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Haryana Election: 20 साल पहले राज्यसभा जाने से चूक गई थीं किरण चौधरी, इस बार निर्विरोध चुना जाना लगभग तय

हरियाणा में राज्यसभा के एक सीट पर होने वाले चुनाव (Haryana Rajya Sabha Election) के भाजपा ने किरण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। विपक्ष ने इस चुनाव के लिए किसी प्रत्याशी का एलान नहीं किया है जिससे किरण चौधरी (Kiran Chaudhary) का निर्विरोध चुना तय है। किरण चौधरी 20 साल पहले राज्यसभा जाने से चूक गई थीं लेकिन इस बार उनकी डगर आसान है।

By Sudhir Tanwar Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 21 Aug 2024 10:24 AM (IST)
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राज्यसभा के लिए किरण चौधरी का निर्विरोध चुना जाना तय। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। 20 साल पहले राज्यसभा जाने से चूकी किरण चौधरी के लिए इस बार मैदान साफ है। किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं।

चौधरी बंसीलाल के परिवार की बहू को पिछले राज्यसभा चुनाव में भाजपा समर्थित कार्तिकेय शर्मा और लोकसभा चुनाव में चौधरी धर्मबीर सिंह को जिताने का इनाम मिला है।

भाजपा ने कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर किरण चौधरी को प्रत्याशी बनाया है, जो बुधवार को नामांकन के अंतिम दिन पर्चा दाखिल करेंगी।

किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा जाना तय

विपक्ष की ओर से कोई प्रत्याशी नहीं उतारे जाने से भाजपा प्रत्याशी का निर्विरोध राज्यसभा जाना तय है। भाजपा में शामिल होने के बाद भी किरण चौधरी तोशाम से कांग्रेस की विधायक बनी हुई थीं।

दलबदल निरोधी कानून के तहत विधानसभा सदस्यता रद करने के लिए कांग्रेस ने याचिका भी लगाई, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने उसे तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए खारिज कर दिया।

किरण चौधरी ने विधायक पद से इस्तीफा दिया

मंगलवार को भाजपा आलाकमान से राज्यसभा चुनाव के लिए टिकट का इशारा मिलते ही किरण ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे स्पीकर ने तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या अब 86 रह गई है।

किरण चौधरी तथा उनकी बेटी श्रुति चौधरी लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बाद बीती 18 जून को भाजपा में शामिल हुईं थी। राज्यसभा में किरण चौधरी का कार्यकाल करीब 19 महीने का होगा।

तब ओमप्रकाश चौटाला की गुगली में फंस गई थीं किरण

जून 2004 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो की सरकार थी। तब प्रदेश में दो राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। किरण उस समय ओमप्रकाश चौटाला की गुगली में फंस गईं, जिससे चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।

हुआ यूं कि मतदान से तीन दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण चौधरी का समर्थन कर छह विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया।

किरण ने स्पीकर के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अयोग्य घोषित छह विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि इनेलो के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सरदार त्रिलोचन सिंह चुनाव जीत गए और किरण हार गईं।

राज्यसभा की दूसरी सीट से ओपी चौटाला के बड़े पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता डॉ. अजय चौटाला निर्वाचित हुए।

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दिल्ली से शुरू की राजनीति

किरण ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव 1993 में कांग्रेस की टिकट पर दिल्ली कैंट से लड़ा। तब वह भाजपा के करण सिंह तंवर से हार गई थीं। 1998 में किरण उसी सीट से भाजपा के तंवर को पराजित कर पहली बार विधायक और फिर डिप्टी स्पीकर बनीं।

हालांकि 2003 चुनाव में वह फिर भाजपा के तंवर से हार गईं। इसके बाद उन्होंने दिल्ली छोड़कर हरियाणा का रुख किया। पति सुरेंद्र सिंह के मार्च 2005 में हुए निधन के बाद तोशाम विधानसभा सीट से लगातार चार बार चुनाव जीतीं। भूपेंद्र हुड्डा की दोनों कांग्रेस सरकारों में पहले राज्यमंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री रहीं।

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