हाईकोर्ट ने खारिज की आसिफ की अग्रिम जमानत याचिका, गौ हत्या से जुड़ा है मामला
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने गोवध के मामले में आरोपित आसिफ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस संदीप मोदगिल ने गाय को भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बताया। आसिफ पर हरियाणा से राजस्थान गायों को वध के लिए ले जाने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत आदतन अपराधियों के लिए नहीं है और कानून को सख्ती से अपना काम करना चाहिए।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गोवध के एक मामले में आरोपित आसिफ की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस संदीप मोदगिल ने अपने फैसले में गाय को भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर बताते हुए कहा कि इसका वध केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द्रपूर्ण और सार्वजनिक शांति के लिए गंभीर खतरा है।
कोर्ट ने आरोपित के आपराधिक रिकॉर्ड और आदतन अपराध की प्रवृत्ति को आधार बनाकर यह निर्णय लिया। हरियाणा पुलिस के अनुसार, आसिफ पर आरोप है कि वह दो गायों को हरियाणा से राजस्थान ले जाकर वध करने की योजना बना रहा था।
आरोपी का रहा है आपराधिक इतिहास
यह कार्य हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम, 2015 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उल्लंघन है।
पुलिस ने बताया कि आसिफ का आपराधिक इतिहास रहा है, और उसके खिलाफ पहले भी गोवध से संबंधित तीन एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें उसे जमानत मिली थी।
जस्टिस मोदगिल ने कहा, गाय भारत की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। संविधान का अनुच्छेद 51(ए)(जी) सभी नागरिकों को जीव-जंतुओं के प्रति करुणा का भाव रखने को बाध्य करता है।
आरोपी आसिफ बार-बार गोवध में रहा शामिल
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2005 के फैसले स्टेट ऑफ गुजरात बनाम मिर्जापुर मोती कुरैशी कस्साब जमात का हवाला देते हुए गोवध पर रोक लगाने वाले कानूनों को संवैधानिक ठहराया।
कोर्ट ने पाया कि आसिफ ने पहले जमानत का दुरुपयोग किया और बार-बार गोवध जैसे अपराधों में शामिल रहा।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी की, अग्रिम जमानत निर्दोष लोगों को अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी से बचाने के लिए है, न कि आदतन अपराधियों को कानून से बचाने का उपकरण।
गोवध के मामले पर हाईकोर्ट सख्त
कोर्ट ने माना कि जमानत देने से आसिफ जांच में हस्तक्षेप या साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकता है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन बार-बार अपराध की प्रवृत्ति दिखाने वाले व्यक्ति को इसका लाभ नहीं दिया जा सकता और कानून को सख्ती से अपना रास्ता चुनना चाहिए।
इस मामले में आरोपित के खिलाफ तीन अप्रैल 2025 को मेवात में हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम, 2015 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपित ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
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