हरियाणा में गोबर से 300 मेगावाट बिजली उत्पादन की तैयारी, गोशालाओं व डेयरियों में लगेंगे बायोगैस प्लांट
हरियाणा में अनुमान के मुताबिक आठ लाख पशुधन है। सरकार की योजना इनके गोबर से बिजली उत्पादन करने की है। इससे 300 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। इसके लिए डेयरियों व गोशालाओं में बायोगैस प्लांट लगेंगे।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 29 Jul 2021 10:44 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की गोशालाओं और डेयरियों में बायोगैस प्लांट लगाने का खाका तैयार किया गया है। प्रदेश में करीब 600 गोशालाएं और छोटी-बड़ी करीब चार हजार डेयरियां हैं। मोटे तौर पर राज्य में करीब आठ लाख पशुधन का आकलन किया गया है, जिनके गोबर से करीब चार लाख क्यूबिक मीटर तक बायोगैस बनाई जा सकती है। इस बायोगैस से 300 मेगावाट तक बिजली पैदा होनी संभव है।
हरियाणा सरकार ने गोशालाओं और डेयरियों में बायोगैस प्लांट लगाने के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप प्रदान कर दिया है। इसके तहत राज्य में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग तथा हरेडा मिलकर 25 क्यूबिक मीटर, 35 क्यूबिक मीटर, 45 क्यूबिक मीटर, 60 क्यूबिक मीटर व 85 क्यूसिक मीटर क्षमता तक के संस्थागत बायोगैस प्लांट स्थापित कराएंगे। हरियाणा सरकार द्वारा प्रत्येक बायोगैस प्लांट पर 40 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। यह अनुदान किसी भी गोशाला या डेयरी के लिए 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर दिया जाएगा।
हरियाणा में खासा पशुधन है। 100 पशु हर रोज करीब 10 क्विंटल गोबर देते हैं, जिससे करीब 50 क्यूबिक मीटर गैस प्राप्त हो सकती है। गोबर के निस्तारण, रसोई गैस की किल्लत खत्म करने तथा पर्यावरण की शुद्धता के साथ गोशालाओं व डेयरियों की आय में बढ़ोतरी ने राज्य सरकार ने बायोगैस प्लांट लगाने की कार्य योजना तैयार की है। एक बायोगैस प्लांट लगाने पर 20 से 35 हजार रुपये का खर्च आ सकता है। बायोगैस एक साफ, पर्यावरण हितैषी और धुंआ रहित गैस है और यह बायो खेती के लिए आर्गेनिक खाद तैयार करने में सहायक है। बायोगैस में 55 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक मिथेन गैस होती है, जो ज्वलनशील है। बायोगैस पशुओं के गोबर से तैयार होती है।
बायोगैस प्लांट को सामान्य रूप से गोबर गैस प्लांट के रूप में जाना जाता है। बायो गैस में मिथेन के अलावा कार्बनडाई आक्साइड 35 से 40 प्रतिशत एवं अल्प मात्रा में वाष्प होती है। एक घन मीटर बायोगैस में लगभग 4700 किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है। बायोगैस संयंत्र से प्राप्त गैस का उपयोग भोजन पकाने व रोशनी करने के लिए किया जाता है। बायोगैस से द्विईंधनीय इंजन चलाकर 100 प्रतिशत पेट्रोल एवं 80 प्रतिशत तक डीजल की बचत भी की जा सकती है। इस तरह के इंजनों का उपयोग बिजली उत्पादन एवं कुएं से पानी निकालने में किया जाता है।
आजकल ड्यूल गैस आधारित ईंजन बाजार में उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग बायोगैस के शुद्धिकरण के बाद विद्युत उत्पादन एवं विभिन्न यांत्रिक कार्यों के लिए किया जा सकता है। तीन से चार व्यक्तियों के एक छोटे परिवार के लिए खाना पकाने के लिए लगभग एक घन मीटर क्षमता वाले बायोगैस संयंत्र की आवश्यकता होती है। सामान्य बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 25 फीट लंबाई और 15 फीट चौड़ाई वाली खुली जमीन की आवश्यकता होती है। संयंत्र स्थापना के पश्चात उक्त जमीन समतल से दिखाई देती है जिसका उपयोग आने जाने में किया जा सकता है।
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