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Haryana Election: प्रदेश की सत्ता में अक्सर किंगमेकर रहे निर्दलीय विधायक, कांग्रेस-भाजपा के 57 बागियों ने उड़ा रखी नींद

हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 (Haryana Vidhan Sabha Election 2024) के लिए सभी पार्टियां और निर्दलीय प्रत्याशी प्रचार कर रहे हैं। हालांकि इस बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों की नींद उड़ गई है क्योंकि दोनों पार्टियों के 57 बागी भी चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे कई दिग्गजों के सीट भी फंस गए हैं। हरियाणा की राजनीति में निर्दलीय विधायक अक्सर किंगमेकर साबित हुए हैं।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 20 Sep 2024 12:32 PM (IST)
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हरियाणा में इस बार 462 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में निर्दलीय कई बार किंगमेकर रहे हैं। प्रदेश के प्रत्येक चुनाव में निर्दलीय विधानसभा में पहुंचे। एक समय ऐसा भी था, जब विधानसभा में 16 विधायक निर्दलीय पहुंचे थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने दूसरे कार्यकाल वर्ष 2009 में सात निर्दलीयों के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बनाई।

इससे पहले 1982 में 16 विधायकों के बूते भजनलाल मुख्यमंत्री बन पाए थे। पिछली बार 2019 में भाजपा ने भी निर्दलीय विधायकों के सहारे अपनी सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

इस बार मैदान में 462 निर्दलीय प्रत्याशी

इस बार के विधानसभा चुनाव में 1031 प्रत्याशी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए 462 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। इनमें कई निर्दलीय उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जो पार्टियों के प्रत्याशियों को टक्कर देने की स्थिति में हैं। विधानसभा में हर बार औसतन पांच से सात निर्दलीय विधायक पहुंचते रहे हैं।

अभी तक छह बार 10 से ज्यादा निर्दलीय विधायक निर्वाचित होकर हरियाणा विधानसभा में अपनी भागीदारी दर्ज करा चुके हैं। इनमें 1967, 1972, 1982, 1996, 2000 और 2005 में 10 से ज्यादा निर्दलीय विधायक चुनकर आए हैं।

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बागियों की चुनौती से फंसी कांग्रेस-भाजपा की कई सीटें 

कांग्रेस व भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस की ओर से 36 और भाजपा के 33 बागियों ने निर्दलीय के रूप में नामांकन किया था। इनमें से कांग्रेस और भाजपा केवल 12 बागियों को मनाने में सफल रही। अब उनकी चुनौती से कई दिग्गजों की सीट फंस गई है।

भाजपा और कांग्रेस ने बागियों के मान-मनौव्वल की खूब कोशिश की। कई बागी अभी भी चुनावी दंगल को जीतने का दम भर रहे हैं, इससे कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। राज्य में हुए चुनावों में अभी 117 विधायक निर्दलीय विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच चुके हैं।

वर्ष 1967 से लेकर 2019 तक विधानसभा चुनाव में हर बार निर्दलीयों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस बार भी कई सीटों पर निर्दलीय मजबूत स्थिति में हैं।

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1982 में पहली बार निर्वाचित हुई निर्दलीय महिला विधायक

हरियाणा में 1967 के बाद 1982 में हुए पांचवें चुनाव में पहली बार कोई महिला निर्दलीय निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंची थी। वे थीं बल्लभगढ़ सीट से शारदा रानी, जो कि कांग्रेस से तीन बार विधायक बनीं, लेकिन 1982 में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय तौर पर चुनावी ताल ठोकी और जीत दर्ज की।

2019 में सात निर्दलीयों की बदौलत रणजीत बने बिजली मंत्री

2019 के विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय विधायकों के सहारे मनोहर लाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। निर्दलीय विधायकों के कोटे से रानियां विधायक रणजीत चौटाला को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

रणजीत चौटाला को मनोहर लाल के साथ नायब सैनी मंत्रिमंडल में बिजली मंत्री का ओहदा मिला। इसके साथ ही सभी निर्दलीय विधायकों को कई बोर्डों व निगमों में चेयरमैनी सौंपी गई। बलराज कुंडू ने बाद में सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।

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