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Haryana: कांग्रेस में बढ़ी रार, कैप्टन अजय यादव का दो कमेटियों से इस्तीफा; दीपक बाबरिया की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

Haryana Congress लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस में रार बढ़ गई है। कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव (Captain Ajay Yadav) ने दो कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज हैं। अब दीपक बाबरिया के कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं।

By Anurag Aggarwa Edited By: Himani Sharma Updated: Fri, 16 Feb 2024 06:11 PM (IST)
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दीपक बाबरिया की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हरियाणा कांग्रेस (Haryana Congress) की शनिवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक से पहले कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव (Captain Ajay Yadav) ने दो कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है।

कैप्टन अजय यादव रेवाड़ी से छह बार विधायक रहे हैं तथा कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके हैं। कैप्टन हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया से नाराज हैं। उन्होंने हरियाणा कांग्रेस की इलेक्शन कमेटी तथा राजनीतिक मामलों की कमेटी से इस्तीफे दिए हैं।

हरियाणा कांग्रेस से नाराज अजय यादव

पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज हैं। उन्होंने गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए यह कहते हुए आवेदन भी नहीं किया कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं। उन्हें आवेदन करने की जरूरत नहीं है। यदि पार्टी को लगती है कि उनकी उपयोगिता है तो वह उन्हें चुनाव लड़वा सकती है अन्यथा वे स्वयं आगे होकर आवेदन नहीं करेंगे।

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बाद में ऐसी भी खबरें आई कि कैप्टन गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव शायद ही लड़ें, क्योंकि गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से महेंद्रगढ़ के कांग्रेस विधायक राव दान सिंह ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने को आवेदन कर रखा है।

कमेटियों में कांग्रेस ने नहीं बनाया सामंजस्य

कैप्टन ने राव पर यह कहते हुए हमला बोला था कि वे लैंड माफिया हैं। कैप्टन की पीड़ा यह भी है कि विभिन्न कमेटियों में कांग्रेस ने सामंजस्य नहीं बनाया और कई ऐसे लोगों को शामिल कर लिया, जिनका राजनीतिक आधार नहीं है।

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कई कमेटियां तो ऐसी हैं, जिनमें 50 से अधिक सदस्य हैं, जबकि राजनीतिक मामलों की कमेटी ऐसी होती है, जिसमें सिर्फ एक दर्जन तक नेता ही शामिल किए जाते रहे हैं। इलेक्शन कमेटी में भी यही स्थिति है, जिसमें कैप्टन व किरण चौधरी के समर्थकों की अनदेखी की गई है। बताया जाता है कि कांग्रेस प्रभारी के विरुद्ध कैप्टन जल्दी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से भी मुलाकात करेंगे।

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