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जैन मुनि तरुण सागर ने विधायकों को पिलाई राजनीति के शुद्धिकरण की कड़वी घुट्टी

हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन प्रख्यात संत जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज ने विधायकों को राजनीतिक शुद्धिकरण का पाठ पढ़ाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 27 Aug 2016 09:44 AM (IST)

चंडीगढ़ (अनुराग अग्रवाल)। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन प्रख्यात संत जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज के कड़वे प्रवचनों का साक्षी बना। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कोई धार्मिक संत विधानसभा में हर दल के विधायकों को राजनीति के शुद्धिकरण की सीख देता नजर आया। जैन मुनि इससे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रवचन कर चुके हैं।

तरुण सागर जी महाराज ने विधानसभा सत्र के पहले दिन की कार्यवाही के बाद करीब एक घंटे तक लगातार प्रवचन करते हुए राजनीतिज्ञों को अपने आचरण में सुधार की नसीहतें दी और उन्हें लोक तथा राजनीति की कड़वी घुïट्टी पिलाई। बीच-बीच में हंसी-ठिठोली के दौर भी चलते रहे। जैन मुनि ने एक के बाद एक कई उदाहरण दिए, जिनमें जीवन और राजनीति का सार छिपा है। विधानसभा में किसी भी दल द्वारा उनके आगमन का विरोध नहीं किए जाने पर जैन मुनि कृतज्ञ भी दिखे।

विधानसभा में प्रवचन करते जैन मुनि।

जैन मुनि ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद और दूषित राजनीति को देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए उनके समाधान सुझाए। उन्होंने बेटियां बचाने के लिए राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर त्रिस्तरीय फार्मूला अपनाए जाने की जरूरत पर बल दिया है। कड़क आवाज के मालिक तरुण सागर जी ने सरकार को जहां किसी खुमारी में न रहने की सलाह दी, वहीं विपक्ष को उसकी जिम्मेदारी का अहसास भी कराया।

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जैन मुनि ने कहा कि राजनीति पर धर्म का अंकुश जरूरी है। धर्म पति और राजनीति पत्नी होते हैैं। हर पत्नी का दायित्व है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकार करे। विधानसभा में प्रवचनों के बाद मनोहर सरकार पर राजनीति के भगवाकरण का आरोप लग सकता है, लेकिन इसे राजनीति के शुद्धिकरण के प्रयासों की नजर से देखा जाना चाहिए।

जैन मुनि ने कहा कि राजनीति में नीति का मतलब धर्म से ही है। राजनीति में धर्म का प्रवेश होगा तो रामायण रची जाएगी। धर्म में जब राजनीति आएगी तो महाभारत के हालात पैदा हो सकते हैैं। धर्म सभा और विधान सभा दोनों को मिलकर देश हित में समाज का नक्शा बदलने की दिशा में काम करना चाहिए।

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सिर्फ विरोध के लिए विरोध न करे विपक्ष

जैन मुनि ने कहा कि सरकार का काम खुमारी में रहने का नहीं है। विपक्ष को भी सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध नहीं करना चाहिए। सरकार की नींद और खुमारी तोडऩे के लिए विपक्ष को समाज हित में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।

जैन मुनि की दलीलों पर राज्यपाल सोलंकी की सहमति

जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज के प्रवचन सुनने के लिए महामहिम राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी भी विधानसभा पहुंचे। स्पीकर कंवरपाल गुर्जर की बगल में राज्यपाल की कुर्सी रखी गई। जैन मुनि ने स्पीकर के बांयी तरफ बनी दर्शक दीर्घा से प्रवचन किए। उनके प्रवचन करीब साढ़े तीन बजे शुरू हुए और साढ़े चार बजे विराम हुआ। जैन मुनि के उदाहरण और कहावतों पर राज्यपाल की सहमति भरी मुस्कान नजर आई।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल, संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी भी जैन मुनि के प्रवचनों के दौरान मौजूद रहे।

निलंबन रद होते ही कुलदीप और मलिक को सुनने पड़े कड़वे प्रवचन

कांग्रेस विधायकों का निलंबन वापस होने के बाद जब पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा और जगबीर मलिक सदन में आए तो उन्हें जैन मुनि के कड़वे प्रवचन सुनने पड़े। जयवीर वाल्मीकि कांग्र्रेस विधायक दल की बैठक में तो थे, मगर वे सदन नहीं पहुंचे। विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला भी सदन में नहीं थे, लेकिन उनके स्थान पर इनेलो विधायक जाकिर हुसैन ने जैन मुनि की अगुवानी की।

कड़वा बोलना मेरे संस्कार नहीं मजबूरी : जैन मुनि

जैन मुनि ने अपने प्रवचनों के बाद कहा कि कड़वा बोलना उनके संस्कार, प्रवृत्ति अथवा चरित्र नहीं बल्कि मजबूरी है। पहले मैैं मीठा बोलता था, लेकिन लोग सो जाते थे। दीवार पर कील ठोंकने के लिए हथौड़ा चलाना ही पड़ेगा। समाज को जगाने के लिए लोरी सुनाने से काम नहीं चलने वाला है।

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