थर्ड डिग्री टॉर्चर, यौन शोषण और अमानवीय व्यवहार...रेलवे पुलिस पर लगे गंभीर आरोप, HC ने पंजाब DGP को दिए जांच के आदेश
जाखल (हरियाणा) की राजकीय रेलवे पुलिस अधिकारियों के पर छात्र के साथ अमानवीय व्यवहार थर्ड डिग्री टॉर्चर और यौन शोषण के आरोप लगे हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में डीजीपी पंजाब को जांच के आदेश दिए है। पूछताछ की आड़ में याचिकाकर्ता को जाखल जीआरपी स्टाफ द्वारा थर्ड-डिग्री यातना दी गई। कोर्ट ने इस मामले में SIT गठित करने के लिए कहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जाखल (हरियाणा) की राजकीय रेलवे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अमानवीय व्यवहार और यौन शोषण की जांच के लिए डीजीपी पंजाब को आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने डीजीपी को एक आईपीएस अधिकारी को अगुवाई में जांच दल बनाने का आदेश दिया है।
छात्र ने दाखिल की थी याचिका
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने यह आदेश एक छात्र की याचिका पर जारी किया। संगरूर का एक छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करके सरकारी सेवा में चयन के लिए प्रयास कर रहा था।
याचिका के अनुसार जब वह 10 अक्टूबर 2022 को एक परीक्षा के लिए बठिंडा गया था तो स्टेशन पर मुख्य टिकट निरीक्षक ने संदेह के आधार पर उसे रोक लिया क्यों कि वह काली पैंट और सफेद शर्ट पहने हुए था।
छात्र को जाखल जीआरपी स्टाफ ने दिया थर्ड डिग्री टॉर्चर
उसे पहले बठिंडा जनरल रेलवे पुलिस (जीआरपी) पोस्ट और बाद में जाखल जीआरपी पोस्ट पर भेजा गया। इसके बाद उसके खिलाफ 10 अक्टूबर 2022 को हिसार जीआरपी पोस्ट में एफआईआर दर्ज की गई। पूछताछ की आड़ में याचिकाकर्ता को जाखल जीआरपी स्टाफ द्वारा थर्ड-डिग्री यातना दी गई।
छात्र को इलाज से भी रखा वंचित
जब तक उसकी हालत गंभीर नहीं हो गई, तब तक उसे उचित चिकित्सा देखभाल से भी वंचित रखा गया।आठ दिसम्बर को उसे हिसार सिविल अस्पताल में रेफर किया गया। डॉक्टर ने उसकी जांच की और निष्कर्ष निकाला कि यह यौन उत्पीड़न का मामला है। उसके बाद उसे 10 दिसम्बर को जमानत पर रिहा कर दिया गया जिसके बाद उसने संगरूर, पटियाला, पीजीआई इलाज करवाया ।
छात्र के साथ हुआ यौन उत्पीड़न
जांच और उपचार से पीड़ित के मलाशय की जांच से साफ हुआ कि यौन उत्पीड़न हुआ है। 26 दिसम्बर को याची ने जीआरपी हिसार के डीएसपी को शिकायत दी लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जुलाई 2023 में याची ने हाईकोर्ट की शरण ली, हाईकोर्ट ने डीएसपी को उसकी शिकायत पर कार्रवाई के आदेश दिए लेकिन डीएसपी ने कुछ नहीं किया और याची को अब दोबारा हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा।
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पीड़ित के साथ हुआ सबसे भयानक प्रकृति का व्यवहार
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि पुलिस और जनता के बीच विषम शक्ति की गतिशीलता ने हिरासत में यातना को एक खतरनाक रूप से व्यापक बीमारी बना दिया है जिसे बड़े पैमाने पर नियमित समझा जाता है।
जस्टिस बराड़ ने कहा कि पीड़ित के साथ किया गया व्यवहार सबसे भयानक प्रकृति का था क्योंकि वह पुलिस अधिकारियों की दया पर निर्भर था। दुर्भाग्य से, हिरासत में यातना में अक्सर यौन उत्पीड़न शामिल होता है जो पीड़ितों को गंभीर आघात पहुंचाता है, जिससे उन्हें अपने शेष जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है
जांच के लिए SIT गठित करने का दिया निर्देश
जस्टिस बराड़ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि घटना हरियाणा पुलिस के तत्वावधान में आने वाले जीआरपी अधिकारियों के खिलाफ थे। ऐसे में उचित न्याय व आरोपों की सत्यता की जांच के लिए इस मामले की जांच पंजाब को दी जाती है।
हाईकोर्ट ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक को एक आईपीएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया गया था।कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
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