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Haryana Election: नायब कैबिनेट के राज्य मंत्रियों को मिलेगा चुनाव लड़ने का मौका, पार्टी हाईकमान ने किया इशारा

Haryana Assembly Election हरियाणा के सभी 90 विधानसभा सीटों पर एक अक्टूबर को वोटिंग होगी। नायब सिंह सैनी की कैबिनेट के अधिकतर मंत्रियों को भरोसा दिलाया गया है कि चुनाव में उनका टिकट नहीं काटा जाएगा। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्री चुनाव हार गए थे। उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान करेगा।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 26 Aug 2024 01:16 PM (IST)
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नायब सैनी कैबिनेट राज्य मंत्रियों को फिर से चुनावी दंगल में सक्रिय रहने का मिला इशारा

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में एक-एक विधानसभा सीट पर जीत के समीकरण बैठा रही भाजपा इस बार जहां अपने अधिकतर दिग्गजों को चुनावी रण में उतारने को लेकर गंभीर है। वहीं राज्य में हुए बदलाव के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट के अधिकतर राज्य मंत्रियों को फिर से चुनावी दंगल में सक्रिय रहने का इशारा कर दिया गया है। हालांकि इनमें से कई राज्य मंत्री अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के बाकी दावेदारों की दावेदारी से भी जूझ रहे हैं।

नायब सैनी की कैबिनेट में 7 विधायक बने थे राज्य मंत्री

तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी को जब राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब उनकी कैबिनेट में सात विधायकों को राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया था।

लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लगने की वजह से यह राज्य मंत्री अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के लिए बहुत अधिक काम तो नहीं करा पाए, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी राज्य मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में करीब एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के काम हुए अथवा स्वीकृत किए गए हैं। इससे उन्हें संबल मिल रहा है।

कुछ मंत्रियों का कट सकता है टिकट

भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की दो दिन गुरुग्राम में चली बैठक में पार्टी के सभी दिग्गजों को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने का इशारा किया गया है। केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, राज्यसभा सदस्यों, पूर्व सांसदों और लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान पर छोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह की कैबिनेट में शामिल अधिकतर राज्य मंत्रियों से भी कह दिया गया है कि वे अपने दिमाग में टिकट कटने का डर ना पालें। इसके बावजूद कुछ कैबिनेट व कुछ राज्य मंत्रियों के टिकटों पर तलवार लटके होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

कुछ कैबिनेट मंत्री भी टिकट कटने के डर से जूझ रहे हैं। ग्राउंड पर हुए सर्वे में उनका रिपोर्ट कार्ड सही पाए जाने पर कैबिनेट मंत्रियों व राज्य मंत्रियों का चुनाव लड़ना तय है।

2019 के चुनाव में हारे गए थे अधिकतर मंत्री

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्री चुनाव हार गए थे, जबकि पार्टी ने राव नरबीर और विपुल गोयल को टिकट नहीं दिए थे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट में इस बार डॉ. कमल गुप्ता, जेपी दलाल, कंवरपाल गुर्जर, पंडित मूलचंद शर्मा, रणजीत चौटाला और डा. बनवारी लाल कैबिनेट मंत्री हैं।

राज्य मंत्रियों में असीम गोयल (वैश्य), संजय सिंह (राजपूत), सीमा त्रिखा (पंजाबी), महिपाल ढांडा (जाट), अभय सिंह यादव (अहीर), सुभाष सुधा (पंजाबी) और विशंभर वाल्मीकि सरकार का संचालन कर रहे हैं। इन सभी राज्य मंत्रियों को मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार मिला हुआ है।

संजय सिंह सोहना से विधायक हैं, जिनके पिता पूर्व मंत्री चौधरी सूरजपाल सिंह का मेवात में जबरदस्त प्रभाव था। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में सूरजपाल सिंह को शेर-ए-मेवात भी कहा जाता है, जिन्होंने 1996 में पहली बार तावडू से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर पार्टी का मेवात में खाता खोला था और चौधरी बंसीलाल की सरकार में राजस्व मंत्री रहे थे।

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राज्य मंत्रियों पर कितना भरोसा जताएगी भाजपा

खेल एवं वन राज्य मंत्री संजय सिंह पूरे प्रदेश में भाजपा के अकेले राजपूत विधायक हैं, जिन पर पार्टी को पूरा भरोसा टिका है। उन्होंने तावडू व नूंह से भी चुनाव लड़े हैं तथा पार्टी में प्रदेश सचिव रह चुके हैं। अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल वैश्य बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं, जबकि पानीपत ग्रामीण के विधायक महिपाल सिंह ढांडा की जाटों में पकड़ मजबूत हो रही है।

सिंचाई राज्य मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव की साफ सुथरी छवि और नांगल चौधरी में उनकी पकड़ पार्टी के काम आ रही है। बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा की दावेदारी भी मजबूत है, लेकिन उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेता धनेश अदलखा की दावेदारी से जूझना पड़ रहा है।

शहरी निकाय राज्य मंत्री सुभाष सुधा राज्य के लोकप्रिय पंजाबी नेता हैं, जो थानेसर से चुनाव लड़ते रहे हैं और जीते हैं। सुभाष सुधा ने अपने क्षेत्र के लिए काफी काम कराए हैं।

बवानीखेड़ा के विधायक विशंभर वाल्मीकि को लेक जरूर थोड़ा नाराजगी है, लेकिन उन्हें भी चुनाव के लिए सक्रिय रहने को कहा गया है। अब देखने वाली बात है कि पार्टी अपने इन राज्य मंत्रियों पर कितना भरोसा जताती है।

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