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Panchkula Assembly Seat: खत्म होगा वनवास या लगेगी हैट्रिक, पंचूकला से ज्ञानचंद गुप्ता और चंद्रमोहन के बीच कड़ी टक्कर

Panchkula Assembly Seat हरियाणा के विधानसभा क्षेत्र में चुनाव को कुछ ही समय बचा है। पंचकूला विधानसभा सीट से कांग्रेस के चंद्रमोहन और भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता के बीच मुकाबला है। दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है। हालांकि जातीय समीकरण और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। अब देखना यह है कि इस चुनाव में किसे जीत मिलेगी और किसे शिकस्त

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 26 Sep 2024 09:36 PM (IST)
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हरियाणा का विधानसभा क्षेत्र पंचकूला से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रमोहन और भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता के बीच टक्कर

राजेश मलकानियां, पंचकूला। नरदक-खादर बेल्ट यानी उत्तरी हरियाणा का विधानसभा क्षेत्र पंचकूला। राजधानी चंडीगढ़ से सटा यह विधानसभा क्षेत्र अब छोटी राजधानी का रूप ले चुका है। इसने 35 वर्षों में प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बहुत विकास किया है।

अब यहां पर मुद्दा विकास से ज्यादा चौधर का हो गया है। कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रमोहन का विधायक पद से बनवास खत्म होगा या भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता हैट-ट्रिक लगाएंगे, यही चर्चा जोरों पर है।

चंद्रमोहन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि ज्ञानचंद गुप्ता वर्ष 2014 में सरकार के मुख्य सचेतक एवं वर्ष 2019 से 2024 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं।

इस सीट पर दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 18 वर्ष तक विधायक रहे चंद्रमोहन पिछले 15 वर्ष से विधायक नहीं बन पाए। वहीं ज्ञानचंद गुप्ता भाजपा की 76 वर्ष की आयु के बाद टिकट न मिलने वाली पॉलिसी को दरकिनार कर टिकट लेने में तो कामयाब हो गए, लेकिन इस बार हैट-ट्रिक लगाने को जोर बहुत लग रहा है। यहां जातीय समीकरण भी मायने रखते हैं। इतना ही नहीं निर्दलीय भी कांटे का मुकाबला बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।

वैश्य समाज का रुख सबसे अहम

इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण काफी अहम हैं। वैश्य एवं पंजाबी समुदाय सबसे अधिक संख्या में है। कहा जाता है कि इन दोनों में से एक भी समुदाय के लोग मिलकर जिसे अधिक मतदान कर दें, उसे कोई हरा नहीं सकता।

पंजाबी समुदाय से कोई बड़ा चेहरा मैदान में नहीं है, लेकिन वैश्य समुदाय से तीन चेहरे मैदान में है। भाजपा से ज्ञानचंद गुप्ता, आम आदमी पार्टी से प्रेम गर्ग और जजपा से सुशील गर्ग। अब पंजाबी समुदाय का रुख किस तरफ रहता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

इसलिए हाट सीट यहां से पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन और निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता आमने-सामने हैं। साथ ही राज्य मिनी राजधानी प्रदेश के सभी जिलों से विकसित जिला है पंचकूला। इस पर इस बार सभी की नजरें हैं, क्योंकि भजनालाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन एक बार फिर मैदान में हैं। पंचकूला हलका 2009 के परिसीमन में बना। पहले विधायक डीके बंसल बने।

लोस चुनाव में भाजपा थी आगे

करीब चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में करीब 22 हजार वोटों से आगे रही थी। हालांकि वह चुनाव हार गई थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ज्ञानचंद गुप्ता के सामने उस बढ़त को ज्यादा वोटों में बदलना बड़ी चुनौती रहेगी।

प्रत्याशियों की चुनौती

ज्ञानचंद गुप्ता: सत्ता विरोधी लहर से निपटना

ज्ञानचंद गुप्ता ने भले ही विकास के लिए कोई कसर न छोड़ी हो, लेकिन पिछले 10 वर्ष से विधायक होने के चलते कहीं न कहीं सत्ता विरोधी लहर जरूर है। इसको कम करने के साथ-साथ कुछ समस्याओं और मुद्दों पर लोगों का रोष कम करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।

हालांकि, ज्ञानचंद गुप्ता ने अपने पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में कई बड़े प्रोजेक्ट, पुल लाने का काम तो किया ही, साथ ही सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं को सरकारी फंड बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

चंद्रमोहन: कई बड़े नाराज चेहरे साथ लाने होंगे

चंद्रमोहन का पंचकूला में उनका दबदबा कम नहीं है, लेकिन कई बड़े चेहरे उनसे नाराज होकर घर पर बैठे हैं। युवा कांग्रेस भी उनके लिए काम नहीं कर रही है।

चंद्रमोहन के कुछ निजी विवाद भी रहे, जिसको भुनाने के लिए दो दिन राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने भी कोशिश की थी और मंच से काफी कुछ बोल गईं। वह 2009 के बाद कोई चुनाव नहीं जीते हैं, इसलिए वापसी करना उनके लिए बड़ी चुनौती है।