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हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा चयनित कर्मचारियों को बर्खास्त करने के आदेश को हाई कोर्ट ने किया रद्द, की ये खास टिप्पणी

हरियाणा कौशल रोजगार निगम (Haryana Skill Employment Corporation) ने कम अनुभव के आधार पर कला शिक्षा सहायक के पद पर ज्वाइनिंग को खारिज कर दिया था इस मामले पर हाई कोर्ट ने कहा कि उचित आदेश पारित किए बिना या मौखिक आदेश और विचार किए बिना उम्मीदवारों का निहित अधिकार नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि भर्ती नीति के अनुसार विज्ञापन में केवल अनुभव ऐच्छिक था यह अनिवार्य नहीं था।

By Dayanand SharmaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sat, 28 Oct 2023 03:34 PM (IST)
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हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा चयनित कर्मचारियों को बर्खास्त करने के आदेश को हाई कोर्ट ने किया रद्द।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के तहत पदों पर नियुक्ति के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना और उचित आदेश पारित किए बिना चयनित उम्मीदवारों का निहित अधिकार नहीं छीना जा सकता है।

जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने यमुना नगर निवासी रणधीर सिंह और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं, जिनकी चयन के बाद कम अनुभव के आधार पर एचकेआरएनएल द्वारा कला शिक्षा सहायक के पद पर ज्वाइनिंग खारिज कर दी गई थी।

कम अनुभव के आधार पर नहीं कह सकते अवैध: हाईकोर्ट

हाई कोर्ट ने पाया कि यदि याचिकाकर्ताओं को केवल नीति में निर्धारित आवश्यक योग्यता के आधार पर कला शिक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था, तो इसे कम अनुभव के आधार पर अवैध या अनियमित नहीं कहा जा सकता है जो कि एक आवश्यक शर्त नहीं है।

पीठ ने कहा कि भर्ती नीति के अनुसार विज्ञापन में केवल अनुभव ऐच्छिक था यह अनिवार्य नहीं था। इसलिए कम अनुभव के कारण याचिकाकर्ताओं की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती थीं। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार यह नहीं बता सकी कि भर्ती के लिए क्या कोई अनुभवी उम्मीदवार उपलब्ध था, जिसे नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ताओं से पहले प्राथमिकता दी जा सकती थी।

मौखिक आदेश और विचार किए बिना नहीं छीना जा सकता: हाईकोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह इन कर्मचारियों के बर्खास्तगी के विवादित आदेश उचित नहीं हैं क्योंकि इन्हें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है। कला शिक्षा सहायकों के रूप में नियुक्त होने के बाद, याचिकाकर्ताओं के निहित अधिकार को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना, उनके जवाब पर विचार किए बिना और मौखिक आदेश पारित किए बिना नहीं छीना जा सकता था।

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हाई कोर्ट ने कहा कि इन बुनियादी आवश्यकताओं का पालन करने में विफलता के कारण निगम द्वारा पारित आदेश अवैध है और हाई कोर्ट निगम द्वारा पारित 31 अगस्त 2022 के आदेशों को रद्द करता है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सेवा में बहाल करने और बकाया वेतन को छोड़कर सभी लाभ जारी करने का भी निर्देश दिया।

बिना किसी कारण बताओ नोटिस के सेवाएं की गईं समाप्त

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उनको अगस्त 2022 में सरकार की मंजूरी से सृजित गैर-स्वीकृत पदों के खिलाफ नीति के तहत कला शिक्षा सहायकों के रूप में चुना गया था। इसके लिए योग्यता भी निर्धारित की गई थी कि आवेदक के पास बारहवीं कक्षा के साथ कला और शिल्प में दो वर्षीय डिप्लोमा हो। चयन के कुछ दिनों बाद ही 31 अगस्त, 2022 के आदेशों के तहत बिना किसी कारण बताओ नोटिस के उनकी सेवाओं को अचानक समाप्त कर दिया गया।

इस फैसले से दुखी होकर उन्होंने सरकार के फैसले को रद्द करने और उन्हें अपनी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से सभी लाभों के साथ अपने पदों पर फिर से नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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