Haryana: 9 साल में BJP सरकार में मिली 1 लाख 15 हजार के करीब सरकारी नौकरियां, कांग्रेस-चौटाला के कार्यकाल में इतनी थी संख्या
Haryana News भाजपा सरकार के नौ साल के कार्यकाल में सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई। मनोहर लाल ने अपनी सरकार के नौ साल के कार्यकाल 2014 से 2023 के बीच 1 लाख 14 हजार 210 सरकारी नौकरियां दी हैं। वर्ष 1999 से 2005 के बीच ओमप्रकाश चौटाला सीएम थे। जिनकी सरकार ने 15 हजार 125 भर्तियां की। साल 2005 से 2014 तक 10 साल के लिए भूपेंद्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री के रूप में हरियाणा की बागडोर संभाली। इस अवधि में 86 हजार 67 सरकारी भर्तियां हुई हैं।
By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Mon, 23 Oct 2023 08:48 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, पंचकूला। Haryana Politics: भाजपा सरकार के नौ साल के कार्यकाल में सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। अक्टूबर 2014 में सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का फैसला किया था, ताकि प्रदेश के दामन पर लगे पर्ची-खर्ची के दाग को मिटाकर व्यवस्था में मैरिट के आधार पर नौकरियां मिलने का विश्वास बहाल किया जा सके।
चार दशक से भी लंबे इंतजार के बाद जब गरीब परिवारों के बच्चों को भी बिना सिफारिश और बिना कोई पैसा खर्च किए सरकारी नौकरियां (Government Jobs) मिलने लगी तो उनके चेहरों की चमक और व्यवस्था में विश्वास बढ़ने लगा।मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी सरकार (BJP Government) के नौ साल के कार्यकाल 2014 से 2023 के बीच 1 लाख 14 हजार 210 सरकारी नौकरियां दी हैं, जबकि 41 हजार 217 सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया चल ही हैं। वर्ष 1999 से 2005 के बीच ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) सीएम थे।
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26 अक्टूबर को भाजपा कार्यकाल के हो रहे 9 साल
जिनकी सरकार ने 15 हजार 125 भर्तियां की। साल 2005 से 2014 तक 10 साल के लिए भूपेंद्र हुड्डा (Bhupinder Hooda) ने मुख्यमंत्री के रूप में हरियाणा (Haryana News) की बागडोर संभाली। इस अवधि में 86 हजार 67 सरकारी भर्तियां हुई हैं। भाजपा सरकार 26 अक्टूबर को नौ वर्ष पूरे कर रही है। इन नौ साल के कार्यकाल में सरकारी नौकरियां देने को लेकर प्रदेश सरकार ने जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। हरियाणा जैसे राज्य में सरकारी नौकरियां बड़ा मुद्दा हैं।इन नौकरियों को प्राप्त करने के लिए हमेशा से सिफारिश यानी पर्ची और खर्ची यानी पैसे की जरूरत पड़ती रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दावा है कि अब पूरी व्यवस्था ही ऐसी पारदर्शी और जिम्मेदार-जवाबदेह बना दी गई है कि प्रतिभावान युवाओं को शिक्षा से लेकर रोजगार तक, लक्ष्य-केंद्रित मेहनत के अलावा कुछ और करने की जरूरत नहीं है।
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