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हरियाणा में निजी सेक्टर में हरियाणवियों को 75% आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक, सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की भाजपा जेजेपी सरकार को झटका दिया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के राज्य में निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 03 Feb 2022 06:38 PM (IST)
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 15 जनवरी से लागू रोजगार गारंटी कानून पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है और प्रदेश सरकार से इस पर जवाब मांगा है। रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्राविधान है। इस कानून को लागू कराने में प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।

राज्यपाल ने इस बिल को अपने पास रोक लिया था और मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मुलाकात के बाद मामूली संशोधन के बाद कानून पर अपने हस्ताक्षर किए थे। हरियाणा में रोजगार गारंटी कानून भाजपा व जजपा गठबंधन सरकार के संयुक्त साझा कार्यक्रमों का हिस्सा है। पहले यह कानून 50 हजार तक की नौकरियों पर लागू होना था, लेकिन उद्यमियों के साथ वार्ता के कई दौर के बाद प्रदेश सरकार इस कानून को 30 हजार रुपये तक की नौकरियों पर लागू करने के लिए मान गई थी।

इस कानून का सबसे अच्छा और लचीला पक्ष यह है कि तकनीकी पदों पर यदि हरियाणा के युवा अपनी मजबूत दावेदारी पेश नहीं कर पाते तो कंपनी को बाहर से कर्मचारी लेने का पूरा अधिकार है। गुरुग्राम व फरीदाबाद के कई औद्योगिक संगठनों ने इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई थी। इस कानून पर रोक को प्राइवेट सेक्टर की बड़ी जीत माना जा रहा है, लेकिन उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक ट्वीट के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि कानून के पक्ष में हरियाणा सरकार पूरी मजबूती के साथ हाई कोर्ट में लड़ाई लड़ेगी।

प्रदेश सरकार इस कानून को लागू कराने को लेकर कितनी गंभीर है, इसका पता तब चलता है, जब केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल तुषार मेहता गठबंधन सरकार की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए। हाई कोर्ट की डिविजन बैंच पर आधारित न्यायाधीश जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन ने कानून के अमल पर स्टे आर्डर जारी किया है। हाई कोर्ट के स्थगनादेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की जाएगी। एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन के कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है।

कानून की यह धारा उद्यमियों के हक में

इस बीच हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम तो सबको यह स्पष्ट होना चाहिए कि उपरोक्त कानून लागू होने के 10 वर्षों तक ही अस्तित्व में रह सकता है, जैसा कि इसकी मौजूदा धारा 1(4) में साफ उल्लेख है। हालांकि प्रदेश सरकार बिना कानून में संशोधन किए इसके दायरे में आने वाली प्राइवेट नौकरियों की अधिकतम वेतन सीमा को घटा सकती है, चूंकि इस कानून की धारा तीन और चार में प्रदेश सरकार इसके लिए पूर्णतया सक्षम है। कानून की धारा 2 (जी) में हरियाणा के लोकल युवा (उम्मीदवार) से अभिप्राय है कि वह हरियाणा राज्य का अधिवासी (डोमिसाइल) हो। 14 जनवरी 2021 को राज्य सरकार द्वारा हरियाणा के स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए यहां रहने की न्यूनतम अवधि को 15 वर्षों से घटाकर पांच वर्ष कर दिया है।

याचिका में यह दिए तर्क

फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व अन्य द्वारा दाखिल याचिका में आशंका जताई गई है कि नए कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है। प्रदेश सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है। आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति के तहत राज्य सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं। यह कानून उन युवाओं के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं। याचिका में बताया गया कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए पद्धति को शुरू करने का एक प्रयास है जो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा। यह कानून केंद्र सरकार की एक भारत श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत है। इसलिए इसे रद किया जाए।

हरियाणवी युवाओं के रोजगार के लिए लड़ते रहेंगे: दुष्यंत

जेजेपी नेता एवं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि हमारी भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ने उद्यमियों से बातचीत कर इस कानून को लागू किया है। यह कानून बहुत ही बढ़िया, सरल और लचीला है। उद्यमियों के सुझाव के बाद इस कानून को 30 हजार रुपये प्रति माह तक की नौकरियों पर ही लागू किया गया है। उद्यमियों के साथ बातचीत के दौर अभी भी जारी हैं और आगे भी जारी रहेंगे। हम कोर्ट में हरियाणवी युवाओं के रोजगार के अवसरों के लिए लड़ते रहेंगे।

रोजगार गारंटी कानून के लिए मजबूती से लड़ाई लड़ेगी सरकार

प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण के कानून पर रोक लगाए जाने के मामले में जननायक जनता पार्टी जरा भी विचलित नहीं है। जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा है कि इस कानून पर सिर्फ अभी रोक लगी है। हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। हम इसका जवाब देंगे। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि राज्य में यह कानून लागू नहीं होगा।

दिग्विजय चौटाला ने चंडीगढ़ में कहा कि जब भी किसी मामले में कोई याचिका दायर की जाती है तो आमतौर पर हाई कोर्ट स्टे लगाकर सरकार से जवाब मांगता है। यह कानून हरियाणा में कोई पहली बार नहीं बनाया गया है। कई और राज्यों में इस प्रकार का कानून लागू किया गया है। हरियाणा में भी हम इस कानून को लागू करेंगे और प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलवाने के लिए मजबूती से सरकार लड़ाई लड़ेगी।

दिग्विजय चौटाला के अनुसार भाजपा-जजपा गठबंधन द्वारा बनाए गए रोजगार गारंटी कानून में कहीं कोई कमजोरी नहीं है। यह बहुत ही मजबूत कानून है। प्रदेश की सरकार ने सभी से वार्ता कर इसे बनाया है। प्रदेश के युवा भी हमारे हैं और औद्योगिक इकाइयां भी हमारी हैं। हम सभी की शंकाओं का समाधान करेंगे। इसके लिए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने उद्यमियों की आशंकाओं का समाधान करने के लिए उनके साथ सेमीनार करने का ऐलान पहले ही कर रखा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट इस कानून के अमल पर लगी रोक हटाएगा।

कानून बनाने से पहले सरकार को बात करनी चाहिए थी: बजरंग

हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा है कि सरकार को 75 प्रतिशत रोजगार गारंटी कानून बनाने से पहले व्यापारी व उद्योगपतियों से विचार विमर्श करना चाहिए था। यह कानून बनाने से पहले ही हरियाणा में कई उद्योग ठप हो चुके थे। प्रदेश में नए उद्योग लगें, उसके लिए सरकार द्वारा उद्योगपतियों को बिजली के बिलों में 50 प्रतिशत सब्सिडी व उद्योग लगाने के लिए सस्ती जमीन उपलब्ध करानी चाहिए। बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार अगर व्यापारी, उद्योगपति, किसान, कर्मचारी व मजदूर से जुड़ा कोई कानून बनाती है तो उसके प्रतिनिधियों से बातचीत होनी जरूरी है। जब हरियाणा में नए उद्योग ही नहीं लगेंगे तो युवाओं को कैसे रोजगार मिलेगा।

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