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Chandigarh News: समलैंगिक जोड़ा मामले में HC ने नाबालिग को परिजनों के साथ भेजा, याचिका की वैधता पर उठाए सवाल

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने समलैंगिक मामले में सुनवाई करते हुए लड़की को उसकी साथी को सौंपने से इनकार कर दिया है। साथ ही परिजनों के साथ ही भेजने का आदेश दिया है। आधार अथॉरिटी को कथित बंधक लड़की की आयु से जुड़े दस्तावेज सील कवर में सौंपने का आदेश दिया है। साथ ही नाबालिग के बयान के आधार पर उसकी कस्टडी के दावे पर अगली सुनवाई में बहस होगी।

By Anurag Aggarwa Edited By: Deepak SaxenaUpdated: Mon, 15 Jan 2024 10:03 PM (IST)
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समलैंगिक जोड़ा मामले में HC ने नाबालिग को परिजनों के साथ भेजा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। समलैंगिक लड़की को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उसकी साथी को सौंपने से इनकार करते हुए परिजनों के साथ भेजने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया हरदोई से लाकर हाई कोर्ट में पेश की गई लड़की को नाबालिग माना और सहमति संबंध मे रहने की दलील देने वाली याचिकाकर्ता को कस्टडी से जुड़े दावे के संबंध में अगली सुनवाई पर दलीलें पेश करने का आदेश दिया है।

यूपी के हरदोई की लड़की को कोर्ट में किया पेश

सोमवार को पंचकूला पुलिस ने कोर्ट के आदेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से लाई गई लड़की को अदालत में पेश किया। याचिका दाखिल करने वाली लड़की ने अपनी सहमति संबंध साथी को परिजनों की अवैध हिरासत में बताया था और अदालत के आदेश पर लड़की को हाई कोर्ट में पेश किया गया। लड़की ने हाई कोर्ट में स्पष्ट कहा कि वह अपनी सहमति संबंध से साथी के साथ रहना चाहती है और परिजनों के साथ नहीं जाना चाहती।

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि फिलहाल हमारे पास युवती का हरदोई के स्कूल की ओर से जारी प्रमाणपत्र है, जिसके अनुसार वह बालिग नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट ने लड़की को परिजनों को सौंपने का आदेश दिया जाता है।

लड़की के दो आधार कार्ड मौजूद

हाई कोर्ट ने आधार अथॉरिटी के वकील को बताया कि वर्तमान में हाई कोर्ट के रिकॉर्ड पर कथित तौर पर बंधक बनाई गई लड़की के दो आधार कार्ड मौजूद हैं। अगली सुनवाई पर वह दस्तावेज सील कवर में हाई कोर्ट में सौंपे जाएं, जिसके आधार पर जन्म तिथि में संशोधन किया गया।

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हाईकोर्ट ने लगाई परिजनों को फटकार

सुनवाई के दौरान बंधक बताई गई लड़की से हाईकोर्ट ने पूछा कि वह क्या करती है तो उसने बताया कि वह एक कोठी पर सफाई का काम कर रही थी। इस पर हाईकोर्ट ने उसके परिजनों को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको पता नहीं है क्या, बाल मजदूरी अपराध है। हम आपको आपकी बेटी सौंप रहें है लेकिन इससे कोई काम नहीं करवाया जाएगा और न ही मारपीट होगी। यदि ऐसा पाया गया तो माता-पिता दोनों को जेल भेज दिया जाएगा। साथ ही पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्या आपको पता नहीं है कि आपके इलाके में बाल मजदूरी हो रही है।

हाई कोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल

हरदोई से लडक़ी को लाने के बाद उसे आशियाना में रखा गया और उसका ऑसिफिकेशन टेस्ट करवाया गया जिससे उसकी उम्र की जानकारी दी जा सके। यह जानकारी जैसे ही पुलिस ने हाई कोर्ट को दी तो पुलिस को फटकार लगाते हुए जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि किसके आदेश पर लड़की को आशियाना भेजा गया और उसका टेस्ट करवाया गया। कोर्ट ने पुलिस को इस रवैये के लिए अदालत में चेतावनी दी।

याचिका में आरोप था कि दोनों लड़कियों को पुलिस थाने लेकर गए थी और उनका उत्पीड़न किया गया और पिटाई की गई। इन आरोपों पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई पर पंचकूला पुलिस को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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