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ह‍रियाणा सीएम मनोहर व केंद्र ने कहा- SYL मुद्दा सुलझने के करीब, लेकिन पंजाब के अलग ही बोल

एसवाईएल पर वार्ता के बाद हरियाणा के सीएम मनोहरलाल और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा यह मुद्दा सुलझने के करीब है। दूसरी ओर पंजाब के सीएम हरियाणा को पानी देने काे तैयार नहीं हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 19 Aug 2020 08:02 AM (IST)
ह‍रियाणा सीएम मनोहर व केंद्र ने कहा- SYL मुद्दा सुलझने के करीब, लेकिन पंजाब के अलग ही बोल
नई दिल्‍ली/ चंडीगढ़,जेएनएन/एएनआइ। एसवाईएल नहर मामले पर पंजाब एवं हरियाणा के मुख्‍यमंत्रियों की आज वार्ता के बावजूद यह मामला गर्माता दिख रहा है। वार्ता की मध्‍यस्‍थता करने वाले केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा‍ कि यह मसला सुलझने के करीब है और अंतिम दौर में है। हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोलरलाल ने भी वार्ता को सकारात्‍मक बताया। इसके उलट वार्ता के बाद पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब को पानी देने से इन्‍कार किया और इससे राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की चेतावनी तक दे दी।

बता दें कि एसवाईएल विवाद मामले पर हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के बीच आज वार्ता का पहला दौर पूरा हुआ। बातचीत का दूसरा दाैर एक सप्‍ताह बाद होगा। इसकी मध्‍यस्‍थता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने की। वार्ता के बाद शेखावत ने कहा कि 45 साल पुराना यह विवाद सुलझने ने करीब है। मनोहरलाल ने कहा कि इस मुद्दे को हम सुलझा कर ही दम लेंगे।

बता दें कि SYL नहर निर्माण विवाद पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बीच केंद्र सरकार की मध्यस्थता में आज शाम तीन बजे के बाद बातचीत शुरू हुई। वार्ता का पहला दौर ख़त्म होने के बाद हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल और केेंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले का हल जल्‍द होने की उम्‍मीद जताई।

दोनों नेताओं ने बताया कि एक सप्ताह के बाद अगले दौर की बातचीत होगी। इसमें अंतिम निर्णय पर पहुंचा जाएगा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि दोनों राज्यों में खुले मन से इस 45 साल पुराने विवाद पर बातचीत की है। इस विवाद को सुलझाने के लिए किसी नए फ़ार्मूले के बारे में विचार किए जाने के संदर्भ में शेखावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सभी फ़ार्मूलों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। अब यह मामला सुलझने के अंतिम दौर में है।

बता दें  कि आज की वार्ता सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा के पक्ष फैसला दिया था, लेकिन पंजाब ने अपने यहां पानी न होने की बात कह कर इस पर अमल से इन्‍कार कर‍ दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दोनों राज्‍यों के बीच बातचीत कराकर इस विवाद का निपटारा करवाए।

दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की मौजूदगी में खुले मन से रखे अपने पक्ष

दरअसल सतलुज-यमुना लिंक नहर निर्माण के विवाद पर पंजाब और हरियाणा के बीच मंगलवार हुई बातचीत के बाद रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में अपना पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर 2016 के निर्णय के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मामले में पहली बार आमने-सामने बातचीत की है। हालांकि अगले सप्ताह में दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच चंडीगढ़ में एक और बातचीत होगी। इसके बाद दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के साथ बैठक में सर्वमान्य हल पर चर्चा होगी। इससे पहले दोनों राज्यों में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जाएगी।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को अपने ताजा आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि एसवाईएल नहर निर्माण पर दोनों राज्यों के बीच बैठक कराई जाए। बैठक में हिस्सा लेने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जल शक्ति मंत्रालय पहुंचे जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में जुड़े। इसमें शेखावत के साथ केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह मौजूद थे। कैप्टन के साथ पंजाब के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब से साफ तौर पर एसवाईएल नहर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करने का आग्रह किया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सतलुज नदी का पानी देने की बात करते ही पंजाब जल जाएगा। पंजाब में प्रतिबंधित सिख संगठन अलगाववादी आंदोलन पुनर्जीवित कर देंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि पानी का मुद्दा पंजाब को अस्थिर कर देगा। इसका असर हरियाणा और राजस्थान पर भी पड़ेगा।

कैप्टन ने इस बैठक में वे सभी तर्क तकनीकी आधार पर रखे जिनके आधार पर एसवाईएल नहर के निर्माण का मुद्दा टाला जा सके। पंजाब सीएम ने यहां तक कह दिया कि 1966 में जब हरियाणा अलग हुआ तो संपत्ति के 60:40 बंटवारे के दौरान पंजाब ने यह पानी का बंटवारा स्वीकार नहीं किया था।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच खुले मन से बातचीत हुई। अगले दौर की बातचीत में कोई न कोई हल अवश्य निकलेगा। किसी नए फार्मूले की बाबत शेखावत ने कहा कि सारे फार्मूल सुप्रीम कोर्ट में पहले ही रखे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानना चाहिए। पंजाब के सीएम ने कहा कि वे राजनीतिक कारणों से एक बार अपने राज्य के सभी दलों से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब के अलावा हरियाणा भी सर्वदलीय बैठक करने के बाद अगली बैठक में अपनी राय रखेगा। उन्होंने कहा कि हम इस मसले को सुलझाकर ही दम लेंगे।

दक्षिण हरियाणा के साथ दिखाया पटियाला रियासत का जुड़ाव

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे जानते हैं कि एसवाईएल नहर निर्माण का सबसे ज्यादा फायदा दक्षिण हरियाणा को मिलेगा। दक्षिण हरियाणा पटियाला रियासत का हिस्सा था। इसलिए उन्हेंं दक्षिण हरियाणा से व्यक्तिगत प्यार था। मगर मौजूदा हालातों में पंजाब के लिए हरियाणा को पानी देना संभव नहीं है। उन्होंने चेताया कि चीन भी अपने क्षेत्र में जब बांध बना लेगा तो सतलुज नदी में तो पंजाब के लिए ही पानी कम पड़ेगा।

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