Haryana: हरियाणवी को वीरता पुरस्कार विजेता का लाभ देने पर विचार करे सरकार, नौसैनिक की याचिका पर HC ने कही ये बात
हरियाणा सरकार से भारतीय नौसेना के एक पूर्व सैनिक द्वारा दायर याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि नकद पुरस्कार के दावे के लिए प्राधिकरण के समक्ष सभी सहायक दस्तावेजों के साथ आवेदन करे। वीरता पुरस्कार विजेता पूर्व नौ सैनिक के दिल्ली पुलिस में कार्यरत होने के चलते सरकार ने लाभ देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद नौसैनिक ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से भारतीय नौसेना के एक पूर्व सैनिक द्वारा दायर याचिका पर निर्णय लेने को कहा है, जिसे केवल इस आधार पर वीरता पुरस्कार विजेताओं को दिए जाने वाले लाभ से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि वह नौसेना छोड़ने के बाद दिल्ली में काम कर रहा था। हाई कोर्ट के समक्ष मुद्दा यह था कि क्या केवल व्यवसाय या दूसरे राज्य में नौकरी करने के कारण निवास स्थान परिवर्तन को हरियाणा के वीरता पुरस्कार विजेताओं को दी जाने वाले लाभ से वंचित किया जा सकता है।
सरकार के फैसले को नौ सैनिक ने हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता हरियाणा की लागू नीति के अनुसार, नकद पुरस्कार के दावे के लिए प्राधिकरण के समक्ष सभी सहायक दस्तावेजों के साथ आवेदन करे। याचिकाकर्ता द्वारा चार सप्ताह की अवधि के भीतर ऐसा कोई दावा दायर करने की स्थिति में, प्राधिकरण याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के बाद चार महीने की अवधि के भीतर एक तर्कसंगत और स्पष्ट आदेश पारित करेगा। यदि कोई राशि याचिकाकर्ता को देय पाई जाती है, तो उसे उसके बाद दो महीने की अवधि के भीतर जारी किया जाएगा।
सेवा के दौरान मिला नौ सेना पदक
हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने यह आदेश भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिक रोहतक जिले के निवासी चांद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किए हैं। याचिकाकर्ता 1969 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था और सितंबर 1986 तक वहां सेवा की थी। अपनी सेवा के दौरान उसे नौ सेना पदक से सम्मानित किया गया था और हरियाणा राज्य द्वारा अधिसूचित वीरता पुरस्कार योजना के अनुसार वह भूमि के बदले नकद पुरस्कार, वार्षिकी और मौद्रिक अनुदान का हकदार था।
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लाभ से इनकार को याचिकाकर्ता ने दी चुनौती
इसके बाद याचिकाकर्ता जनवरी 1988 में दिल्ली पुलिस में शामिल हो गया और अप्रैल 2013 तक वहां सेवा की। याची ने कहा कि वह हरियाणा राज्य का निवासी था और इस प्रकार वह वार्षिकी और अन्य मौद्रिक लाभ पाने का हकदार था। हालांकि, याचिकाकर्ता की अनुदान की पात्रता को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली पुलिस में सेवा शुरू कर दी थी। लाभ से इनकार को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि वह हमेशा से हरियाणा का स्थायी निवासी रहा है और केवल नौकरी के कारण अन्य राज्य में रह रहा है।
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