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हरियाणा कांग्रेस में खींचतान: अचानक चर्चा में क्यों आईं गीता भुक्कल, क्या मिलने वाली है कोई बड़ी जिम्मेदारी?

हरियाणा कांग्रेस में बड़ा बदलाव हो सकता है। पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा की जगह झज्जर की विधायक गीता भुक्कल को विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में शामिल किया गया है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि गीता भुक्कल को कांग्रेस विधायक दल का नया नेता बनाया जा सकता है। वहीं थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Mon, 11 Nov 2024 07:27 PM (IST)
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के समय भूपेंद्र हुड्डा और गीता भुक्कल साथ-साथ (फाइल फोटो)
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। राजनीति में संभावनाओं का खेल कब असलियत में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता। विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बजाय झज्जर की विधायक गीता भुक्कल के शामिल होने से नई चर्चाओं को जन्म मिला है।

कयास लगाए जाने लगे हैं कि गीता भुक्कल को कांग्रेस विधायक दल का नया नेता बनाया जा सकता है और थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा दोनों पूर्व मंत्री हैं। दोनों की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी तथा भरोसेमंद नेताओं में होती है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता के लिए गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा दोनों प्रबल दावेदार हैं। पूर्व विधानसभा स्पीकर एवं बेरी के विधायक डॉ. रघुबीर कादियान की दावेदारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा खेमे की ओर से पंचकूला के विधायक एवं पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम विधायक दल के नेता के लिए तथा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए असंध से चुनाव हार चुके पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी का नाम उछाला जा रहा है।

गीता भुक्कल को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

सैलजा स्वयं प्रदेश अध्यक्ष पद की मजबूत दावेदार हैं। कांग्रेस की ओर से सोमवार को हुई विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में गीता भुक्कल को भेजने का मतलब साफ है कि उन्हें पार्टी बड़ी जिम्मेदारी देने के मूड में है।

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सैलजा को रोकने के लिए हुड्डा की रणनीति

भूपेंद्र हुड्डा और सैलजा की लड़ाई में इस समय दो बड़े पद फंसे हुए हैं। पहला तो विधायक दल के नेता का चयन और दूसरा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नई नियुक्ति। पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया पहले ही पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं और कांग्रेस हाईकमान ने बाबरिया की इस इच्छा का सम्मान करते हुए जितेंद्र बघेल को सह प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप दी है। ऐसे में अब सैलजा व हुड्डा खेमों द्वारा अध्यक्ष तथा विधायक दल के नेता के पद पर अपनी-अपनी गोटियां फिट करने की पूरी कोशिश हो रही है।

कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुमारी सैलजा को दोबारा पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उन्हें केसी वेणुगोपाल के स्थान पर शीर्ष संगठन में बड़ी जिम्मेदारी भी दिए जाने की चर्चा है। ऐसे में हुड्डा गुट किसी भी सूरत में सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहेगा।

उदयभान को अध्यक्ष बनवाए रखना चाहेंगे हुड्डा

कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चौधरी उदयभान को बरकरार रखने अथवा जरूरत पड़ी तो उनके स्थान पर अशोक अरोड़ा को जिम्मेदारी दिलाने की पूरी कोशिश रहेगी। सैलजा यदि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष बनती हैं तो यह हुड्डा गुट के लिए सबसे बड़ा झटका होगा।

कांग्रेस हाईकमान यदि सैलजा के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हुड्डा को विधायक दल का नेता नहीं बनाता तो उनके स्थान पर गीता भुक्कल को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है, क्योंकि कांग्रेस के चुनाव जीते 37 विधायकों में 33 हुड्डा समर्थक हैं। सिर्फ चार विधायकों के बूते पर सैलजा समर्थक किसी नेता को विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला कांग्रेसियों के गले नहीं उतर रहा है।

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