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Nikita Tomar Murder Case: लव जिहाद के लिए हुई थी निकिता की हत्या, सरकार ने फांसी की सजा के लिए लगाई याचिका

Nikita Tomar Murder Case लव जिहाद के नाम पर मारी गई छात्रा निकिता तोमर के परिवार को न्याय दिलाने के लिए हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हत्यारों को फांसी की सजा की मांग की गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2022 10:49 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 11:07 AM (IST)
Nikita Tomar Murder Case: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट व निकिता तोमर की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Nikita Tomar Murder Case: लव जिहाद के नाम पर निकिता तोमर की हत्या करने के दोषी तौसिफ और रेहान की उम्रकैद की सजा को फांसी में बदलने तथा बरी किए गए अजहरुद्दीन को दोषी करार देकर सजा दिलाने के लिए हरियाणा सरकार आगे आई है।

इस संबंध में हरियाणा सरकार की ओर से एक याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की गई है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। इससे पहले निकिता तोमर के परिवार ने भी यही मांग की थी। तब हाई कोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार व दोनों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ तोमर के परिवार ने हाई कोर्ट में दाखिल अपनी अपील में कहा कि सरेआम उनकी बेटी को कत्ल करने वालों के लिए उम्रकैद की सजा काफी नहीं है और ऐसे में इन दोनों को फांसी दी जानी चाहिए। साथ ही इस मामले में तीसरे आरोपित अजहरुद्दीन को बरी करने का फैसला भी गलत था। इसे बदल कर अजहरुद्दीन को भी दोषी करार देकर सजा सुनाई जानी चाहिए।

इस मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाला तौसिफ पहले ही उम्रकैद की सजा को अपील के माध्यम से चुनौती दे चुका है। हाई कोर्ट उसकी सजा के खिलाफ अपील को एडमिट कर चुका है तथा जुर्माने पर रोक लगा चुका है।

हरियाणा के बल्लभगढ़ में परिवार के साथ रह रही उत्तर प्रदेश के हापुड़ निवासी निकिता तोमर जब परीक्षा देकर कालेज से बाहर निकली तो तौसिफ ने अपने दोस्त रेहान के साथ मिलकर निकिता को पहले जबरदस्ती अपनी कार में बिठाने की कोशिश की, जब वह नहीं मानी तो तौफिक ने उसे गोली मार दी थी।

बाद में अस्पताल में निकिता की मौत हो गई थी। उसी दिन पुलिस ने तौसिफ सहित अन्य युवकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दी थी। फरीदाबाद की फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने तौसिफ और रेहान को मामले में दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन कारावास की सजा के साथ 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। यह मामला पूरे देश में सुर्खियों में रहा, जिसके बाद हरियाणा सरकार को मतांतरण विरोधी कानून बनाना पड़ा था।


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