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Haryana News:'लोकलुभावन कदम उठाकर सरकारी खजाने को नुकसान न पहुंचाएं', हाईकोर्ट ने कहा- राजस्व बढ़ाने पर जोर दे सरकार

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सरकार को ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिससे राज्य के राज्स्व में बढ़ोतरी हो इसके साथ ही कारोबारियों को व्यापार करने में परेशानी न हो। कोर्ट ने कहा कि केवल लोकलुभावन (Guava tree compensation scam) कदम उठाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाना उचित नहीं है। कोर्ट ने ई-नीलामी के लिए स्विस चैलेंज पद्धति पर भी जोर दिया।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 06 Aug 2024 11:00 AM (IST)
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हाईकोर्ट ने कहा- लोकलुभावन कदम उठाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाए
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि राज्य सरकार ऐसी प्रक्रिया अपनाने के लिए पूरी तरह सक्षम है जिससे न केवल राज्य को अधिकतम राजस्व प्राप्त हो बल्कि कारोबारियों को व्यापार में आसानी रहे। इससे भारी निवेश का विश्वास भी मिलेगा।

हाईकोर्ट का मानना है कि किसी भी राज्य से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह केवल लोकलुभावन कदम उठाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाए।

जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ ने यह आदेश हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को गुरुग्राम में 287 करोड़ रुपये की वाणिज्यिक साइट की ई-नीलामी के लिए ‘स्विस चैलेंज’ पद्धति अपनाने पर दिए हैं।

सरकार को दी गई थी चुनौती

इस पद्धति के तहत एक निजी डेवलपर सरकार को एक सार्वजनिक अवसंरचना परियोजना का प्रस्ताव देता है। सरकार मूल प्रस्ताव पर जवाबी प्रस्ताव मांगती है और सभी विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ का चयन करती है। अमित किशन मदान ने याचिका दायर कर सरकार की इस नीति को चुनौती दी थी।

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साइट का आरक्षित मूल्य 287.97 करोड़

दलील थी कि स्विस चुनौती पद्धति को अपनाकर एचएसवीपी ने स्पर्धा के लिए समान मैदान प्रदान नहीं किया है। खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हम इस तर्क को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।

अमित किशन मदान ने गुरुग्राम के अर्बन एस्टेट सेक्टर-43 में स्थित 1.32 एकड़ की एक वाणिज्यिक कांप्लेक्स साइट को एचएसवीपी द्वारा 19 जुलाई को नीलाम करने की मांग की थी। इस साइट का आरक्षित मूल्य 287.97 करोड़ रुपये तय किया गया था।

इच्छुक बोलीदाताओं से मांगी गई बयाना राशि (ईएमडी) 71.98 करोड़ रुपये बताई गई थी, जो आरक्षित मूल्य का 25 प्रतिशत है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत आरक्षित मूल्य के 25 प्रतिशत पर बयाना राशि मांगने पर थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, ऐसा करना 20 मई 2021 की नीति के नियमों और शर्तों का उल्लंघन है।

उन्होंने ई-नीलामी को रद करने के लिए प्रमाणपत्र जारी करने और 20 जुलाई, 2022 की नीति के नियमों और शर्तों के अनुसार ई-नीलामी आयोजित करने तथा बयाना राशि को आरक्षित मूल्य के पांच प्रतिशत के रूप में तय करने के निर्देश देने की मांग की।

इस पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि नीलामी में बोली लगाने वालों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने पहले ही पूरा आरक्षित मूल्य जमा कर दिया है।

ऐसी पद्धति अपनाएं, जिससे मुकदमेबाजी से बचा जाए

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य को व्यापार में आसानी प्रदान करनी होगी और एक ऐसी पद्धति अपनानी होगी, जिससे मुकदमेबाजी से बचा जा सके, क्योंकि कोई भी व्यक्ति मुकदमेबाजी के लिए पैसा नहीं लगाता है।

याचिकाकर्ता का एकमात्र प्रयास पांच प्रतिशत बयाना राशि के साथ नीलामी में भाग लेना प्रतीत होता है, जिसका उसे कोई अधिकार नहीं है। वह एचएसवीपी द्वारा निर्धारित नियमों व शर्तों के अनुसार भाग लेने के लिए स्वतंत्र होगा।

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