Haryana Politics: विधायक बनी रहेंगी किरण चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की मांग को किया खारिज
तोशाम से विधायक किरण चौधरी (Kiran Chaudhary) की सदस्यता रद्द करने की कांग्रेस की मांग को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने खारिज कर दी है। दरअसल किरण चौधरी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू हैं। वहीं जजपा के विधायकों की सदस्यता पर भी अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भिवानी के तोशाम हलके से विधायक किरण चौधरी की सदस्यता रद्द नहीं होगी। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी तोशाम की विधायक के खिलाफ कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद और मुख्य सचेतक बीबी बतरा ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता के समक्ष याचिका लगाई है।
वहीं, स्पीकर ने कोई याचिका मिलने से इन्कार करते हुए दो टूक कहा कि सिर्फ नोटिस के आधार पर किसी विधायक की विधानसभा सदस्यता को खत्म नहीं किया जा सकता। जजपा विधायक जोगी राम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा की सदस्यता को लेकर भी अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की हुई थी मांग
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल की पुत्रवधू और पूर्व मंत्री किरण चौधरी के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस तीसरी बार विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पहुंची है। किरण चौधरी अधिकृत रूप से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई हैं।किरण चौधरी ने अभी तक कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। इसको लेकर कांग्रेस आपत्ति जता रही है। किरण के भाजपा में शामिल होने के अगले दिन ही आफताब अहमद और बीबी बतरा ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखकर उनकी विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की मांग कर दी थी। इसके बाद रिमाइंडर भी भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जजपा ने भी इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है
वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों का मंच साझा करने वाले विधायक जोगी राम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जजपा ने स्पीकर को पत्र लिखा हुआ है। दलबदल कानून का हवाला देते हुए जजपा ने दोनों विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है, लेकिन अभी तक यह मामला भी ठंडे बस्ते में है।पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला चेतावनी दे चुके हैं कि स्पीकर अगर दोनों विधायकों की सदस्यता पर जल्द कोई फैसला नहीं लेते हैं तो वे हाई कोर्ट जाएंगे।
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