आफिसर आन ड्यूटी: पंच में दम, सबसे आगे हम, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
हरियाणा में खिलाडिय़ों की तैयारियों में कोई कमी न रह जाए इसके लिए पांच लाख रुपये की मनोहर सौगात बूस्टर का काम करेगी। आइए कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं हरियाणा के साप्ताहिक कालम आफिसर आन ड्यूटी में...
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Fri, 19 Feb 2021 01:45 PM (IST)
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। ओलंपिक खेल अभी थोड़े दूर हैं, लेकिन हरियाणवी मुक्केबाजों का पंच अभी से राष्ट्रीय स्तर पर दम दिखाने लगा है। नेशनल बाक्सिंग कोचिंग कैंप में 43 मुक्केबाजों में जहां 23 मुक्केबाज हरियाणा के हैं, वहीं दिल्ली में ट्रेनिंग ले रहीं 37 महिला मुक्केबाजों में 21 यहीं की हैं। इतिहास गवाह है कि राष्ट्रमंडल खेल हों या फिर एशियाई गेम्स अथवा ओलंपिक खेल, हरियाणा के खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में भारत का डंका बजाया है।
ओलंपिक के इतिहास में भारत ने अब तक जो कुल 28 मेडल जीते हैं उनमें से आठ मेडल हरियाणा की मिट्टी में जन्मे-पले और बड़े हुए खिलाड़ियों की देन हैं। टोक्यो ओलंपिक के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में जिस तरह हरियाणवियों का दबदबा-जोश बरकरार है, उससे पूरे देश की नजरें फिर यहां पर टिकी हैं। खिलाड़ियों की तैयारियों में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए पांच लाख रुपये की मनोहर सौगात बूस्टर का काम करेगी।
...तो भूल जाएंगे मुंबई-गोवा
कोरोना काल में विदेशी पर्यटन के दरवाजे बंद होने के चलते देसी पर्यटन खूब फल-फूल रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार भी मौके का फायदा उठाने में जुटी है। दूसरे राज्यों के पर्यटकों को लुभाने के साथ ही स्थानीय पर्यटकों को प्रदेश में रोककर सैर-सपाटा कराने के लिए नए-नए तरीकों पर विचार किया जा रहा। खासकर बोटिंग व राफ्टिंग के शौकीन उन लोगों पर नजर है जो मुंबई-गोवा सहित दक्षिण भारत के समुद्री इलाकों का रुख करते रहे हैं। इनके लिए ताजेवाला व हथनीकुंड बैराज में बोंटिंग व राफ्टिंग की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। पर्यटन मंत्री कंवरपाल ने बाकायदा केरल में जाकर देखा कि पर्यटकों को क्या सुविधाएं दी जाएं कि स्थानीय पर्यटन स्थल उनकी पहली पसंद बन जाएं। अगर यह ड्रीम प्रोजेक्ट सिरे चढ़ा तो दूसरे राज्यों के पर्यटक भी प्रदेश के धाॢमक, ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों पर विचरण करने के साथ ही बोटिंग-राफ्टिंग करते नजर आएंगे।
सुबह का भूला शाम को लौटा
पिछली विधानसभा में इनेलो के विधायक थे जसविंद्र सिंह संधू। स्वभाव से बेहद मिलनसार और मृदुभाषी संधू की गिनती इनेलो सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेहद करीबियों में होती थी। उनके निधन के बाद इनेलो दोफाड़ हुई तो उनके बेटे गगनजोत सिंह संधू ने अभय चौटाला को छोड़ दुष्यंत का हाथ थाम लिया और जजपा में शामिल हो गए। अब अचानक से उनका इनेलो प्रेम जागा है जिन्होंने फिर से चश्मा पहन लिया। चौटाला परिवार से जुड़े कई पुराने दिग्गजों की लगातार घर वापसी से खुश अभय चौटाला कहते हैं कि कुछ लोग राह भटक गए थे, उन्हेंं सारा खेल समझ आ गया है। यही वजह है कि वे फिर इनेलो में आ रहे हैं। सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। इसके उलट उन्हेंं पहले से भी ज्यादा मान-सम्मान दिया जाएगा। पार्टी की मजबूती के लिए किसी से कोई शिकवा नहीं।
मुश्किल समझो सरकारकोरोना के कारण प्राइमरी स्कूलों में नियमित पढ़ाई हो नहीं पाई। सारा साल आनलाइन पढ़ाई की खानापूर्ति के बाद अब असेसमेंट टेस्ट भी आनलाइन हो रहे हैं। यह फैसला न बच्चों-अभिभावकों को रास आ रहा और न शिक्षकों को। कारण यह कि सरकारी स्कूलों के आधे से अधिक बच्चों के घरों में स्मार्टफोन नहीं हैं। इससे वह आनलाइन परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे। रही सही कसर साइट पूरी कर दे रही है, जिसमें कई तरह की दिक्कतेंं हैं। शिक्षक संगठनों का तर्क है कि छोटे बच्चों का न सही, लेकिन जो कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, उनमें तो स्कूल में ही पेपर लिया जाना चाहिए। निजी स्कूल भी प्राथमिक कक्षाएं शुरू करने का दबाव बना रहे हैं। उनका तर्क है कि छोटे बच्चों के घरों पर रहने से न केवल उनका शिक्षा स्तर गिरा, बल्कि मोबाइल की लत लगने से मानसिक स्तर भी कम हो गया है।
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