Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल दिवस पर कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता की मांग, 'बच्चों को पढ़ाई जाए वीर गाथा'
आज कारगिल दिवस है। इस मौके पर युद्ध में मुख्य भूमिका निभाने वाले बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा कि आज कारगिल की लड़ाई को 25 वर्ष पूरे हो गए हैं। जीएल बत्रा ने कहा कि कारगिल की लड़ाई सबसे कठिन लड़ाइयों में से थी। इसके बारे में माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए।
डिजिटले डेस्क, पंचकूला। आज देश कारगिल विजय दिवस (Kargil Diwas) की 25वीं वर्षगांठ बना रहा है। इस युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा (शेरशाह) के पिता जीएल बत्रा का बयान सामने आया है।
उन्होंने इस मौके पर कहा कि आज का दिन बड़े गर्व का दिन है। 25 वर्ष पहले आज ही के दिन हमारे जवानों ने पाक को मुंह तोड़ जवाब दिया था। उनकी शहादत को हम सलाम करते हैं।
'हम अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं'
जीएल बन्ना ने कहा, मैं समझता हूं कि यह एक अच्छी परंपरा है, जिससे हम बलिदानी जवानों को याद करते हैं और इससे हमारे युवाओं में प्रेरणा जाती है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष का जो समय गुजरा है, उसे हमारे बेटे ने एलिवेट किया है। हम अपने आपको सौभाग्यशाली समझते हैं कि उन्होंने (शेरशाह) हमारे घर जन्म लिया।बलिदानी कैप्टन के पिता ने कहा, उनकी गाथाएं माध्यमिक स्कूलों के सोशल साइंस सिलेबस में शामिल की जाएं। कारगिल युद्ध सबसे कठिन वॉर में शामिल थी। सिलेबस में उनका यह चैप्टर शामिल होना चाहिए।
उन्होंने कहा मैं श्रीमद्भागवद गीता मैं बहुत विश्वास करता हूं। उसमें श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को उपदेश दिए हैं। उनमें कहा गया है कि तुम शहीद होगे तो स्वर्ग में आओगे और यदि वापस आओगे तो राजयोग का स्टेटस एन्जॉय करोगे।
'25 वर्ष का समय अच्छे तरीके से गुजरा'
उनके उपदेश से हमें काई ऊर्जा प्राप्त हुई उर्जा प्राप्त हुई। ये 25 साल का समय हमने अच्छे तरीके से समय व्यतीत किया है। आगे भी ऐसे ही व्यतीत करेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं सभी देशवासियों को इस अवसर पर बधाई देता हूं। साथ ही देश के युवाओं से उम्मीद करता हूं कि वे चरितमान बने और अच्छे नागरिक बनते हुए अपने देश को आगे ले जाए।कारगिल युद्ध में हिमाचल के लाल परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मन से लड़ते हुए बलिदान हो गए थे। कारगिल को दुश्मन से मुक्त कराने में उनका बड़ा योगदान था। 20 जून 1999 को सुबह 3.30 बजे कैप्टन बत्रा ने अपने साथियों के साथ श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण चोटी 5140 फतह की थी।
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