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Haryana News: हरियाणा पुलिस में आईआरबी जवानों के विलय की अधिसूचना HC में पेश, पांच साल पहले दिए थे आदेश

पांच साल पहले हाई कोर्ट ने आईआरबी जवानों को हरियाणा पुलिस में विलय करने संबंधी आदेश जारी किए थे। लेकिन कोर्ट के आदेश अनुपालन न होने पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए चेतावनी दी। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आदेश की पालना नहीं हुई तो डीजीपी समेत अन्य प्रतिवादी अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगे। इसके बाद सरकार की तरफ से अधिसूचना को कोर्ट में पेश किया गया।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Fri, 02 Aug 2024 10:45 PM (IST)
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हरियाणा पुलिस में आईआरबी जवानों के विलय की अधिसूचना HC में पेश।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद आखिर पांच साल बाद हरियाणा सरकार ने आईआरबी के जवानों के हरियाणा पुलिस में विलय के नियम की अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार की तरफ से कोर्ट में अधिसूचना की कापी पेश की गई। इसके बाद कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

इंडियन रिजर्व बटालियन के जवानों का हरियाणा पुलिस में विलय करने के लिए जारी आदेश को पांच साल बीत जाने के बाद भी इसका अनुपालन नहीं होने पर कोर्ट ने साफ कर दिया था कि अगर अगली सुनवाई पर कोर्ट के आदेश की पालना रिपोर्ट दायर नहीं की गई तो डीजीपी समेत सभी प्रतिवादी पक्ष को कोर्ट में पेश होना होगा।

चार महीने पहले हाईकोर्ट ने विलय करने का दिया था आदेश

इस मामले में अवमानना याचिका दाखिल करते हुए गुरुग्राम निवासी राजेंद्र सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि उसकी मुख्य याचिका का 2019 में निपटारा करते हुए हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट ने चार माह में आईआरबी का हरियाणा पुलिस में विलय करने के लिए नियम बनाने का आदेश दिया था। तय अवधि बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया। हाई कोर्ट में अवमानना याचिका 2020 में दाखिल की गई थी और अभी तक पालन नहीं होने पर हाई कोर्ट ने तल्ख रवैया अपनाया है।

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सरकार को दिया था अंतिम मौका- हाईकोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि अब सरकार को यह अंतिम मौका दिया जा रहा है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कहा था कि आदेश का पालन कर नियमों को अंतिम रूप देकर अधिसूचित नहीं किया गया तो हरियाणा पुलिस की सभी पदोन्नति रोक दी जाएगी। इसके साथ ही आदेश का पालन होने में देरी के लिए जो भी जिम्मेदार अधिकारी हैं उनको दंडित किया जाएगा।

हाई कोर्ट जस्टिस राजबीर सेहरावत ने आदेश जारी करते हुए साफ कर दिया था कि अगर अगली सुनवाई तक आदेश की पालना नहीं हुई तो सभी प्रतिवादी इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगे।

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