हरियाणा में कितनी कारगर है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना', पीजीआई करेगा मूल्यांकन
हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना कितनी कारगर रही इसको लेकर पीजीआई मूल्यांकन करेगा और पीजीआइ की ओर से हरियाणा के अलग-अलग जिलों में इसकी स्थिति का जमीनी स्तर पर जाकर अलग-अलग मापदंडों को परख कर मूल्यांकन करेगा। पीजीआइ का कहना है कि इस शोध के जरिए यह देखा जाएगा कि लिंग अनुपात से लेकर बेटियों के स्वास्थ्य सुविधाओं में क्या सुधार हुआ है।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 22 Sep 2023 02:55 PM (IST)
चंडीगढ़, विशाल पाठक: हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना कितनी कारगर रही। इस पर पीजीआइ का कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ विभाग मूल्यांकन करेगा। पीजीआइ की ओर से हरियाणा के अलग-अलग जिलों में इसकी स्थिति का जमीनी स्तर पर जाकर अलग-अलग मापदंडों को परख कर मूल्यांकन करेगा।
पीजीआइ के डाक्टर यह जानने की कोशिश करेंगे, क्या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (बी3पी) से हरियाणा की बेटियों के जीवन में सुधार आया है या नहीं। हरियाणा में जन्मी लड़कियों के स्वास्थ्य से लेकर उनकी शिक्षा-दिक्षा और यहां तक की विवाह के बाद गृहस्थ जीवन में क्या सुधार आए हैं। इसको लेकर मूल्यांकन किया जाएगा।
यहां तक पीजीआइ इस प्रोजेक्ट के तहत यह देखेगा कि जो नवजात बेटियां हरियाणा में जन्म ले रही है, क्या उन्हें प्राथमिक चरण यानी पांच साल तक होने वाले टीकाकरण उनके अभिभावकों द्वारा सुनिश्चित किए जा रहे या नहीं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से सुधरा लिंग अनुपात
आंकड़ों पर नजर डालें तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से हरियाणा में लिंग अनुपात में सुधार हुआ है। पीजीआइ का कहना है कि इस शोध के जरिए यह देखा जाएगा कि लिंग अनुपात से लेकर बेटियों के स्वास्थ्य सुविधाओं में क्या सुधार हुआ है। इसके अलावा हरियाणा में जिस प्रकार पहले बेटियों को जन्म से पहले गर्भपात करा मार दिया जाता था, उसमें किस स्तर तक सुधार हुआ है।
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो लिंग अनुपात में बीते 10 साल में करीब 95 अंक तक सुधार हुआ है। जो 2012 में एक हजार पर 832 था। जो वर्ष 2022 में एक हजार पर 917 दर्ज किया गया था। हालांकि हरियाणा के कई जिलों में अब भी सुधार होना बाकी है, इस प्रोजेक्ट के तहत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की कमियों का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
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