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Exclusive interview: राव इंद्रजीत बाेले- मोदी सरकार ही किसान हितैषी, किसी ने इतने कदम नहीं उठाए

Exclusive interview हरियाणा भाजपा के वरिष्‍ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह ने एक खास इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार ही किसानों की असली हितैषी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों के हितों में जितने कदम उठाए हैं उतने किसी अन्‍य सरकार ने नहीं उठाए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 27 Dec 2020 07:51 AM (IST)
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हरियाणा में भाजपा के वरिष्‍ठ नेता व केंद्रीय राज्‍यमंत्री राव इंद्रजीत सिं‍ह। (जागरण)
नई दिल्‍ली, जेएनएन। तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन को अब पूरा एक माह हो गया है। इससे दिल्ली और एनसीआर की अर्थव्यवस्था खासी प्रभावित हो रही है। किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर विपक्ष की किसान आंदाेलन में सियासत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को राहत पैकेज दिया है।

केंद्र सरकार के इन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को केंद्र में योजना एवं सांख्यिकी कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह में अलग रूप में देखते हैं। वह किसानों के आंदाेलन के औचित्‍य पर सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि अब तक की सरकारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ही असल मायने में किसानों की हितैषी है। अब तक किसी सरकार ने किसानों के लिए इतने कदम नहीं उठाए। राव इंद्रजीत से किसानों के आंदाेलन के बारे में हरियाणा राज्य ब्यूरो के विशेष संवाददाता बिजेंद्र बंसल ने खास बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश।

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- किसान एक माह से दिल्ली को घेरे हुए बैठे हैं, क्या कारण सरकार इन्हें क्यों नहीं समझा पा रही है?

- देखिए, मैं अपनी बात शुरू करने से पहले यह साफ कर दूं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। कोई भी सरकार किसान को नाराज नहीं कर सकती। रही बात इन तीन कृषि कानूनों की तो मोदी सरकार ने भी ये बड़े विशेषज्ञों से चर्चा करके किसान हित में बनाए हैं। दिल्ली को घेरने वाले किसानों के पीछे कौन लोग हैं, इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार अपने संबोधन में पूरी तरह साफ कर दिया है। हम काफी हद तक किसानों को समझाने में कामयाब हुए तभी तो कृषि सुधार कानूनों के पक्ष में नारनौल में बड़ी रैली हुई। दिल्ली सीमा पर बैठे किसानों को समझाने में कुछ समय अवश्य लग रहा है, मगर हम इनके भ्रम शीघ्र दूर कर देंगे।

- आप मोदी सरकार में मंत्री हैं, क्या पंजाब से सटे हरियाणा के किसान इन कानूनों से संतुष्ट हैं?

-- आप देख लें, हरियाणा के ज्यादातर किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं। किसानों की फसलों का दाम सीधे खातों में आ रहा है बिचौलिए खत्म हुए, यूरिया की कमी को सरकार ने दूर किया है। यह आंदोलन तो सिर्फ राजनीतिक महत्वाकांक्षा की देन है। जैसे ही नए कानूनों के नतीजे किसानों के सामने आने लगेंगे, वैसे ही सभी किसान उन राजनीतिज्ञों से पीछा छुड़ा लेंगे जो फिलहाल उनके बीच राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।

- कृषि सुधार कानूनों में संशोधन प्रस्तावों को लेकर आपका क्या मानना है?

- मैं व्यक्तिगत और सरकार का अंग होने के नाते भी किसी भी कानून में चर्चा के बाद संशोधन का पक्षधर हूं। यदि तीन कृषि कानूनों में किसी सुधार की जरूरत है तो पीएम सहित कृषि मंत्री ने भी इसकी बाबत पहल की है। असल में मामला संशोधन का नहीं है। जैसे मैंने पहले बताया कि यहां मामला सिर्फ राजनीतिक महत्वाकांक्षा का है। मुझे मोदी के सामने अभी तो दूर-दूर तक किसी की यह महत्वाकांक्षा पूरी होते हुए दिखाई नहीं देती।

- पंजाब से एसवाईएल का पानी मांगने का क्या यह सही समय है?

- बिल्कुल सही समय है। एसवाईएल नहर का निर्माण तो हरियाणा के लिए जीवन रेखा है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया है। पंजाब सरकार ने जिन किसानों का हवाला देकर अब तक हरियाणा के हक का पानी नहीं दिया, उन्हें भी तो वस्तुस्थिति का ज्ञान होना चाहिए। पंजाब के किसान जब हरियाणा के किसानों से दिल्ली सीमा पर समर्थन मांग रहे हैं तो हमारी भी यही मांग है की हरियाणा को उसके हिस्से का एसवाईएल का पानी दिया जाए।

- विपक्ष किसानों को भ्रमित करने में सफल रहा तो क्या यह भाजपा की चूक नहीं है?

इसे भाजपा की चूक के रूप में नहीं देखना चाहिए। भाजपा तो अपनी गति से किसानों के हित में काम कर रही है। किसान सम्मान निधि हो या फिर किसान के खेत में बिजली, पानी, खाद,बीज की आपूर्ति हो, नहरी पानी का केंद्र सरकार ने इसके लिए काम किया है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जब मोदी सरकार किसानों के खाते में उनकी सम्मान निधि सीधे बैंक खातों में भेज रही है। खुद प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शुक्रवार को भी देश के 9 करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपये की सम्मान राशि पहुंची है।

- किसान आंदोलन से दिल्ली के चारों तरफ आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, यह आंदोलन कब तक खत्म होगा?

- केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकार भी आंदोलनकारियों से बातचीत कर रही हैं। कुछ राजनीतिक स्वार्थी लोग किसानों के बीच में आने से समाधान रुका है मगर मुझे उम्मीद कि जल्द यह मसला सुलझ जाएगा। मेरी किसानों से अपील है कि वे आंदोलन में हिंसा न आने दें। सड़कों को जाममुक्त कर दें ताकि अर्थव्यवस्था पर इसका असर न हो।

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