'नूंह हिंसा का मुख्य सरगना है विधायक मामन खान', नायब सरकार ने गंभीर आरोप लगाते हुए जमानत रद्द करने की लगाई गुहार
Nuh Violence कांग्रेस विधायक मामन खान की जमानत देने से नायब सरकार ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि मामन खान नूंह हिंसा का मुख्य सरगना है। इसी के शह पर इतनी बड़ी हिंसा हुई थी। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील करते हुए याचिका खारिज करने की गुहार लगाई है। 14 सितंबर 2023 को हरियाणा पुलिस ने नगीना थाने में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में खान को गिरफ्तार किया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक मामन खान को पिछले साल जुलाई में भड़की नूंह हिंसा का मुख्य सरगना बताते हुए हरियाणा सरकार ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में जेल में बंद वरिष्ठ कांग्रेस नेता मामन खान को 18 अक्टूबर को निचली अदालत ने जमानत दे दी थी।
खान की जमानत रद्द करने की मांग वाली अपनी याचिका में हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि कथित घटना में 100 से अधिक लोग घायल हुए और कुछ की जान चली गई, जिसके परिणामस्वरूप 61 प्राथमिकी दर्ज की गईं।
सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया
हरियाणा ने कोर्ट के समक्ष दलील दी, "मामन खान कथित गैरकानूनी सभा का मुख्य सरगना था, जिसने अपराध करने के लिए अन्य सह-आरोपितों के साथ मिलकर उकसाया और साजिश रची लेकिन 18 अक्टूबर, 2023 को उसे जमानत देते समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, नूंह द्वारा इन सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया गया। याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस महाबीर सिंह संधू ने मामन खान को नोटिस जारी कर 26 नवंबर तक जवाब मांगा है।हरियाणा पुलिस ने मामन खान को किया था गिरफ्तार
14 सितंबर 2023 को हरियाणा पुलिस ने नगीना थाने में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में खान को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से उत्पात मचाना आदि) के तहत आरोप लगाए गए हैं।मामले में गिरफ्तार सह-आरोपित के बयान और उनके कॉल डिटेल और उनके सुरक्षाकर्मियों के बयान के आधार पर विधायक पर मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, मामन खान इन मामलों में झूठे आरोप लगा रहे थे और उन्होंने मामले की स्वतंत्र जांच की मांग भी की थी।
पिछले साल 2023 में हुई थी नींह हिंसा
नूंह में हिंसा की घटना 31 जुलाई 2023 को हुई थी, जिसमें करीब छह लोगों की जान चली गई थी और निजी और सार्वजनिक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। घटना के बाद राज्य सरकार ने कथित तौर पर हिंसा में शामिल लोगों के घरों-परिसरों को ध्वस्त करने के लिए एक ध्वस्तीकरण अभियान भी चलाया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने मामले का स्वत संज्ञान लेते हुए ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगा दी थी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।