनियरिंग से सजाई विधानसभा की भी फिल्डिंग
कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों के आवंटन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद पर मुहर लगाई है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लगातार चार जाटों को टिकट मिलती रही है। वहीं इस बार दो पर दांव खेला गया है। करनाल लोकसभा सीट को छोड़कर बाकी सात सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी की तरह सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर मुहर लगाई है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। करनाल लोकसभा सीट को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी सात सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा की तरह सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को अपनाते हुए टिकटों का आवंटन किया है। राज्य की सभी आठ सीटों पर टिकटों के आवंटन को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद पर मुहर लगाई है।
वहीं, हुड्डा ने जातीय समीकरण साधते हुए इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के हिसाब से अपने खास समर्थकों को चुनावी रण में उतारा है। हुड्डा का सोशल इंजीनियरिंग का यह फार्मूला लोकसभा चुनाव में तो काम आ ही सकता है, लेकिन साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का मजबूत आधार तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाला है।
हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं। कुरुक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई हुई है, जहां से आप के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। सुशील गुप्ता और भूपेंद्र हुड्डा की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। इसलिए हुड्डा कुरुक्षेत्र में सुशील गुप्ता की खुलकर मदद करेंगे। बाकी बची नौ लोकसभा सीटों में से गुरुग्राम पर अभी इसलिए पेंच फंसा हुआ है, क्योंकि यहां फिल्म अभिनेता राज बब्बर और पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।
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हुड्डा गुरुग्राम से राज बब्बर को चुनाव लड़वाना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस हाईकमान ने राहुल गांधी की पसंद स्वराज इंडिया पार्टी के संयोजक योगेंद्र यादव को टिकट देने की सोच रहे हैं। हुड्डा ने गुरुग्राम में कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद और हरियाणा कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज के नाम की भी पैरवी कर रखी है।
गुरुग्राम में भी हुड्डा की चलेगी पसंद
प्रदेश की बाकी आठ लोकसभा सीटों पर जिस तरह से हुड्डा की पसंद को महत्व दिया गया है, उससे साफ है कि गुरुग्राम में भी हुड्डा की पसंद-नापसंद को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अकेली ऐसी उम्मीदवार हैं, जो अपने स्वयं के बूते टिकट पाने में कामयाब रही हैं। बाकी सात सीटों पर हुड्डा की पसंद का पूरा ख्याल रखा गया है। हुड्डा ने सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से इस बार टिकटों का आवंटन किया है। साल 2009 में कांग्रेस ने चार जाट उम्मीदवारों सोनीपत से जितेंद्र मलिक, रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, भिवानी से श्रुति चौधरी और हिसार से जयप्रकाश जेपी को टिकट दिए थे, जिसमें से जेपी को छोड़कर बाकी तीनों जाट उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
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