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Haryana Election 2024: राजनीति में अक्सर चित हुए खिलाड़ी, विनेश फोगाट के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

Haryana Vidhansabha Election 2024 हरियाणा की राजनीति में आए कई खिलाड़ियों की सियासत परवान नहीं चढ़ पाई। इस बार राजनीति के दंगल में उतरीं पहलवान विनेश फोगाट के सामने अब खुद को साबित करने की चुनौती होगी। विनेश को कांग्रेस ने जींद जिले के जुलाना से टिकट दिया है। बता दें कि हरियाणा में 5 अक्टूबर को सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 08 Sep 2024 11:33 AM (IST)
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Haryana Election 2024 विनेश फोगाट के सामने खुद को साबित करने की चुनौती (जागरण फोटो)
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। खेल के अखाड़े में अपना पूरा दमखम दिखाने वाले खिलाड़ी जब राजनीति के अखाड़े में कूदते हैं तो उन्हें लगता है कि राह आसान है। राजनीति में आने के बाद की जो उनकी स्थिति रहती है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि हर खिलाड़ी राजनीति के मैदान में दावपेंच के लिए नहीं बना है। हरियाणा में सियासी अखाड़े में कई खिलाड़ी मुकाम पर पहुंचे तो कई खिलाड़ी आउट हुए। फिलहाल राजनीति के मैदान में नए खिलाड़ी विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया उतरे हैं।

विनेश को कांग्रेस ने जुलाना से बनाया प्रत्याशी

विनेश फोगाट को कांग्रेस ने जींद जिले की जुलाना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है, जबकि बजरंग पूनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया है। विनेश फोगाट को जुलाना से टिकट मिलने के बाद इनेलो छोड़कर पहले भाजपा और फिर कांग्रेस में आए पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल अब अपनी नई राह तलाश रहे हैं।

खिलाड़ियों की सियासत नहीं चढ़ पाई परवान

परमिंदर ढुल आज तक सिर्फ इनेलो के टिकट पर ही विधायक बन पाए हैं। 1970 के दौरान चौधरी बीरेंद्र सिंह के साथ हरियाणा की राजनीति में खिलाड़ियों की एंट्री का सिलसिला शुरू हुआ था।

अभी तक चौधरी बीरेंद्र सिंह के अलावा कृष्णमूर्ति हुड्डा, योगेश्वर दत्त, संदीप सिंह, बबीता फोगाट, बिजेंद्र सिंह और विनेश फोगाट के साथ बजरंग पूनिया राजनीति में एंट्री कर चुके हैं।

इनके अलावा भी कई खिलाड़ी हरियाणा की राजनीति में आए, जिनकी सियासत परवान नहीं चढ़ पाई, इनमें से कुछ तो ऐसे थे, जो मैदान में आते ही आउट हो गए।

कांग्रेस सत्ता से दूर हुई तो साइड लाइन हो गए कृष्णमूर्ति हुड्डा

पूर्व क्रिकेटर कृष्णमूर्ति हुड्डा अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत में खूब परवान चढ़े, लेकिन धीरे-धीरे सियासत में उनका नाम पैवेलियन में बैठे खिलाड़ी के रूप में गिना जाने लगा। कृष्णमूर्ति हुड्डा विधायक और मंत्री बने, लेकिन जब कांग्रेस सत्ता से दूर हुई तो हुड्डा भी साइड लाइन होते चले गए।

फिलहाल कृष्णमूर्ति हुड्डा भाजपा के साथ हैं, जिन्हें उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें गढ़ी सांपला किलोई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध चुनावी रण में उतारेगी, लेकिन भाजपा ने वहां मंजू हुड्डा को टिकट दे दिया है।

बाक्सिंग रिंग से लेकर राजनीति की पिच पर बीरेंद्र सिंह

1970 में बाक्सिंग रिंग से बीरेंद्र सिंह उचाना से पांच बार जीतकर विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया तथा तीन बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रहे। तीन बार सांसद बने और केंद्र में ग्रामीण विकास और लौह एवं इस्पात मंत्री भी रहे। मुख्यमंत्री बनने का उनका सपना अभी जिंदा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन्हें हर बार पटकनी देते रहे।

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दंगल गर्ल 2019 में आई राजनीति में

दंगल गर्ल बबीता फोगाट 2019 में दादरी से चुनावी अखाड़े में उतरीं लेकिन जीत नहीं पाई। तभी से वह भाजपा के लिए काम कर रहीं हैं। भाजपा ने उन्हें पार्टी में खूब मान-सम्मान दिया। राज्य महिला विकास निगम का चेयरपर्सन भी बनाया, लेकिन 2024 में पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया।

पहलवान योगेश्वर दत्त कई बार हुए चित

पहलवान योगेश्वर दत्त कुश्ती का अखाड़ा छोड़कर सियासी दंगल में कूदे। 2019 में भाजपा ने उन्हें बरौदा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा से उन्हें चुनावी रण में पटखनी मिली। इसके बाद कांग्रेस के इंदुराज नरवाल भालू से चित हो गए।

इस बार विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें चुनाव मैदान में उतारेगी। वह गोहाना से टिकट मांग रहे थे, मगर भाजपा ने यहां पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को उतार दिया है। भाजपा की बाकी बची 23 सीटों में बरौदा हलके से कृष्ण ढुल उनकी राह में रोड़ा बन गए हैं।

संदीप सिंह का राजनीतिक सफर विवादों भरा

2019 में भाजपा ने हाकी खिलाड़ी संदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। पिहोवा से विधायक निर्वाचित हुए, संदीप सिंह को मनोहर सरकार में खेल राज्यमंत्री बनाया गया। मगर महिला कोच से छेड़छाड़ के विवाद में फंसने के बाद संदीप सिंह का राजनीतिक करियर ही खत्म हो गया। नायब सरकार में उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा और 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने संदीप पर दोबारा भरोसा नहीं जताया।

सियासी पिच पर सफल नहीं हुए रणबीर महेंद्रा

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहे रणबीर महेंद्रा सियासी पिच पर कमाल नहीं दिखा पाए। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के बेटे रणबीर महेंद्रा ने राजनीति में इंट्री की और एक बार विधायक भी चुने गए। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में बाढ़डा से कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े, मगर हर बार हिट विकेट ही हुए। अब उनके बेटे अनिरुद्ध महेंद्रा चुनावी रण में ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।

राजनीतिक गलियारों में बाक्सर बिजेंद्र सिंह अस्थिर

बाक्सर बिजेंद्र सिंह बाक्सिंग रिंग को छोड़कर राजनीतिक पिच पर उतरे, लेकिन पहली बार में ही आउट हो गए। 2019 में लोकसभा चुनाव में बिजेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर दक्षिणी दिल्ली से चुनाव मैदान में जरूर उतरे, जीतना तो दूर, अपनी जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं रहे। 2024 में बिजेंद्र ने कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था।

विनेश के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

पेरिस ओलिंपिक में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से बाहर हुई पहलवान विनेश को कांग्रेस ने जुलाना से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस में शामिल होने के आठ घंटे बाद ही जाट बाहुल्य जुलाना विधानसभा से चुनावी मैदान में उतर गई। राजनीति के मैदान में खुद को साबित करने की चुनौती है।

पहलवान बजरंग पूनिया को करना होगा इंतजार

ओलिंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने कांग्रेस का हाथ थामा। कांग्रेस ने बजरंग को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी चेयरमैन नियुक्त किया है। बजरंग बादली हलके से टिकट मांग रहे थे, लेकिन वहां कुलदीप वत्स मौजूदा विधायक हैं।

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