अनोखी है हरियाणा के इस गांव की कहानी, देशभर में पहुंच रही है यहां से बदलाव की बयार
हरियाणा के जींद जिले का गांव बीबीपुर आज पूरे देश में बदलाव और प्रगति का मानक बन गया है। राष्ट्रीय फलक पर इसने खास पहचान बनाई है। यहां की बदलाव की बयार पूरे देश में पहुंच चुकी है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 03 Jul 2020 03:04 PM (IST)
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के बीचों-बीच पडऩे वाला जींद जिले बीबीपुर गांव राष्ट्रीय फलक पर बड़ी पहचान बना चुका है। इस गांव की आबादी करीब साढ़े पांच हजार है। गांव के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि करीब नौ साल सामाजिक बदलाव की जो बयार उनके गांव से शुरू हुई थी, वह अब पूरे देश और दुनिया में पहुंच जाएगा। बीेबीपुर गांव का बदलाव आज देश-दुनिया में एक माडल बन गई है। इस काम को कर दिखाया, बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने।
देशभर में छाया हरियाणा के जींद का बीबीपुर गांव, स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे बदलाव की कहानी
'मिशन पासिबल' के तहत गांवों को शहरों के समान सुंदर बनाने से लेकर उनका डिजिटकलीकरण करने, पंचायतों को आनलाइन बनाने तथा महिला सशक्तीकरण के साथ ही बेटियों के चेहरों पर मुस्कान लाने की जो मुहिम सरपंच के नाते सुनील जागलान ने शुरू की थी, आज वह पूरे देश और दुनिया के लिए नजीर बन गई है। अब उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक बदलाव की कहानी दसवीं क्लास के बच्चों को पढ़ाई जाएगी, जिसमें उन्हें सुपर सरपंच टैग लाइन दी गई है।
दसवीं के बच्चे पढ़ेंगे हरियाणा के बीबीपुर गांव से शुरू हुई बदलाव की कहानी
सुनील जागलान छह जून 2010 से जनवरी 2016 तक बीबीपुर गांव के सरपंच रहे। उनकी दो बेटियां हैं। अब उन्होंने सेल्फी विद डाटर कंपेन को ऊंचाइयां देने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। दुनिया के 70 देशों तक जागलान अपनी इस मुहिम का झंडा बुलंद कर चुके हैं। अब देश के स्कूलों में दसवीं क्लास की वर्क बुक में सुनील जागलान के द्वारा किए गए कामों को प्रमुखता से पढ़ाया जाएगा।
दसवीं क्लास की इस वर्क बुक में सुनील जागलान के द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों, बदलाव के बड़े उदाहरण और उनके नतीजों के साथ ही बच्चों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में एक बड़ा चैप्टर दिया गया है, जिसका नाम है, ए विलेज नेम्ड बीबीपुर।प्राइवेट स्कूलों में दसवीं क्लास की वर्कबुक में शामिल हुआ चैप्टर ए विलेज नेम्ड बीबीपुर
स्काईपाथ नामक इस वर्क बुक की सीरिज एडीटर डीपीएस शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात) की फाउंडर प्रिंसिपल एवं दिल्ली के संस्कृति स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल आभा सहगल हैं। अमृता विद्यालयम दुर्गापुर की सह-प्रिंसपल सुथापा मुखर्जी ने यह पुस्तक लिखी है। आरंभ में यह पुस्तक दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में अगस्त से आरंभ होने वाले शिक्षा सत्र में पढ़ाई जाएगी। फिर इसे देश के बाकी राज्यों में पढ़ाने की शुरुआत होगी।
इस पुस्तक के सूत्रधार सुनील जागलान जब पहली बार सरपंच बने थे, तब उन्होंने मिशन पासिबल के तहत गांवों को शहरों के समान सुंदर बनाने का सपना देखा था। इसके तहत बीबीपुर में न केवल पार्क डेवलेप किए गए, बल्कि झूले लगाए गए, चौक बनाए गए और हर घर के बाहर डस्टबिन लगाने की परंपरा की शुरुआत हुई।सरपंच रहते हुए सुनील जागलान ने शुरू किए बीबीपुर गांव से एक के बाद एक कई अभियान
सरपंच बनने के बाद 2012 में जागलान एक बेटी नंदिनी के पिता बने। तब उन्होंने महिला सशक्तीकरण खासकर बेटियों को बचाने तथा उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का अभियान शुरू किया, जो आज दुनिया में सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन एंड कंपेन के रूप में जाना जाता है। बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की परिकल्पना भी यहीं से पैदा हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में आठ बार जागलान के इस अभियान की दिल खोलकर तारीफ की है, जो अभी भी बखूबी दौड़ रहा है।
और देखते ही देखते मिशन मैन बन गए सुनील जागलान
बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान अब मिशन (अभियान) मैन बन चुके हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण, पंचायतों को उनके अधिकार दिलाने व हाइटेक बनाने के जो अभियान उन्होंने कई साल पहले गांव स्तर पर शुरू किए थे, अब वह पूरे देश और प्रदेश में लागू हो रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने बीबीपुर की पंचायत की वेबसाइट बनाई। पूरे देश की पंचायतों ने इसे अपनया।
2015 में केंद्र सरकार ने सभी पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की घोषणा की। अब देश की 2.50 लाख पंचायतों में से अधितकर की वेबसाइट है। छह जुलाई 2015 से सुनील ने बीबीपुर में घरों के आगे बेटियों की नेम प्लेट लगाने के अभियान की शुरूआत की। उसे अब प्रदेश सरकार ने अपना रखा है।
स्काईपाथ वर्क बुक के मुताबिक 2012 में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जाागलान ने पहली महिला ग्राम सभा और महाखाप पंचायत की, जिसमें महिलाओं ने भागेदीरी की। 2012 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आधारभूत शुरुआत बीबीपुर से ही हुई। 2015 में केंद्र सरकार ने इसे देश भर में लागू किया। 2012 में ग्राम सचिवालय का प्रस्ताव केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय को भेजा गया, जिसे सरकार ने बाद में लागू किया। नौ जून 2015 को बीबीपुर गांव से सेल्फी विद डॉटर अभियान की शुरूआत हुई। 2016 में सेल्फी विद डॉटर एंड ट्री अभियान चला।
वर्ष 2012 से 15 अगस्त व 26 जनवरी को बेटियों से झंडा फहराने की शुरूआत के जनक भी सुनील जागलान हैं, जिसे सरकार ने अपनाया है। 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ग्रामीण विकास का बीबीपुर मॉडल ऑफ़ विमेन एंपावरमेंट एंड विलेज डेवलपमेंट प्लान 100 गांव गोद लेकर लागू किया। हर गांव में पुस्तकालय की शुरुआत बीबीपुर से हुई। कोरोना काल में देश की पहली डिजिटिल ग्राम सभा भी जागलान की देन है, जिसका मॉडल पंचायत एवं विकास विभाग ने केंद्र सरकार को भेजा है।
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