सांसदों-विधायकों के आपराधिक मामलों में देरी पर हाईकार्ट सख्त, सभी सेशन जजों से रिपोर्ट तलब
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली पीठ ने 18 सेशन जजों से रिपोर्ट मांगी है। न्यायालय ने इस तरह के मामलों जांच में देरी पर नाराजगी जताई है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्यों के वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की धीमी जांच और सुनवाई में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की अध्यक्षता में खंडपीठ ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अभी भी कई मामलों की जांच कई वर्षों से जारी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट के पूर्व आदेश के तहत हरियाणा व पंजाब के केवल 18 सेशन जज ने इस मामले में हाई कोर्ट को सीधे अपनी रिपोर्ट भेजी है। इस पर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के जिन सेशन जज ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है उनसे रिपोर्ट मंगवाएं। इसी के साथ कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 सितंबर तक स्थगित कर दी।
पिछली सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया था कि राज्य में वर्तमान या पूर्व सांसदों, विधायकों के खिलाफ कुल 13 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से एक एफआईआर वर्ष 2025 में दर्ज हुई थी, जिसमें चालान दाखिल किया जा चुका है, जबकि 11 मामलों में अब तक जांच जारी है।
चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि लोग आप पर निगाह रखे हुए हैं, अगर यह कोई आम आदमी होता, तो छह महीने में जांच पूरी कर जेल भेज दिया गया होता। इसी तरह पंजाब में भी वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कुल 28 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से अधिकतर हाल के वर्षों 2023 और 2024 में दर्ज किए गए हैं।
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