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हरियाणा में अगली पीढ़ी को विरासत में देना है पानी तो सहेजनी होगी बूंद-बूंद, प्रदेश में 14 लाख करोड़ लीटर जल की कमी

प्रदेश में 20 लाख 93 हजार 598 करोड़ लीटर पानी उपलब्ध है जबकि मांग 34 लाख 96 हजार 276 करोड़ लीटर है। कुल 7287 गांवों में से 3041 गांव पानी की कमी हैं। इनमें से 1948 गांवों में भू-जल की उपलब्धता में गंभीर कमी है। ऐसे में गांवों में सटीक भूजल स्तर की निगरानी के लिए डार्क जोन के गांवों में 1000 पीजोमीटर स्थापित करने का काम शुरू हुआ है।

By Sudhir Tanwar Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Wed, 03 Jan 2024 07:28 PM (IST)
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हरियाणा में प्रदेश में 14 लाख करोड़ लीटर जल की कमी
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। Shortage of Water in Haryana: तेजी से गिरते भू-जलस्तर से जूझ रहे हरियाणा में नया साल जल संरक्षण की दिशा में अहम साबित होने वाला है। प्रदेश में मांग की तुलना में 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी है। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज की रणनीति बनाई है। जल प्रबंधन, जल संचयन और जल संरक्षण के जरिये मांग और आपूर्ति का अंतर 50 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रखा गया है।

हर ब्लॉक के लिए वाटर प्लान तैयार

हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण, माइक्रो इरीगेशन कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (मिकाडा) और हरियाणा पोंड एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर नौ विभाग इस साल 22 प्रतिशत और अगले साल 27.7 प्रतिशत पानी बचाने की कोशिश करेंगे। जल स्तर में सुधार के लिए 13 जिलों के अत्यधिक भूजल दोहन व निरंतर घटते भूजल स्तर वाले और गंभीर श्रेणी में आने वाले 36 ब्लॉक में तालाबों पर फोकस किया गया है। हर ब्लॉक के लिए अलग से वाटर प्लान तैयार किया गया है।

हरियाणा में सिर्फ इतना पानी है उपलब्ध

दरअसल प्रदेश में 20 लाख 93 हजार 598 करोड़ लीटर पानी उपलब्ध है, जबकि मांग 34 लाख 96 हजार 276 करोड़ लीटर है। कुल 7287 गांवों में से 3041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इनमें से 1948 गांवों में भू-जल की उपलब्धता में गंभीर कमी है। ऐसे में गांवों में सटीक भूजल स्तर की निगरानी के लिए डार्क जोन के गांवों में 1000 पीजोमीटर स्थापित करने का काम शुरू हो गया है। 21 हजार करोड़ लीटर पानी को उपचारित कर खेती, थर्मल प्लांट सहित अन्य परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाएगा।

4000 आन-फार्म वाटर टैंक बनाए जाएंगे

पानी बचाने में सर्वाधिक अहम भूमिका कृषि और बागवानी क्षेत्र की होगी जिसमें क्रमशः 86 प्रतिशत और पांच प्रतिशत पानी का इस्तेमाल होता है। ढाई लाख एकड़ खेती योग्य कमांड क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाते हुए 4000 आन-फार्म वाटर टैंक बनाए जाएंगे। दो लाख एकड़ क्षेत्र में गन्ने की खेती को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से कराने के प्रयास किए जाएंगे।

97 योजनाओं पर तेजी से चल रहा काम  

वर्तमान में सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये की 22 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जून तक यह परियोजनाएं पूरी कर ली जाएंगी। इसी तरह अप्रैल तक 2000 रिचार्ज बोरवेल और छत पर वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। मानसून के अतिरिक्त पानी को शुष्क क्षेत्रों में ले जाकर पानी के संरक्षण और पुनः उपयोग के लिए रोहतक, झज्जर, हिसार, भिवानी, जींद, चरखी दादरी, फतेहाबाद, पलवल, नूंह और सोनीपत जिलों में 97 योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।

पहले चरण में 1273 तालाबों में काम शुरू

सोनीपत के जुआं, झज्जर के सिवाना माजरा, नांगल चौधरी के मुसनोटा में जलाशयों और मेवात में कोटला झील के शेष कार्य को पूरा करने के अलावा महेंद्रगढ़ के निजामपुर खंड समेत 10 जलाशयों के विकास की परियोजनाएं सिरे चढ़ेंगी। अमृत सरोवर योजना के पहले चरण में 1273 तालाबों का कार्य शुरू किया गया है, जिसमें से 208 तालाबों का कार्य पूरा हो चुका है और शेष तालाबों का कार्य इस साल पूरा कर लिया जाएगा।

ऐसे बचेगा पानी

  1. फसल विविधीकरण के तहत तीन लाख 14 हजार एकड़ क्षेत्र को कवर किया जाएगा जिससे एक लाख पांच हजार करोड़ लीटर पानी की बचत होगी
  2. 4.75 लाख एकड़ में धान की सीधी बिजाई से 51 हजार करोड़ लीटर और 27.53 लाख एकड़ में संरक्षण जुताई से 1.18 लाख करोड़ लीटर पानी बचाया जाएगा
  3. 3.49 लाख एकड़ में उच्च किस्मों के प्रयोग से 47 हजार करोड़ लीटर (3.4 प्रतिशत), 9.73 लाख एकड़ में हरी खाद के उपयोग से 35 हजार करोड़ लीटर, 43 हजार एकड़ में प्राकृतिक खेती के माध्यम से 27 हजार करोड़ लीटर पानी बचाया जाएगा।

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